Brahma Temple History & Story In Hindi : मित्रों, आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में जानकारी दे रहे है, जो एक श्राप के कारण अस्तित्व में आया है. यह है विश्व के सृजनहार ब्रह्माजी का मंदिर, जो राजस्थान के प्रसिद्ध तीर्थ पुष्कर में स्थित है.
यह बड़े आश्चर्य की बात है कि पूरे भारत में ब्रह्माजी का यह एकमात्र मंदिर है. जबकि अन्य हिंदू देवी-देवताओं के सैकड़ों मंदिर भारत के विभिन्न स्थानों में स्थित हैं.
आखिर ऐसा क्यों है? क्यों अन्य देवी-देवताओं की तरह ब्रह्माजी के कई मंदिर नहीं बनाये गए? और वह कौन सा श्राप था, जिसके के कारण इस मंदिर का निर्माण हुआ?
इन प्रश्नों का उत्तर कई वर्षों पूर्व घटी एक घटना से जुड़ा हुआ है, जिसका वर्णन हिंदू धर्मग्रंथ पद्मपुराण में मिलता है.
ब्रह्मा मंदिर की पौराणिक कथा (Mythological Story)
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उस समय पृथ्वी पर वज्रनाश नामक एक राक्षस ने अपने अत्याचारों से सबको तंग किया हुआ था. उसके बढ़ते अत्याचारों को समाप्त करने ब्रह्माजी ने उसका वध कर दिया. जब ब्रह्माजी ने उसका वध किया, तब कमल के तीन पुष्प पुष्कर के तीन विभिन्न स्थानों पर गिरे और इन स्थानों पर झीलें बन गई. ये स्थान व्याष्ठा, मध्य और कनिष्ठ पुष्कर कहलाते हैं.
वज्रनाश का वध करने के उपरांत ब्रह्माजी ने पुष्कर में एक यज्ञ का आयोजन किया. इस यज्ञ में उनकी पत्नि का बैठना आवश्यक था. सभी देवी-देवता यज्ञ स्थल पर पहुँच गए, किंतु ब्रह्माजी की पत्नि सावित्री नहीं पहुँची. बहुत देर तक उनकी प्रतीक्षा की गई, किंतु वे नहीं पहुँची. शुभ मुहूर्त निकलता देख ब्रह्माजी ने एक गुर्जर कन्या गायत्री से विवाह कर लिया और वह उनके साथ यज्ञ में बैठी.
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इस बीच सावित्री यज्ञ स्थल पर पहुँच गई. वहाँ गायत्री को यज्ञ में ब्रह्माजी के साथ बैठा देख वह क्रोधित हो गई. उन्होंने ब्रह्माजी को श्राप दे दिया कि उनकी कभी पूजा नहीं की जायेगी. भगवान विष्णु ने ब्रह्माजी की सहायता की थी, इसलिये सावित्री के क्रोध से वे भी नहीं बच पाये. उन्हें पत्नि-विरह का कष्ट भोगने का श्राप मिला. इसलिए भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम को १४ वर्ष के वनवास के दौरान पत्नि सीता से अलग रहना पड़ा.
क्रोध के आवेश में सावित्री ने नारदजी को आजीवन कुंवारा रहने का श्राप दिया. ब्रह्माजी और गायत्री का विवाह कराने वाले ब्राह्मण और यज्ञ में लाई गई गायों को भी सावित्री के क्रोध का भागी बनना पड़ा. ब्राह्मण को श्राप मिला कि उसे चाहे कितना भी दान मिल जाये, वह कभी संतुष्ट नहीं होगा. गायों को कलयुग में गंदगी खाने का श्राप मिला. यज्ञ के अग्निकुंड में समाहित अग्निदेव को उन्होंने कलयुग में अपमानित होने का श्राप मिला.
जब सावित्री का क्रोध शांत हुआ, तो सभी देवता उनसे क्षमायाचना करने लगे और उनसे श्राप वापस लेने का निवेदन करने लगे. किंतु सावित्री नहीं मानी. ब्रह्माजी का श्राप कम करते हुए वे बस इतना बोली कि इस पृथ्वी पर मात्र पुष्कर ही वह स्थान होगा, जहाँ आपकी पूजा होगी.
इसके बाद वे पुष्कर की रत्नागिरी नामक पहाड़ी की चोटी पर जाकर तपस्या में लीन हो गई. आज इसी स्थान पर सावित्री देवी (Savitri Devi) का मंदिर है.
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ब्रह्मा मंदिर का निर्माण और वास्तुकला (Brahma Temple Construction & Architecture)
ब्रह्मा मंदिर (Brahma Temple) भारत के तीर्थराज कहे जाने वाले पुष्कर (Pushkar) में स्थित है. यह पुष्कर में स्थित प्रमुख मंदिरों में से एक है. इस मंदिर का निर्माण कब और किसके द्वारा किया गया, इसके संबंध में जानकारी कहीं उपलब्ध नहीं है. कहा जाता है कि आज से २००० वर्ष अरण्य वंश के राजा ने स्वप्न में इस मंदिर को देखा. इसके बाद उन्होंने इसका रख-रखाव किया. किंतु, कालांतर में मुग़ल शहंशाह औरंगज़ेब के द्वारा अन्य मंदिरों के साथ इस मंदिर को भी नष्ट कर दिया गया था. १४वीं शताब्दी में इसका पुनः निर्माण करवाया गया.
यह मंदिर मुख्य रूप से पत्थर की पटिया और संगमरमर से निर्मित है. मंदिर के प्रवेश द्वार पर हंस बना हुआ है. मंदिर के भीतर ब्रह्मा जी और माता गायत्री की मूर्तियाँ स्थापित है.
ब्रह्मा मंदिर खुलने का समय (Brahma Temple Visiting Time)
ब्रह्मा मंदिर (Brahma Temple) के खुलने का समय ग्रीष्म ऋतु और शीत ऋतु में भिन्न-भिन्न है. ग्रीष्म ऋतु में यह प्रातः ५ बजे से अपरान्ह १:३० बजे तक तथा सायं ३ बजे के लेकर रात्रि ९ बजे तक खुला रहता है. शीत ऋतु में यह प्रातः ६ बजे से अपरान्ह १:३० बजे तक और सायं ३ बजे से लेकर रात्रि ८:३० बजे तक खुला रहता है.
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कार्तिक पूर्णिमा पर लगता है मेला (Kartik Purnima Fair)
प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन पुष्कर में मेला लगता है. कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही इस स्थान पर यज्ञ किया था. अतः इस अवसर पर लगने वाले मेले के दौरान देश के विभिन्न भागों से पधारे भक्तगण ब्रह्माजी के मंदिर में दर्शन के लिए पहुँचते है.
ब्रह्मा मंदिर कैसे पहुँचे? (How To Reach Brahma Temple)
वायु मार्ग (By Air) – पुष्कर का सबसे निकट का एयरपोर्ट जयपुर है, जो पुष्कर से १४० किलोमीटर की दूरी पर है. जयपुर पहुँचने के बाद कैब के द्वारा पुष्कर पहुँचा जा सकता है और ब्रह्मा मंदिर का दर्शन किया जा सकता है.
रेल मार्ग (By Rail) – पुष्कर का निकटतम रेल्वे स्टेशन अजमेर है. जहाँ से बस और कैब की सुविधा प्राप्त कर पुष्कर पहुँचा जा सकता है.
सड़क मार्ग ( By Road) – हालांकि लंबी दूरी से पुष्कर पहुँचने के लिए बस की यात्रा एक उत्तम विकल्प नहीं है. फिर भी दिल्ली से अजमेर और अजमेर से पुष्कर के लिए बस सुविधा उपलब्ध है, जो यहाँ पहुँचने का विकल्प है. राजस्थान सड़क परिवहन निगम की बसें नियमित रूप से इस मार्ग पर चलती हैं.
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