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यहाँ बनाई थी रावण ने स्वर्ग जाने की सीढ़ी ~ पौड़ीवाला शिवधाम | Story Behind Swarg Ki Seedhi In Hindi

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम आपको स्वर्ग की सीढ़ी (Swarg Ki Seedhi) के बारे में जानकारी देंगे. भारत में स्थित प्राचीन मंदिर और अन्य स्थल न सिर्फ़ भारत की समृद्ध वास्तुकला अपितु गौरवशाली इतिहास का भी प्रमाण हैं. कई मंदिरों का संबंध पौराणिक काल से माना जाता है और उस संबंध में प्रचलित किवंदतियाँ उनकी प्रमाणिकता पर विश्वास करने पर बल भी देती है. ऐसा ही  एक मंदिर है पौड़ीवाला शिवधाम (Paudiwala Shiv Temple).

माना जाता है कि स्वर्ग का मार्ग यहीं से होकर जाता है, क्योंकि रावण ने इस स्थान पर स्वर्ग जाने के लिए दूसरी सीढ़ी का निर्माण किया था. इस सीढ़ी को स्वर्ग की दूसरी पौड़ी कहा जाता है. इस लेख में हम स्वर्ग की सीढ़ी के इतिहास, पौराणिक कथा, रहस्य के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे. 

Swarg Ki Seedhi

Swarg Ki Seedhi

स्वर्ग की सीढ़ी कहाँ है? (Where Is Swarg Ki Seedhi?) 

हिमांचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के सिरमौर जिले के मुख्यालय नाहन (Nahan) से 7 किलोमीटर दूर घने जंगलों के मध्य “पौड़ीवाला शिवधाम” (Paudiwala Shivdham) स्थित है. यह शिवधाम धार्मिक और ऐतिहासिक दोनों ही दृष्टि से अत्यंत  महत्वपूर्ण है. यह “स्वर्ग की दूसरी पौड़ी” के नाम से भी प्रसिद्ध है.

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार असुर सम्राट लंकाधिपति रावण ने इसी स्थान पर पृथ्वी से लेकर स्वर्ग तक जाने वाली सीढ़ी का निर्माण कार्य प्रारंभ किया था. आज भी उस सीढ़ी के अवशेष इस स्थान के आस-पास मौजूद हैं.

स्वर्ग की सीढ़ी की पौराणिक कहानी (Story Behind Swarg Ki Seedhi)  

ऐसा माना जाता है कि अमरत्व प्राप्ति के लिए रावण के यहाँ शिवलिंग की स्थापना कर कई वर्षों तक भगवान शिव की उपासना की थी. प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा.

रावण ने अमरता के साथ ही यह वरदान भी मांगा कि वह पृथ्वी से स्वर्ग तक सीढ़ी बनाने में सफ़ल हो सके. रावण संपूर्ण असुर जाति के उद्धार के लिए इस सीढ़ी का निर्माण करना चाहता था, ताकि बिना किसी पुण्य-प्रताप के कोई भी सशरीर स्वर्ग में प्रवेश कर सके.

भगवान शिव ने आशीर्वाद प्रदान करते हुए उसे कहा कि यदि वह एक दिन में पाँच पौड़ियाँ बना लेगा, तो उसे अमरता प्राप्त हो जायेगी और वह स्वर्ग तक की सीढ़ी का निर्माण भी पूर्ण कर पायेगा.

इसके उपरांत रावण ने पौड़ियों का निर्माण प्रारंभ किया.

1. हर की पौड़ी

रावण ने पहली पौड़ी का निर्माण हरिद्वार (उत्तराखंड) में किया. इसे ‘हर की पौड़ी’ कहा जाता है. यह हरिद्वार का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहाँ भक्तों और श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. विशेषकर श्रावण मास में देश-विदेश से शिवभक्त इस पवित्र स्थल में दर्शन के लिए आते हैं और यहाँ के पवित्र गंगा घाट में स्नान करते हैं. यहाँ शाम की गंगा आरती भी प्रसिद्ध है, जहाँ भक्तों और श्रद्धालु एकत्रित होकर महादेव की आराधना में लीन हो जाते हैं.  

2. पौड़ीवाला मंदिर

रावण ने दूसरी पौड़ी हिमांचल प्रदेश के सिरमौर जिले के पौड़ीवाला नामक स्थान पर बनाई थी. यहाँ भगवान शिव शंकर का पवित्र मंदिर भी स्थापित है, जो ‘पौड़ीवाला मंदिर’ के नाम से प्रसिद्ध है. यह हिमांचल प्रदेश का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं, जहाँ महादेव के दर्शन के लिए भक्तगण का आगमन वर्ष भर होता रहा है.

3. चूड़ेश्वर महादेव

रावण ने तीसरी पौड़ी का निर्माण हिमांचल प्रदेश के ‘चूड़ेश्वर महादेव’ में किया था. यहाँ स्थित शिव मंदिर भी स्थानीय लोगों की धार्मिक आस्था का केंद्र है. साथ ही दूर-दूर से भी श्रद्धालुओं का दर्शन हेतु यहाँ तांता लगा रहता है.

4. किन्नर कैलाश पर्वत

रावण द्वारा चौथी पौड़ी का निर्माण किन्नर कैलाश पर्वत पर किया गया, जो हिमांचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित है. हिंदू मान्यता अनुसार शिव-पार्वती इस पर्वत पर निवास करते थे. यहाँ एक कुंड है, जिसे ‘पार्वती कुंड’ कहा जाता है. माना जाता है कि इस कुंड का निर्माण माता पार्वती द्वारा किया गया था. पार्वती कुंड के समीप ही शिवलिंग स्थापित है, जिसकी ऊँचाई 79 फ़ीट है. यह स्थल हिंदू आस्था का प्रमुख केंद्र है.

रावण द्वारा इन चार पौड़ियों का निर्माण कार्य पूर्ण कर लेने पर सभी देव भयभीत हो उठे. उन्हें लगने लगा कि यदि रावण पाँचों पौड़ियों का निर्माण करने में सफ़ल हो गया, तो अनर्थ हो जायेगा. उन्होंने रावण को रोकने का निश्चय किया और युक्ति से रावण का ध्यान भटकाते हुए उसके भीतर आलस्य का भाव भर दिया. आलस्य भाव आते ही रावण ने सोचा कि पौड़ी बनाने के लिए तो पूरा दिन शेष है, क्यों न कुछ देर विश्राम कर लिया जाये. यह विचार मन में आते ही वह सो गया और जब उठा, तब तक दूसरा दिन चढ़ चुका था.  इस तरह उसे प्राप्त वरदान व्यर्थ चला गया और वह सीढ़ी निर्माण का कार्य पूर्ण न कर सका.

किवंदती है कि रावण की मृत्यु के पूर्व जब लक्ष्मण उनसे ज्ञान लेने गए, तब इस वृत्तांत का विवरण करते हुए रावण ने कहा था कि अच्छे कर्मों को कभी टालना नहीं चाहिए और बुरे कर्मों  को जितना हो सके टाल देना चाहिए.

आज भी पौड़ीवाला शिवधाम में बड़ी-बड़ी चट्टानें इस बात का प्रमाण है कि रावण ने यहाँ स्वर्ग जाने के लिए सीढ़ियाँ बनाने का प्रयास किया था.

स्वर्ग की सीढ़ी का रहस्य

हिमाचल प्रदेश के ‘पौड़ीवाला शिवधाम‘ को स्वर्ग की दूसरी सीढ़ी कहा जाता है. इस स्थल के संबंध में एक रहस्यमयी बात ये है कि यहाँ  यहाँ पौड़ीवाला मंदिर में स्थापित शिवलिंग का आकार प्रतिवर्ष चांवल के दाने के समान बढ़ता है. इसके पीछे का कारण कोई नहीं जानता, लोगों के मध्य यह कौतुहल का केंद्र है और रहस्य भी. 

शिव भक्तों के बीच यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है. यहाँ प्रतिवर्ष शिवरात्रि पर मेला लगता है. माना जाता है कि यहाँ आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनायें पूर्ण होती है.


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