जीजी बाई का मंदिर भोपाल, मन्नत के लिए देवी माँ को चढ़ाये जाते हैं जूते-चप्पल

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दोस्तों, आप सभी जानते हैं कि मंदिर में जूते-चप्पल के साथ प्रवेश करना वर्जित होता है. इसलिए मंदिर के अंदर प्रवेश करने के पहले द्वार पर ही जूते-चप्पल उतार दिए जाते हैं. लेकिन भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहाँ मन्नत के लिए देवी माँ को जूते और चप्पल चढ़ाये जाते हैं.

यह मंदिर है मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित माँ दुर्गा का जीजी बाई का मंदिर (Jiji Bai Temple Bhopal In Hindi). आइये विस्तार से जानते हैं इस अनोखे मंदिर के बारे में :

JiJi Bai Ka Mandir Bhopal Story & History In Hindi
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जीजी बाई मंदिर की स्थापना (Jiji Bai Ka Mandir Bhopal)

मध्यप्रदेश (Madhyapradesh) के भोपाल शहर (Bhopal City) के कोलार (Kolar) इलाके में एक छोटी से पहाड़ी पर माँ दुर्गा का मंदिर (Maa Durga Temple) स्थित है, जिसे ‘सिद्धदात्री पहाड़वाला मंदिर’ (Siddhatri Pahadwala Mandir) कहा जाता है. यह मंदिर लोगों के मध्य ‘जीजी बाई का मंदिर’ (Jiji Bai Ka Mandir) के नाम से भी प्रसिद्ध है.

इस मंदिर (Temple) की स्थापना लगभग १८ वर्ष पूर्व हुई थी. अशोकनगर के निवासी ओम प्रकाश महाराज ने यहाँ मूर्ति स्थापित कर शिव (Shiv) और पार्वती (Parvati) का विवाह करवाया. उन्होंने उनका स्वयं कन्यादान किया. तबसे इस मंदिर में स्थापित देवी को ‘सिद्धदात्री’ (Siddhatri) कहा जाता है और उनकी बेटी मानकर पूजा की जाती है.

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बेटी की तरह रखा जाता है ख्याल

जीजी बाई का मंदिर (Jiji Bai Ka Mandir) में स्थापित सिद्धदात्री देवी का ख्याल बेटी की तरह रहा जाता है और उनके लिए विशेष सुविधाओं की व्यवस्था की जाती है. निश्चित अंतराल पर उनके कपड़े बदले जाते हैं. यदि मंदिर का रख-रखाव करने वालों को यह आभास हो जाये कि देवी माँ उन्हें पहनाये कपड़ों से खुश नहीं हैं, तो तत्काल उनके कपड़े बदल दिए जाते हैं. कई बार तो दिन में ३-४ बार देवी माँ के कपड़े बदले जाते हैं.

JiJi Bai Ka Mandir Bhopal Story & History In Hindi
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देवी माँ को चढ़ाये जाते हैं जूते-चप्पल

इस मंदिर की एक अनोखी प्रथा है, जो इसे अन्य मंदिरों से अलग करती है. जहाँ अन्य मंदिरों में जूते-चप्पल निषिद्ध होते हैं, वहीं इस मंदिर में भक्तगण अपनी मन्नत पूरी होने पर देवी माँ को जूते-चप्पल चढ़ाते हैं. यह मंदिर दिन भर खुला रहता है और लोग दर्शन और मन्नत मांगने यहाँ आते रहते हैं.

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विदेशों से भी आती हैं चप्पलें

देवी माँ के कई भक्तगण विदेशों में भी बसे हुए हैं. वे भी यहाँ जूते-चप्पल भेजते रहते हैं. जब जूते-चप्पलों की तादात बढ़ जाते है, तो उन्हें भक्तों और ज़रूरतमंदों में वितरित कर दिया जाता है.

अन्य सामग्रियाँ भी चढ़ाई जाती हैं 

जूते-चप्पलों के अलावा भी अन्य सामग्री भी भक्तगण देवी माँ को अर्पित करते हैं. देवी माँ को टोपी, घड़ी, चश्मा जैसी वस्तुयें भी चढ़ाई जाते हैं.

कैसे पहुँचे जीजी बाई मंदिर? (How To Reach Jiji Bai Ka Mandir)

हवाई मार्ग – नजदीकी एयरपोर्ट भोपाल का राजा भोज एयरपोर्ट है. जहाँ से बस, या टैक्सी से जीजीबाई मंदिर पहुँचा जा सकता है.

रेल मार्ग – जीजी बाई मंदिर भोपाल रेलवे स्टेशन से ३५ किलोमीटर दूर है. ट्रेन द्वारा भोपाल पहुँचकर टैक्सी और बस से जीजीबाई मंदिर पहुँचा जा सकता है.

सड़क मार्ग – जीजीबाई मंदिर पहुँचने के लिए भोपाल से टैक्सी और बस की सुविधा है.

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