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भारत का एकमात्र मंदिर जिसका जीर्णोद्धार अंग्रेज द्वारा करवाया गया, श्री बैजनाथ महादेव मंदिर

Shree Baijnath Mahadev Temple History & Story In Hindi : ब्रिटिश शासन काल में अंग्रेजों ने भारत के विभिन्न स्थानों पर कई चर्च बनवाये, जो अपनी ऐतिहासिकता का प्रमाण आज भी देते हैं. लेकिन यह तथ्य घोर आश्चर्य में डाल देता है कि भारत में एक ऐसा भी मंदिर मौज़ूद है, जिसका पुनर्निर्माण अंग्रेज के द्वारा करवाया गया.

यह मंदिर है मध्यप्रदेश के आगर मालवा में स्थित श्री बैजनाथ महादेव मंदिर (Shree Baijnath Mahadev Temple). यह एक शिव मंदिर (Lord Shiva Temple) है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहाँ मांगी जाने वाली सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसलिए अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु और भक्तगण यहाँ आते हैं.

आइये जानते हैं श्री बैजनाथ महादेव मंदिर (Shree Baijnath Mahadev Temple) के बारे में विस्तार से –

Shree Baijnath Mahadev Temple History & Story In Hindi

Shree Baijnath Mahadev Temple | Image Source : www.timesnownews.com

श्री बैजनाथ महादेव मंदिर का इतिहास और स्थापत्य (Shree Baijnath Mahadev Temple History & Architecture)

श्री बैजनाथ महादेव मंदिर मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के आगर मालवा जिले (Agar Malwa District) की उत्तर दिशा में जयपुर मार्ग पर बाणगंगा नदी (Banganga River) के किनारे स्थित है. यह एक ऐतिहासिक मंदिर है. माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण राजा नल के शासनकाल में हुआ था. पूर्व में यह एक मठ हुआ करता था और इस मठ में तांत्रिक और अघोरी पूजा-पाठ और साधना किया करते थे.

श्री बैजनाथ महादेव मंदिर उत्तर एवं दक्षिण भारतीय कलात्मक शिल्प में निर्मित मंदिर है. इस मंदिर की ऊंचाई लगभग ५० फीट है. मंदिर का शिखर चूना पत्थर से निर्मित है, जिसके अंदर और बाहर ब्रह्मा, विष्णु और महेश की प्रतिमाएँ उकेरी गई हैं. शिखर पर ४ फुट ऊंचा स्वर्ण कलश भी शोभित है.

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मंदिर के सामने एक विशाल सभा मंडप है, जिसमें २ फुट ऊंची और ३ फुट लंबी नंदी की प्रतिमा स्थापित है. मंदिर के गर्भगृह में ११ गुणा ११ फ़ीट का चौकोर है, जहाँ मध्य में आग्नेय पाषाण का शिवलिंग स्थापित है.

मंदिर के पीछे ११५ फुट लंबा और ४८ फुट चौड़ा कमल कुंड है, जहाँ खिले कमल मंदिर की शोभा में वृद्धि करते हैं.

Shree Baijnath Mahadev Temple History & Story In Hindi

Shree Baijnath Mahadev Temple | Image Source : www.patrika.com

श्री बैजनाथ महादेव मंदिर का अंग्रेज अधिकारी द्वारा जीर्णोद्धार (Shree Baijnath MahadevTemple Renovation By British Officer)

वर्ष १८७९ में अंग्रेजों द्वारा अफ़गानिस्तान पर आक्रमण कर दिया गया. इस युद्ध की कमान आगर मालवा की ब्रिटिश छावनी के लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन के हाथ में सौंपी गई.

युद्ध पर अफ़गानिस्तान गए कर्नल मार्टिन अपनी कुशलता का समाचार पत्र के माध्यम से अपनी पत्नि को भेजा करते थे. ये पत्र नियमित रूप से कर्नल मार्टिन की पत्नि को मिला करते थे. लेकिन एक समय ऐसा आया, जब कर्नल मार्टिन की पत्नि को उनके लिखे पत्र मिलने बंद हो गए. अपने पति के पत्र न मिलने से वो उनकी कुशलता को लेकर शंकाग्रस्त हो गई. हर समय वो अपने पति को लेकर चिंतित रहने लगी.

एक शाम बग्गी पर बैठकर वो आगर मालवा शहर का भ्रमण कर रही थी. जब उनकी बग्गी श्री बैजनाथ महादेव मंदिर के पास से गुजरी, तो मंदिर से आ रहे शंख नाद और मंत्रोच्चार ने उनका ध्यान अपनी खींच लिया.

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मंदिर के भीतर जाकर उन्होंने देखा कि सभी पंडित भगवान शिव की आराधना में लीन हैं. पूछने पर पंडितों ने उन्हें शिव आराधना का महत्त्व बताया. ये भी बताया कि कैसे भगवान शिव-शंकर अपने सभी भक्तों की संकट से रक्षा करते हैं और उनकी मनोकामनायें पूर्ण करते हैं?

कर्नल मार्टिन की पत्नि ने अपनी चिंता मंदिर के पुजारियों को बताई. पुजारियों ने उन्हें लघु रुद्री अनुष्ठान करवाने का परामर्श दिया. इस परामर्श को मानकर कर्नल मार्टिन की पत्नि ने लघु रुद्री अनुष्ठान आरंभ करवाया और अपने पति की रक्षा हेतु भगवान शिव की आराधना करने लगी. उसने ये भी मन्नत मांगी कि यदि कर्नल मार्टिन सकुशल युद्ध से वापस आ गए, तो वह मंदिर के शिखर का निर्माण करवायेगी.

Shree Baijnath Mahadev Temple History & Story In Hindi

Shree Baijnath Mahadev Temple | Image Source : agarmalwa.mp.gov.in

लघु रुद्री अनुष्ठान की पूर्णाहुति के दिन एक संदेशवाहक श्री बैजनाथ महादेव मंदिर पहुँचा और एक लिफ़ाफ़ा कर्नल मार्टिन की पत्नि को दिया. वह पत्र कर्नल मार्टिन का था. उसमें लिखा था : युद्ध के दौरान अफ़गानी सेना उन पर हावी होने लगी थी. ब्रिटिश सैनिक एक-एक कर उनके हाथों मरने लगे थे. जान बचाना नामुमकिन लग रहा था, तभी युद्ध स्थल में शेर की खाल पहने और हाथों में त्रिशूल लिए एक योगी पहुँचा और उसने अफगानियों का संहार कर उसकी रक्षा की. उस योगी ने उन्हें बताया कि वे भगवान शिव हैं और उसकी पत्नि की प्रार्थना से प्रसन्न होकर उसकी रक्षा के लिए आये हैं. यह कथा मंदिर के पत्थरों पर उकेरी हुई है.

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कर्नल मार्टिन जब यद्ध में विजयी होकर वापस आया, तो उसकी पत्नि ने शिव आराधना की सारी बात बताई और मन्नत पूरी हो जाने के कारण दोनों ने मिलकर १५००० रुपये मंदिर के जीर्णोद्धार और शिखर निर्माण के लिए दिया, जिससे १८८३ में मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया. कर्नल मार्टिन और उनकी पत्नि ने यह भी संकल्प लिया कि ब्रिटेन वापस जाकर वे वहाँ भी शिव आराधना करेंगे.

प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि को मेले का आयोजन (Mahashivratri Fair)

श्री बैजनाथ महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि को भव्य मेले का आयोजन होता है. इसके अतिरिक्त चैत्र एवं कार्तिक माह में भी यहाँ मेले का आयोजन किया जाता है, अपनी मनोकामना की पूर्ति हेतु इस अवसर पर भारत के कोने-कोने से भक्तगण और श्रद्धालु इस शिव मंदिर में आते हैं.

कैसे पहुँचे श्री बैजनाथ महादेव मंदिर ? (How To Reach Shree Baijnath Mahadev Temple)

वायुमार्ग (By Air) – आगर मालवा का निकटतम एयरपोर्ट देवी अहिल्या बाई होलकर एयरपोर्ट, इंदौर (Devi Ahilya Bai Holkar Airport, Indore) है, जहाँ से आगर मालवा १०९ किलोमीटर दूर है. एयरपोर्ट से बस की सुविधा ले जा सकती है.

रेलमार्ग (By Train) – आगर मालवा का निकटतम रेलवे स्टेशन शाजापुर (Shajapur Railway Station) है. यहाँ से आगर मालवा की दूरी ४२ किलोमीटर है. शाजापुर से बस के द्वारा आगर मालवा पहुँचा जा सकता है.

सड़क मार्ग (By Road) –  आगर मालवा देश के कई प्रमुख शहरों से सीधे जुड़ा हुआ है. बस के द्वारा यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है.    

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