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बिहार का राजकीय/राज्य पक्षी कौन सा है? | State Bird Of Bihar Information In Hindi

इस लेख में हम बिहार का राजकीय/राज्य पक्षी (State Bird Of Bihar In Hindi) के बारे में जानकारी साझा कर करे हैं. हर राज्यों की तरह बिहार द्वारा भी राज्य का राजकीय पक्षी चुना गया है. यह पक्षी अक्सर हम घरों के आसपास देखते हैं और यह इंसानी आबादी के निकट रहने वाला पक्षी है.  

State Bird Of Bihar In Hindi

State Bird Of Bihar In Hindi

State Bird Of Bihar In Hindi

देश के विभाजन के उपरांत विभिन्न राज्यों की भौगोलिक स्थिति तथा परिवेश, वनस्पति तथा जीव-जंतुओं की उपलब्धता और उनके संरक्षण की आवश्यकता महसूस की गई. इसलिए वर्ष  में इंडियन बोर्ड ऑफ़ वाइल्ड द्वारा भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया कि वे अपने राज्य का राजकीय पशु, पक्षी, वृक्ष, पुष्प आदि घोषित करें. कई राज्यों के इस प्रक्रिया में रूचि दिखाई, कईओं ने नहीं दिखाई.

बिहार राज्य द्वारा अपने राज्य के राजकीय के राजकीय पशु, पक्षी इत्यादि चिन्हित कर घोषित किये हैं. इस लेख में हम बिहार के राजकीय पक्षी के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दे रहे हैं.

बिहार का राजकीय/राज्य पक्षी कौन सा है?

बिहार का राजकीय पक्षी “घरेलू गौरैया’ (House Sparrrow) है. पर्यावरण परिवर्तन और शहरीकरण के कारण गौरैया की संख्या में आने लगी. इस घरेलू पक्षी के संरक्षण की आवश्यकता को मददेनज़र रखते हुए बिहार सरकार द्वारा इसे राज्य/राजकीय पक्षी घोषित करने का निर्णय लिया गया.

घरेलू गौरैया’ एक छोटे आकार की चिड़िया है, जो गौरैया परिवार पैसेरिडे () से संबंधित है. इसे अंग्रेजी में स्पैरो (House Sparrrow) कहते हैं. इसका वैज्ञानिक नाम पासर डोमेस्टिकस ( ) है.

यह बिहार के अतिरिक्त दिल्ली का भी राज्य पक्षी है.

घरेलू गौरैया पक्षी कैसा होता है?

गोरैया एक छोटी चिड़िया है. इसके पंखों का हल्का भूरा-सफ़ेद होता है, चोंच पीले रंग की होती है और पैर का रंग भी पीला होता है.

घरेलू गौरैया की लंबाई सामान्यतः 14 से 18 सेंटीमीटर (5.5 से 7.1 इंच) तक लंबे होते हैं. इनका वजन 24 से 39.5 ग्राम (0.85 से 1.39 औंस) तक होता है.

नर गौरैया को ‘चिड़ा’ और मादा ‘चिड़ी’ या ‘चिड़िया’ कहा जाता है. आकार में नर गौरैया मादा से थोड़े बड़े होते हैं. नर में एक भूरे रंग का मुकुट, काली बिब, लाल-भूरे रंग की पीठ पर काले, और भूरे रंग के स्तन और पेट होते हैं, जबकि महिलाओं की भूरी, धारीदार पीठ होती है और नीचे बफ होती है।

नर गौरैया के सिर का ऊपरी भाग, शरीर के नीचे का भाग और पेट के आसपास का रंग भूरा होता है. गले के पास काला धब्बा होता है. इसकी चोंच और आँखों पर काला रंग होता है और पैर भूरे होते है. वहीं मादा गौरैया की भूरे रंग की धारीदार पीठ होती है. नर गोरैया की पहचान उसके गले के पास के काले धब्बे से की जा सकती है.

घरेलू गौरैया कहाँ पाया जाता है?

गौरैया समान्यतः यूरोप, भूमध्यसागरीय क्षेत्र और एशिया के अधिकांश भागों में पाया जाता है. यह अमरीका के अधिकांश स्थानों, अफ्रीका के कुछ स्थानों, न्यूज़ीलैंड और आस्ट्रेलिया में भी पाया जाता है.

घरेलू गौरैया पक्षी कहाँ रहते हैं?

घरेलू गौरैया विविध आवासों और जलवायु में पाए जाते हैं. जहाँ-जहाँ मनुष्य रहते हैं, ये अपना बसेरा बना लेते हैं. शहरों, कस्बों गाँवों और खेतों के आसपास यह बहुतायत से पाए जाते हैं. लेकिन निर्जन पहाड़ी स्थानों, जंगलों, रेगिस्तानों से दूर ही रहते हैं.

घरेलू गौरैया पक्षी क्या खाता है?

घरेलू गौरैया विभिन्न प्रकार के बीज और कीट खाते हैं. जंगली खाद्य पदार्थों में ये रैगवीड, क्रैबग्रास और अन्य घास खाते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में ये अनाज और बीज के साथ ही पशुओं का चारा खाते हैं. उनके द्वारा खाए जाने वाले फसल में मक्का, जई, गेहूं, ज्वार-बाजरा, सूरजमुखी के बीज शामिल हैं. शहरी क्षेत्र में वाणिज्यिक पक्षी बीज, खरपतवार बीज और मानव द्वारा छोड़े गए भोजन खाते हैं.

गर्मियों के मौसम में घरेलू गौरैया कीड़ों को अपना आहार बनाती हैं.

घरेलू गौरैया की संख्या में गिरावट के कारण

बढ़ते शहरीकरण के कारण गौरैया की संख्या में कमी आती जा रही है. आधुनिक बहुमंज़िला इमारतों में गौरैया को पुराने मकानों की तरह रहने के लिए उचित स्थान नहीं मिल पाता.

सुपरमार्केट और मॉल संस्कृति बढ़ गई है. ऐसे में पुराने ज़माने के जैसी पंसारी की दुकानें देखने को नहीं मिलती, जहाँ गौरैया अपने भोजन के लिए दाना प्राप्त कर लेती थीं.

मोबाइल उपयोगकर्ताओं की संख्या में वृद्धि के कारण मोबाइल टावर्स की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है, जिसने निकलने वाली तरंगें गौरैया के लिए हानिकारक होती हैं. इनसे गौरैया की प्रजनन प्रणाली पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. साथ ही दिशा खोजने की प्रणाली भी प्रभावित होती है.

प्रदूषणों और विभिन्न प्रकार के विकिरणों से शहर का तापमान बढ़ गया है. गौरैया के लिए अधिक तापमान सहन नहीं कर पाती. ऐसे में वे शहर से दूर अन्य परिवेश में चली जाती हैं.

कबूतरों को अधिक धार्मिक महत्व दिया जाता है. उसके रहने के इंतज़ाम भी किये जाते हैं और दानों का प्रबंध भी. चुग्गे वाले स्थानों में कबूतर अधिक पाये जाते हैं. जबकि गौरैया ऐसे कोई इंतजाम न होने के कारण शहर से दूर निकल जाती हैं.  

गौरैया का मनपसंद आहार घास के बीज शहर की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक मिलते हैं. यह गौरैया के शहर से पलायन का कारण है.  

घरेलू गौरैया के संरक्षण के लिए किये गये प्रयास

राज्य सरकार लोगों को अधिक से अधिक आम, महुआ, बहेड़ा, सखुआ के पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, ताकि गौरैया को निवास संबंधी समस्या का सामना न करना पड़े और वह इन पेड़ों पर घोंसला बनाकर रह सके.

घरेलू गौरैया को राज्य पक्षी घोषित किया गया है और इसके संरक्षण और संवर्धन की दिशा में विभिन्न योजनायें बनाई जा रही हैं.

विश्व गौरैया दिवस प्रतिवर्ष 20 मार्च को मनाया जता है. इस दिवस को मनाने की शुरुवात की गई है.

घरेलू गौरैया के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Facts About House Sparrow In Hindi)

गौरैया विश्व में सबसे अधिक पाए जाने वाले पक्षियों में से एक है.

शहरी क्षेत्रों में गौरैया की छह प्रजातियाँ पाई जाती हैं – हाउस स्पैरो, स्पेनिश स्पैरो, सिंड स्पैरो, रसेट स्पैरो, डेड सी स्पैरो और ट्री स्पैरो. इनमें हाउस स्पैरो को “गौरैया” कहा जाता है. यह ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक पाई जाती हैं.

एक जंगली गौरैया की औसत जीवनकाल लगभग 10 वर्ष तक होती है. लेकिन समान्यतः यह 4-5 वर्ष तक जीवित रहते हैं. सबसे अधिक समय तक जीवित रहने वाली जंगली गौरैया डेनमार्क की थी, जो 19 साल 9 महीने तक जीवित रही थी.

कैद या देखरेख में,  गौरैया का जीवनकाल जीवन प्रत्याशा 12 से 14 वर्ष तक होता है. सबसे लंबे समय तक कैद में जीवित रहने वाली घरेलू गौरैया 23 साल तक जीवित रही थी.

घरेलू गौरैया जमीन पर चलने के बजाय कूदती अधिक है.

अधिकांश घरेलू गौरैया बहुत दूर तक नहीं जाती. शायद ही कभी अपने जन्मस्थान से दो किलोमीटर (1.2 मील) से अधिक जाती हैं.

गौरैया जलचर चिड़िया नहीं है, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर यह तैरने में सक्षम है, जैसे किसी शिकारी से अपन बचाव के लिये.

घरेलू गौरैया जीवन भर के लिए साथी के साथ रहते हैं.

घरेलू गौरैया को धूल से नहाते हुए भी देखा जाता है. अपने पंखों पर मिट्टी और धूल फेंकने के लिए कई बार वह जमीन में एक छोटा सा गड्ढा बना लेती हैं और इस गड्ढे पर अपना अधिकार जताने के लिए अन्य गौरैयों से बचाती भी हैं.

घरेलू गौरैया भोजन के लिए जमीन पर आती हैं, लेकिन अधिकांश समय ये पेड़ों और झाड़ियों में अपने समूह में रहती हैं.

घरेलू गौरैया के  मुख्य शिकारी बिल्लियाँ और अन्य शिकारी पक्षी हैं. गिलहरी, रैकून, सांप और कई बार मांस के लिए इंसान भी इसका शिकार करते हैं.

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