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दुनिया का सबसे बड़ा पक्षी कौन सा है? | Duniya Ka Sabse Bada Pakshi Kaun Sa Hai?

इस लेख में हम दुनिया के सबसे बड़े पक्षी (Duniya Ka Sabse Bada Pakshi) के बारे में जानकारी साझा कर करे हैं. यह पक्षी न सिर्फ दुनिया का सबसे बड़ा पक्षी (Biggest Bird In The World) है, बल्कि सबसे ऊँचा और भारी पक्षी भी है. इसकी आँखें धरती पर पाए जाने वाले कशेरुकी में सबसे बड़ी होती है और इसका अंडा दुनिया का सबसे बड़ा अंडा होता है. आइये विस्तार से जानते हैं इस अद्भुत पक्षी के बारे में :

Duniya Ka Sabse Bada Pakshi Kaun Sa Hai?

Duniya Ka Sabse Bada Pakshi

Duniya Ka Sabse Bada Pakshi Kaun Sa Hai?

दुनिया का सबसे बड़ा पक्षी शुतुरमुर्ग (Ostrich) है. यह एक उड़ान रहित पक्षी है, जिसकी लंबी गर्दन, लंबी-मजबूत टांगे, बड़ी आँखें और छोटे पंख होते हैं. यह दुनिया का सबसे ऊँचा और भारी पक्षी भी है.   

आवास (Habitant)

शुतुरमुर्ग अफ्रीका के वुडलैंड्स और सवाना क्ष्रेत्रों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है. पहले एशिया, अफ्रीका और अरब प्रायद्वीप में भी प्राकृतिक रूप से शुतुरमुर्ग पाए जाते हैं, लेकिन अत्यधिक शिकार के कारण उनकी संख्या में गिरावट आती गई. स्थिति ये हैं कि अफ्रीका के वुडलैंड्स और सवाना क्ष्रेत्रों के अतिरिक्त अन्य महाद्वीपों के चिड़ियाघरों में ही शुतुरमुर्ग देखने को मिलते हैं.

शारीरिक संरचना (Physical Characteristic)

शुतुरमुर्ग का वैज्ञानिक नाम ‘struthio camelus’ है. नर शुतुरमुर्ग की ऊँचाई 2.1 से 2.8 मीटर (6 फ़ीट 11 इंच से 9 फीट 2 इंच) और मादा शुतुरमुर्ग की ऊँचाई 1.7 से 2 मीटर (5 फ़ीट 7 इंच से 6 फ़ीट 7 इंच) होती है. इनका वजन 63 से 145 किलोग्राम (139 से 320 lb) तक होता है. इस प्रकार शुतुरमुर्ग दुनिया के सबसे ऊँचे और भारी पक्षी भी हैं.

शुतुरमुर्ग एक उड़ान रहित पक्षी (Flightless Bird) है. इसके पंखों का फैलाव लगभग 2 मीटर तक होता है. छोटे पंख और भारी शरीर के कारण यह उड़ नहीं पाता. ये अपने पंखों का इस्तेमाल दौड़ते समय संतुलन बनाने में करता है. मादा शुतुरमुर्ग को रिझाने के लिए किये जाने वाले नृत्य और चूजों को धूप से बचाने में भी पंखों का इस्तेमाल शुतुरमुर्ग द्वारा किया जाता है.

व्यस्क नर शुतुरमुर्ग के पंख काले रंग के और पूंछ सफ़ेद रंग की होती है. मादा या अवयस्क शुतुरमुर्ग के पंख स्लेटी-भूरे या सफ़ेद होते हैं. नर और मादा दोनों के सिर पर बाल के नाम पर पंखों की पतली परत होती है. मादा शुतुरमुर्ग की गर्दन और जांघ की त्वचा गुलाबी-स्लेटी रंग की होती है, वहीं नर शुतुरमुर्ग की गर्दन और जांघ की त्वचा प्रजाति अनुसार नीली-स्लेटी या गुलाबी रंग की होती है.

Duniya Ka Sabse Bada Pakshi Kaun Sa Hai?

Duniya Ka Sabse Bada Pakshi

इसकी के टांगों पर बाल नहीं होते. घुटने के नीचे की त्वचा में शल्कनुमा धारियाँ होती है, जो नर में लाल रंग की और मादा में काले रंग की होती है. इसके पैर में केवल दो उंगलियाँ होती हैं, उनमें से केवल अंदर वाली उंगली में नाखून होता है, जो खुर की तरह मजबूत होता है. बाहर वाली उंगली नाखून रहित होती हैं.

पैरों में कम उंगलियाँ होने के कारण शुतुरमुर्ग काफ़ी तेजी से दौड़ने में समर्थ हो पाता है. यह दुनिया का सबसे तेज थलचर पक्षी है. इसकी दौड़ने की रफ़्तार 45 मील/घंटे है, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर वह 70 मील/घंटे की रफ़्तार से दौड़ सकता है. अपनी मजबूत टांगों का इस्तेमाल ये हथियार के रूप में भी करटा है. इसकी टांगों का वार इतना घातक होता है कि इसका एक वार शेर को भी मार गिरा सकता है.

शुतुरमुर्ग की चोंच चपटी और चौड़ी होती है तथा सिरे पर गोल होती है. इसके गले में भोजन संचय की थैली और पित्ताशय नहीं होता. इसके तीन पेट और असामान्य रूप से लंबी आंत होती है. इस कारण भोजन को पचने में कम से कम 36 घंटे का समय लगता है. अन्य पक्षियों के विपरीत इसमें मल-मूत्र त्याग करने का मार्ग अलग-अलग होता हैं. 

संपूर्ण प्राणीजगत में शुतुरमुर्ग की आँखें सबसे बड़ी होती हैं. इसकी प्रत्येक आँखों का आकार लगभग 2 इंच (5 सेमी) और वजन लगभग 60 ग्राम होता है. शुतुरमुर्ग की आँखें उसके मस्तिष्क की तुलना में काफ़ी बड़ी होती हैं. उसके मस्तिष्क (brain) का वजन लगभग 40 ग्राम होता है. इसकी दृष्टि क्षमता उत्कृष्ट होती है. दिन के समय में 3.5 किमी दूर के स्थित वस्तु को आसानी से देख सकता है. इसकी श्रवण शक्ति भी तीव्र होती है. तेज दृष्टि और श्रवण शक्ति इसे शिकारियों से बचने में मदद करती है.

जीवन काल (Lifespan)

प्राकृतिक आवास में शुतुरमुर्ग का जीवनकाल औसतन 40 से 45 वर्ष होता है. चिड़ियाघर या देखरेख में वे 70 वर्ष की आयु तक जीवित रह सकते हैं.

प्रजनन (Breeding)

शुतुरमुर्ग 2 वर्ष की उम्र में यौन परिपक्वता प्राप्त कर लेता हैं. मादा की तुलना में नर शुतुरमुर्ग 6 माह देर से यौन परिपक्वता प्राप्त करते हैं.

शुतुरमुर्गों के समूह को ‘flock’ कहा जाता है. एक ‘flock’ में 10 से लेकर 100 तक सदस्य हो सकते हैं. सामान्यतः वे 10 के समूह में रहते हैं. शुतुरमुर्गों के समूह में एक अल्फ़ा नर शुतुरमुर्ग होता है, जो वंश-वृद्धि के लिए समूह की अल्फ़ा मादा शुतुरमुर्ग से संभोग करता है. कभी-कभी नर अल्फ़ा समूह की अन्य मादाओं से भी संभोग करता है.

संभोग के लिए तैयार होने पर नर शुतुरमुर्ग के चोंच और पैर का रंग लाल/गुलाबी हो जाता है, वहीं मादा शुतुरमुर्ग के पंखों का रंग चाँदी के रंग का हो जाता है.

शुतुरमुर्ग जीवन भर प्रजनन करने में सक्षम होते हैं. इनका प्रजनन काल मार्च/अप्रैल से सितंबर के प्रारंभ तक रहता है. मादा शुतुरमुर्ग साल भर में 40-100 अंडे दे सकती हैं. साल भर में वे औसतन 60 अंडे देती है.

सभी मादा शुतुरमुर्ग एक सामुदायिक घोंसले में अंडे देती हैं, जिसे Dump nest कहा जाता है. Dump nest 30 से 60 सेमी गहरा और 3 मीटर चौड़ा होता है, जिसे नर शुतुरमुर्ग जमीन की मिट्टी खोद कर बनाता है. यह घोंसला एक बार में लगभग 60 अंडों का वजन संभाल सकता है.

अंडों को सेने की जिम्मेदारी नर और मादा शुतुरमुर्ग दोनों निभाते हैं. नर रात के समय अंडों को सेते हैं और मादा दिन के समय अंडों को सेती हैं. शुतुरमुर्ग के अंडों से चूजे निकलने में 42-46 दिन का समय लगता है.

शुतुरमुर्ग का अंडा दुनिया का सबसे बड़ा अंडा होता है, जिसका व्यास  6 इंच और भार 3 पौण्ड होता है. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि शरीर के आकार की तुलना में शुतुरमुर्ग का अंडा दुनिया का सबसे छोटा अंडा भी होता है.

शुतुरमुर्ग के अंडे की shell की मोटाई 2 mm होती है, जो किसी भी अंडे का सबसे मजबूत shell है. यह vertically 220 Kg और horizontally 120 Kg वहन कर सकता है. इसका अर्थ यह है कि किसी वयस्क इंसान के इस पर खड़े हो जाने पर भी ये नहीं टूटता.

शुतुरमुर्ग का एक अंडा 24 मुर्गी के अंडे के बराबर होता है. इसमें में 2000 कैलोरी होती है, जो एक व्यस्क महिला की दैनिक कैलोरी आवश्यकता के बराबर है. इसे soft boil करने में 1 घंटा और hard-boil करने में 1.5 घंटे का समय लगता है.

आहार (Diet)

शुतुरमुर्ग सर्वाहारी (Omnivore) है. हालांकि उसका मुख्य आहार छोटे पेड़-पौधे, बीज, फल-फूल हैं, लेकिन वे कभी-कभी सांप, छिपकली, कीड़ों और यहाँ तक कि कृन्तकों (rodents) को भी अपना आहार बना लेते हैं.

भोजन को पचाने के लिए शुतुरमुर्ग कंकड़ और रेत खाते हैं. वे अपने पेट में लगभग १ किलो ककड़/रेत लेकर चलते हैं, जो उनके लिए दांतों का विकल्प है. वे भोजन को साबुत निगल जाते हैं. ऐसे में कंकड़/रेत भोजन को बेहतर ढंग से तोड़ने और पीसने में मदद करते हैं.

शुतुरमुर्ग कई-कई दिनों तक बिना पानी पिए जीवित रह सकता है.

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