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ईमानदार लकड़हारा और देवदूत की कहानी | The Honest Woodcutter Story In Hindi

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इस पोस्ट में हम ईमानदार लकड़हारा की कहानी (The Honest Woodcutter Story In Hindi) शेयर कर रहे हैं। Imandar Lakadhaara Kahani ईमानदारी का महत्व बतलाते हुए ईमानदार रहने की सीख देती है। पढ़िये :

Imandar Lakadhara Ki Kahani 

Imandar Lakadhara Ki Kahani 

एक गांव में एक लकड़हारा रहता था। वह लकड़ियां काटकर अपने परिवार का गुजारा करता था। रोज सुबह वह कुल्हाड़ी लेकर जंगल में निकल जाता, वहां लकड़ियां काटता और उसे बाजार में बेचकर पैसे कमाता। उसकी आमदनी अधिक नहीं थी। किसी तरफ उसके घर का गुजारा चल रहा था।

एक दिन वह रोज की तरह जंगल गया। नदी किनारे उसे एक सूखा पेड़ दिखाई दिया और वह अपनी कुल्हाड़ी से पेड़ की डालियां काटने लगा। उसने पेड़ की एक मोटी डाली पर कुल्हाड़ी से जोरदार प्रहार किया, तो उसकी कुल्हाड़ी छिटक कर नदी के पानी में जा गिरी। 

लकड़हारा नदी के पास गया और झांक कर देखने लगा। उसकी कुल्हाड़ी नदी की गहराई में जा चुकी थी। उसे निकाल पाना अब लकड़हारे के लिए संभव नहीं था।

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लकड़हारे उदास हो गया। उसके पास एक ही कुल्हाड़ी थी और वही उसके जीविका का साधन थी। वह परेशान था कि अब वह कैसे लकड़ियां काटेगा और कैसे अपने परिवार की गुजर-बसर करेगा।

वह भगवान से प्रार्थना करने लगा, “भगवान मेरी कुल्हाड़ी मुझे लौटा दीजिए।”

उसकी प्रार्थना सुनकर नदी से एक देवदूत प्रकट हुए और उस उन्होंने लकड़हारे से पूछा, “वत्स! क्या बात है, तुम क्यों दुखी हो?”

लकड़हारे ने अपने कुल्हाड़ी नदी में गिरने की बात देवदूत को बताई और प्रार्थना की कि उसकी कुल्हाड़ी वापस लौटा दें।

देवदूत ने पानी में डुबकी लगाई और जब वापस प्रकट हुए, तो उनके हाथ में चांदी की कुल्हाड़ी थी। उन्होंने लकड़हारे से पूछा, “क्या यही है तुम्हारी कुल्हाड़ी?”

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लकड़हारे ने उत्तर दिया, ” नहीं देव, यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है।”

देवदूत ने फिर से पानी में डुबकी मारी और इस बार सोने की कुल्हाड़ी के साथ बाहर आए। उन्होंने लकड़हारे से पूछा, “क्या यही है तुम्हारी कुल्हाड़ी?”

लकड़हारा बोला, “नहीं देव, ये मेरी कुल्हाड़ी नहीं है। ये यह तो सोने की है। मेरी कुल्हाड़ी तो लोहे की थी, जिससे मैं लकड़ियां काट सकता था।?”

देवदूर ने फिर से पानी में अंतर्ध्यान हो गए और इस बार वह लोहे की कुल्हाड़ी के साथ प्रकट हुए। वह कुल्हाड़ी देखते ही लकड़हारा चिल्लाया, “यही मेरी कुल्हाड़ी है। यही मेरी कुल्हाड़ी है।”

देवदूत लकड़हारे की ईमानदारी देखकर बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने कहा, “वत्स! तुम्हारी इमानदारी से मैं अति प्रसन्न हूं। तुम चाहते तो सोने और चांदी की कुल्हाड़ी ले सकते थे। लेकिन तुमने ईमानदारी दिखाई। इसलिए मैं तुम्हें तीनों कुल्हाड़ी देता हूं।”

देवदूत ने सोने चांदी और लोहे तीनों की कुल्हाड़ी लकड़हारे को दे दी। लकड़हारा खुशी-खुशी अपने घर लौट आया। सोने और चांदी की कुल्हाड़ी बेच कर उसने अच्छा धन कमाया और सुखी सुखी रहने लगा।

सीख ( Imandar lakadhara Hindi Story Ki Seekh)

हमेशा ईमानदार रहना चाहिए।

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