Fairy Tales In Hindi

सोई हुई राजकुमारी की कहानी | Sleeping Beauty Fairy Tale Story In Hindi

सोई हुई राजकुमारी की कहानी (Sleeping Beauty Fairy Tale Story In Hindi Written). स्लीपिंग ब्यूटी की कहानी एक कई वर्षों तक सो जाने वाली राजकुमारी की परी कथा हैम जो मूलतः फ्रांस की  फेयरी टेल है. ये तेरह परियों की कहानी (Terak Pariyon Ki Kahani) है. इन तेरह परियों में से बारह अच्छी परी और एक दुष्ट परी थी. दुष्ट परी के राजकुमारी के जन्मदिन पर उसे श्राप दिया. क्या था वह श्राप? उसका राजकुमारी पर क्या प्रभाव हुआ? पढ़िये इस कहानी में : 

Sleeping Beauty Fairy Tale Story In Hindi

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Sleeping Beauty Fairy Tale Story In Hindi

Sleeping Beauty Fairy Tale Story In Hindi

बहुत समय पहले की बात है. एक खुशहाल राज्य था, जिसमें एक राजा और रानी रहा करते थे. उनकी कोई संतान नहीं थी. जिसके कारण वे दोनो बहुत दु:खी थे. दु:खी रानी रोज सूर्य देवता से संतान प्राप्ति के लिए प्रार्थना किया करती थी. उस दिन भी वह रोज की तरह राजमहल के सरोवर के किनारे सूर्य-देवता से प्रार्थना कर रही थी कि तभी सूर्य की एक चमकीली किरण वहाँ पड़े एक पत्थर पर पड़ी और वह पत्थर एक मेंढक में बदल गया. उस मेंढक ने भविष्यवाणी की कि एक वर्ष के भीतर रानी एक सुंदर बच्ची को जन्म देगी.

मेंढक की वह भविष्यवाणी सच साबित हुई और रानी ने वर्ष के भीतर ही एक बच्ची को जन्म दिया. वह बच्ची बहुत ही सुंदर थी. उसके मुख पर सूर्य की किरणों के समान चमक थी. राजा-रानी छोटी सी राजकुमारी को देखकर ख़ुशी से झूम उठे. उन्होंने उसका नाम रोजामांड रखा.

रोजामांड के जन्म की ख़ुशी में राजा-रानी ने राजमहल में एक बड़े भोज का आयोजन किया. उसमें राज्य की संपूर्ण प्रजा आमंत्रित थी. सुनहरे वन में रहने वाली परियों को भी उसमें आमंत्रित किया गया था.

सुनहरे वन में कुल तेरह परियां रहती थी. लेकिन राजा-रानी ने सिर्फ बारह परियों को ही आमंत्रित किया. तेरहवीं परी को आमंत्रित करना वे भूल गए.

राजभोज में बहुत धूमधाम थी. वहाँ उपस्थित लोगों ने रोजामांड को ढेरों उपहार और आशीर्वाद दिए. जब परियों की बारी आई, तो उन्होंने जादू से न सिर्फ रोजामांड को अनमोल उपहार दिए, बल्कि कई जादुई आशीर्वाद भी दिए. किसी ने बुद्धिमत्ता का, किसी ने सुंदरता का, किसी ने दयालुता का, तो किसी ने धन का आशीर्वाद दिया. यह सिलसिला ग्यारहवी परी तक चलता रहा. अंत में जब बारहवीं परी की बारी आई, तो उसके आशीर्वाद देने के पहले ही तेरहवी परी वहाँ आ गई.

तेरहवी परी राजा-रानी द्वारा उसे राजभोज में आमंत्रित न किये जाने के कारण बहुत क्रोधित थी. वह अपने इस अपमान का बदला लेना चाहती थी. इसलिए उसने रोजामांड को श्राप दे दिया : “सोलहवे जन्मदिन पर रोजामांड की उंगली में एक सुई चुभेगी और वो मर जाएगी.” इसके बाद बिना एक शब्द कहे वो वहाँ से चली गई.

तेरहवी परी के इस श्राप को सुनकर राजा-रानी दु;खी हो गए. उन्होंने परियों से इस श्राप को समाप्त कर देने का निवेदन किया. लेकिन परियाँ ऐसा करने में असमर्थ थी. किसी भी श्राप को पूर्णतः समाप्त नहीं किया जा सकता था. दु:खी राजा-रानी को देखकर बारहवी परी सामने आई. उसका आशीर्वाद अभी शेष था. उसने राजा से कहा, “ये सत्य है कि तेरहवी परी के श्राप को मैं समाप्त नहीं कर सकती, लेकिन अपने आशीर्वाद से उसे कम अवश्य कर सकती हूँ.”

उसने रोजामांड को आशीर्वाद दिया कि सोलहवे जन्मदिन पर वह सुई चुभने से मरेगी नहीं, बल्कि सौ वर्षों के लिए एक गहरी नींद में सो जाएगी.

राजा ने बारहवी परी को इस आशीर्वाद के लिए धन्यवाद दिया. लेकिन रानी अभी भी उदास थी. उसने परी से कहा, “मेरी इच्छा है कि मैं रोजामांड का विवाह किसी सुन्दर और वीर राजकुमार के साथ होते हुए देखूं. लेकिन अब ये संभव नहीं क्योंकि जब सौ वर्षों के बाद रोजामांड अपनी नींद से जागेगी, हम लोग जीवित नहीं रहेंगे.”

रानी की बात सुनकर बारहवी परी ने कहा, “रोजामांड के सोने के कुछ देर बाद राजा-रानी सहित राज्य की सारी प्रजा और पशु-पक्षी भी सो जायेंगे. वे तब तक सोते रहेंगे जब तक रोजामांड सोती रहेगी. रोजामांड की नींद तभी खुलेगी जब एक सुंदर सच्चा प्यार करने वाला राजकुमार उसे चूम लेगा.” इसके बाद सभी परियां वहाँ से चली गई.

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बारहवी परी के आशीर्वाद से राजा-रानी को कुछ राहत अवश्य मिली. लेकिन अब भी वे रोजामांड के भविष्य को लेकर चिंतित थे. उन्होंने सैनिको से कहकर राज्य के सारे चरखे और सुईयां नष्ट करवा दिए, ताकि रोजामांड उस दुष्ट परी के श्राप के प्रभाव से बच सके.

धीरे-धीरे समय बीतने लगा और रोजामांड बड़ी होने लगी. वह सुन्दर, दयालु और बुद्धिमान थी. ठीक वैसे ही, जैसे परियों ने आशीर्वाद दिया था. राज्य के सभी लोग उसे बहुत प्यार करते थे.

वर्ष बीतते-बीतते आखिरकार रोजामांड का सोलहवां जन्मदिन आ गया. उस दिन पूरे राजमहल को सजाया गया और एक बड़े भोज का आयोजन किया गया. उस दिन अनहोनी की आशंका से राजा-रानी डरे हुए थे. लेकिन शाम तक कोई अनहोनी नहीं हुई. बस रानी के पिता का पत्र आया कि उनकी तबियत बहुत ख़राब है. राजा-रानी अपनी विश्वासपात्र दासी डायना को रोजामांड का ध्यान रखने की हिदायत देकर रानी के पिता को देखने उनके राज्य चले गए.

शाम का समय था. डायना रसोई में काम कर रही थी. उसे व्यस्त देख रोजामांड राजमहल के बगीचे में आ गई और खेलने लगी. खेलते-खेलते उसकी दृष्टि एक फूल पर बैठी बहुत ही सुंदर सुनहरी तितली पर पड़ी. उस तितली को देखकर रोजामांड मोहित हो गई. उसने उसे पकड़ने के लिए अपना हाथ बढ़ाया. लेकिन तितली वहाँ से उड़ गई. अब मानो रोजामांड और तितली के बीच एक खेल शुरू हो गया. तितली उड़ने लगी और रोजामांड उसके पीछे भागने लगी. उड़ते-उड़ते वह तितली एक पुरानी ऊँची मीनार में घुस गई. रोजामांड भी उसके पीछे उस मीनार के अंदर घुस गई.

उस मीनार में गोलाकार सीढ़ियाँ बनी हुई थी. तितली का पीछा करते-करते रोजामांड सीढ़ियाँ चढ़ने लगी. चढ़ते-चढ़ते जब वह मीनार के सबसे ऊपरी हिस्से पर पहुँची, तो उसने वहाँ एक छोटा सा कमरा देखा. वह कमरे के अंदर चली गई. उस कमरे में एक बूढ़ी औरत चरखा चला रही थी. रोजामांड ने अपने जीवन में कभी चरखा नहीं देखा था. उसने जिज्ञासावश बूढ़ी औरत से पूछा, “ये तुम क्या कर रही हो?”

“मैं चरखे पर सूत कात रही हूँ.” बूढ़ी औरत ने उत्तर दिया. वह बूढ़ी औरत कोई और नहीं, बल्कि वही दुष्ट परी थी. उसने रोजामांड को चरखा चलाने के लिए उकसाया. रोजामांड ने भी उत्सुकतावश उसकी बात मान ली. लेकिन जैसे ही उसने चरखा चलाया, एक नुकीली सुई उसकी उंगली में आ घुसी. वह वहीं गिर पड़ी और गहरी नींद में सो गई.

उधर जब राजा-रानी राजमहल वापस लौटे, तो उन्होंने डायना से रोजामांड के बारे में पूछा. डायना कोई उत्तर नहीं दे पाई. राजा ने सभी सैनिकों को रोजामांड को खोजने का आदेश दे दिया. वे स्वयं भी रोजामांड को खोजने लगे. पूरे महल की छान-बीन की गई, लेकिन रोजामांड कहीं नहीं मिली. महल के बाहर उसे खोजते-खोजते वे लोग उस पुरानी मीनार में पहुँचे. वहाँ पहुँचकर उन्होंने रोजामांड को चरखे के पास सोते हुए पाया. वे समझ गए कि दुष्ट परी का श्राप पूरा हो गया है. रानी दुःख के मारे जोर-जोर से रोने लगी.

राजा ने रानी को समझाया, “कुछ देर में हम सब भी सो जायेंगे. इसलिए अभी रोजामांड को महल लेकर चलते है और इसे उस दिन के लिए तैयार करते है, जब कोई सुंदर राजकुमार इसे नींद से जगाने के लिए आएगा.”

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रोजामांड को राजमहल में ले जाया गया. वहाँ उसे तैयार करके एक खूबसूरत बिस्तर पर लिटा दिया गया. वह सोती हुई भी बहुत सुंदर लग रही थी. कुछ देर बाद राजा-रानी, दरबारी, सैनिक, राज्य की सम्पूर्ण प्रजा और पशु-पक्षी जहाँ थे, वहीँ सो गए. उनके सोने के कुछ बाद घनघोर काले बादल राज्य के ऊपर छा गए और पूरा राज्य अँधेरे में डूब गया. राज्य के चारों ओर घनी कंटीली जंगली झाड़ियाँ उग आई और वह राज्य उन झाड़ियों के पीछे छुप गया.

समय बीतता चला गया और कंटीली झाड़ियों के पीछे छुपा राज्य अतीत का हिस्सा बन गया. लेकिन उस सोये हुए राज्य और सुंदर राजकुमारी रोजामांड की कहानियां दूर-दूर के प्रदेशों में प्रसिद्ध थी. कई राजकुमार रोजामांड को पाने की आशा में उस सोये हुए राज्य को ढूँढने आते थे. लेकिन उन कंटीली मजबूत झाड़ियों को पार करना बहुत कठिन था. कई राजकुमार उन झाड़ियों में फंसकर मर गए. धीरे-धीरे राजकुमारों ने मौत के डर से वहाँ आना छोड़ दिया.

उसके बाद कई वर्षों तक उस सोये हुए राज्य को ढूंढने कोई नहीं आया. लेकिन एक दिन इवान नामक राजकुमार ने सोती हुई राजकुमारी की कहानी सुनी और वह मन ही मन उससे प्रेम करने लगा. उसने उस राज्य का पता लगाने का निश्चय किया. वह रोजामांड को नींद से जगाना चाहता था और उस राज्य की खुशहाली फिर से वापस लाना चाहता था.

जब राजकुमार इवान के अपने पिता से वहाँ जाने की अनुमति मांगी, तो वहाँ जाने के खतरे को देखते हुए उन्होंने उसे रोकने का प्रयास किया. लेकिन इवान नहीं माना और उस राज्य की खोज में निकल पड़ा.

कई दिनों की यात्रा के बाद जिस दिन राजकुमार इवान उस राज्य के सामने पहुँचा, उस दिन रोजामांड को सोये हुए सौ वर्ष पूर्ण हो चुके थे. वहाँ पहुँचकर राजकुमार ने कंटीली झाड़ियों को अपनी तलवार से काट दिया और राज्य में घुसने का रास्ता बना लिया.

जब वह राज्य के अंदर पहुँचा, तो वहाँ उसने देखा कि जो जहाँ है, वहीं सोया पड़ा हुआ है. राजमहल के द्वार पर उसने दरबानों को भी सोते हुए पाया. महल के अंदर राजदरबार में पहुँचने पर उसे राजा-रानी और दरबारी भी सोते हुए मिले. वह महल में घूमता रहा और अंत में उस कमरे में पहुँचा, जहाँ रोजामांड सोई हुई थी.

जब उसने सोई हुई राजकुमारी रोजामांड को देखा, तो बस देखता ही रह गया. उसके मन में रोजामांड के बारे में सुनकर जो प्रेम का बीज फूटा था, वह और गहरा हो गया. उसने रोजामांड के पास जाकर उसका हाथ अपने हाथों में लिया और उसे चूम लिया. उसके ऐसा करते ही दुष्ट परी का श्राप टूट गया और रोजामांड नींद से बाहर आ गई. उसने अपनी ऑंखें खोली, तो एक सुंदर राजकुमार को अपने सामने पाया. वह समझ गई कि ये वही सच्चा प्रेम करने वाला राजकुमार है, जिसकी वजह से वह नींद से बाहर आई है. राजकुमार इवान ने रोजामांड के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा, जिसे उसने सहर्ष स्वीकार कर लिया.

दोनो कमरे से बाहर निकलकर राजदरबार पहुँचे. वहाँ उन्होंने देखा कि राजा-रानी और सभी दरबारी नींद से जाग चुके हैं. उन्होंने रोजामांड और राजकुमार इवान का स्वागत किया. राजा-रानी बहुत प्रसन्न थे. उन्होंने दो दिन के बाद रोजामांड और राजकुमार इवान के विवाह की घोषणा कर दी.

अब राजमहल के ऊपर छाये काले बदल हट चुके थे. वहाँ फिर से सूर्य चमकने लगा था. सभी लोगों ने मिलकर सूर्य देवता को धन्यवाद दिया. ठीक उसी समय अचानक सूर्य से एक आग का गोला निकला और दूर जंगल में बनी एक झोपड़ी पर जा गिरा. उस झोपड़ी में दुष्ट परी रहती थी. झोपड़ी के साथ वह दुष्ट परी भी उसमें जलकर मर गई.

दो दिनों बाद रोजामांड और राजकुमार इवान का विवाह हो गया और वे दोनो ख़ुशी और आनंद के साथ रहने लगे.

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