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लालची किसान और सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी | Greedy Farmer And The Golden Egg Story In Hindi

लालची किसान और सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी (Greedy Farmer And The Golden Egg Story In Hindi With Moral) बच्चों की लोकप्रिय शिक्षाप्रद नैतिक कहानी है. Lalchi Kisan Aur Sone Ka Anda Dene Wali Murgi Ki Kahani है, एक लालची किसान की कहानी है, जो लोभ के दुष्फल के बारे में बताती है और लोभ  न करने के सीख देती है.

Greedy Farmer And The Golden Egg Story In Hindi

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Greedy Farmer And The Golden Egg Story In Hindi

Greedy Farmer And The Golden Egg Story In Hindi

बहुत समय पहले की बात है. एक गाँव में एक निर्धन किसान अपनी पत्नी के साथ रहता था. उसका छोटा सा खेत था, जिसमें वह अपनी पत्नी के साथ दिन भर काम करता था. मगर खेती से उसे इतनी भी आमदनी नहीं हो पाती थी कि वह दो वक़्त का भोजन भी जुटा सके. उस पर क़र्ज़ का बोझ बढ़ता जा रहा था.

एक दिन उसकी मुलाक़ात अपने पुराने मित्र से हुई. दोनों अपने-अपने जीवन की बातें करने लगे. मित्र ने इन वर्षों में अच्छा ख़ासा धन अर्जित कर लिया था. उसकी रईसी देख किसान ने पूछा, “मित्र, तुमने जीवन में बहुत उन्नति कर ली है. मेरी स्थिति तो दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है. तुम ही सुझाओ कि मैं क्या करूं.”

मित्र ने किसान से कहा, “मैंने मुर्गियों के अंडे बेचने से शुरुवात की और आज एक पोल्ट्री फॉर्म मालिक हूँ. तुम भी कुछ मुर्गियों के साथ यह धंधा शुरू कर सकते हो.”

मित्र ने किसान को कुछ पैसे उधार दिए, जिससे किसान ने कुछ मुर्गियाँ खरीद ली. मुर्गियाँ लेकर जब वह घर पहुँचा, तो उसकी पत्नी चकित हुई. तब किसान ने अपने मित्र के धनी होने का राज़ बताते हुए कहा, “अब से हम भी मुर्गियों के अंडे बेचेंगे. हो सकता है, हमारी किस्मत भी खुल जाए.”

पत्नी ख़ुश हो गई. दोनों ने मिलकर आँगन में मुर्गियों के रहने के लिए दड़बा बनाया और उसमें सारी मुर्गियाँ रख दी. रात को भोजन कर वे सो गए. सुबह उठकर जब उन्होंने मुर्गियों के दड़बे में झांका, तो हैरान रह गए. वहाँ कई अंडों के बीच सोने का एक अंडा पड़ा हुआ था.

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दोनों वह देखकर बहुत खुश हुए. किसान सोने के अंडे को जौहरी की दुकान में अच्छे पैसों में बेच आया. अगले दिन फिर उन्हें दड़बे में सोने का अंडा मिला. उसके बाद से सिलसिला सा चल पड़ा. किसान को रोज़ सोने के अंडे मिलने लगे. वह उन अंडों को अच्छी कीमत में बेच आता.

धीरे-धीरे किसान की आर्थिक स्थिति सुधरती गई और वह अपने गाँव के धनी लोगों में गिना जाने लगा. अब किसान और उसकी पत्नी दोनों अपने जीवन से ख़ुश थे.

एक दिन अचनाक किसान के दिमाग में यह विचार आया कि सोने का अंडा देने वाली मुर्गी से रोज़ एक अंडा पाने के बजाय यदि उसका पेट चीर कर एक साथ सारे अंडे बाहर निकाल लिए जायें, तो उन्हें बेचकर एक बार ही में लखपति बना सकता है.

उसने अपनी योजना पत्नी को बताई, तो वह भी उसकी बातों में आ गई. उस रात दोनों ने दड़बे की मुर्गियों पर नज़र रखी, ताकि सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की पहचान की जा सके. आखिर उन्हें पता चल ही गया कि सोने का अंडा देने वाली मुर्गी कौन सी है.

फिर उन्होंने देर नहीं की. किसान की पत्नी रसोई से बड़ा सा चाकू ले आई. किसान तब तक सोने का अंडा देने वाली मुर्गी को दड़बे से बाहर निकाल चुका था. पत्नी से चाकू लेकर उसने मुर्गी का पेट चीर दिया. मगर वे दोनों ये देखकर आश्चर्य चकित रह गये कि अंदर से वह मुर्गी अन्य मुर्गियों की तरह ही थी. उसके पेट में कोई सोने का अंडा नहीं था.

किसान और उसकी पत्नी पछताने लगे. एक बार में सारे सोने के अंडे पा लेने के लालच में वे रोज़ मिलने वाले एक सोने के अंडे से भी हाथ धो बैठे थे, क्योंकि सोने का अंडा देने वाली मुर्गी मर चुकी थी. इसलिए कहते हैं कि लालच बुरी बला है.

सीख (Moral Of The Story Hen That Laid Golden Egg)

लालच बुरी बला.


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