Business Success Story In Hindi

नटराज पेंसिल की सफलता की कहानी | Natraj Pencil Success Story In Hindi 

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Natraj Pencil Success Story In Hindi

स्टेशनरी जगत में कुछ नाम ऐसे हैं, जिन्होंने लोगों के दिलों में अपनी एक खास जगह बना रखी है। इसमें से ही एक नाम है – नटराज पेंसिल (Natraz Pencil)। स्कूल की प्यारी यादों में नटराज पेंसिल की यादें भी सबके दिलों में बसती है। भारत में अधिकांश बच्चों ने नटराज पेंसिल ही अपने नन्हें नन्हें हाथों में थामकर लिखना सीखा था। इसलिए यह महज पेंसिल नहीं, बल्कि एक भावना है, जिससे बचपन की यादें जुड़ी हुई हैं।

नटराज पेंसिल के मालिक है ‘हिंदुस्तान पेसिंल्स प्राइवेट लिमिटेड‘ (Hindustan Pencils Pvt. Ltd.)। मुंबई में स्थित हिंदुस्तान पेंसिल्स प्राइवेट लिमिटेड भारत की सबसे बड़ी पेंसिल मैन्युफैक्चरर कंपनी है। दुनिया के 50 से अधिक देशों में इसके विभिन्न प्रोडक्ट्स निर्यात किए जाते हैं। इस कंपनी की शुरुवात की तकरीबन 65 वर्ष पहले वर्ष 1958 में की गई थी और आज भी यह अनवरत अपनी सफलता की कहानी लिख रही है। 

नटराज पेंसिल की सफलता की कहानी गुणवत्ता, नवाचार, और ग्राहकों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है। चलिए, हम नटराज पेंसिल के अद्भुत सफर की ओर बढ़ते हैं।

Natraj Pencil Success Story In Hindi 

ब्रिटिश काल और भारत में पेंसिल का व्यवसाय

ब्रिटिश शासन काल में पेंसिल का विदेश से आयात होता है और पेंसिल के लिए हमारी निर्भरता पूर्णतः विदेशी कंपनीज पर थी। इंग्लैंड, जर्मनी व जापान से पेंसिल्स का आयात किया जाता था। भारतीय व्यवसायियों ने भारत में तब तक पेंसिल निर्माण और बिक्री की शुरुवात नहीं की, जब तक द्वितीय विश्व युद्ध न आ गया और उस दौरान विदेशों से आने वाली पेंसिल की सप्लाई बंद न हो गई।

विदेशों से पेंसिल की आपूर्ति बंद हो जाने पर भारतीय व्यवसायियों ने स्वयं ही भारत में पेंसिल निर्माण की शुरुआत की और मद्रास, कलकत्ता व बॉम्बे में पेंसिल के कई कारख़ाने शुरू किए गए। लेकिन नया नया व्यवसाय और अनुभव की कमी के कारण उन पेंसिल की गुणवत्ता विदेशों पेंसिल के मुकाबले कमतर थी। फिर भी भारतीय पेंसिल kav कारोबार किसी तरह चला, लेकिन तब तक, जब तक द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त नहीं हो गया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद फिर से विदेश से पेंसिल आयात होने लगी और भारतीय पेंसिल उन पेंसिलों के सामने टिक नहीं पाई और फिर से देशभर में विदेशी पेंसिल का प्रयोग आम हो गया।

भारत की आजादी के बाद पेंसिल निर्माताओं ने अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए सरकार से निवेदन किया कि वे आयतित पेंसिल पर प्रतिबंध लगा दें, ताकि भारतीय पेंसिल को उनसे प्रतियोगिता का सामना न करना पड़ा और वे मार्केट में अपना दबदबा बना सकें। सरकार द्वारा की गुहार विदेशी पेंसिलों के आयात पर प्रतिबंध लगाए। लेकिन भारतीय पेंसिल की गुणवत्ता अच्छी न होने के कारण वे ग्राहकों की नजरों में चढ़ न सकीं और नकार दी गई। इस तरह भारतीय पेंसिल उद्योग की लचर शुरुवात हुई।

नटराज पेंसिल का इतिहास | Natraj Pencil Company History In Hindi 

भारतीय पेंसिल निर्माताओं के लचर व्यवसायिक स्थिति को देखने के बाद भी तीन दोस्तों बीजे सांघवी (जिन्हें बाबूभाई बुलाया जाता था), रामनाथ मेहरा और सूकानी ने पेंसिल निर्माण के क्षेत्र में हाथ आजमाने का फैसला किया। तीनों ने मिलकर 1958 में हिन्दुस्तान पेंसिल्स प्रा. लि की नींव डाली।

उनका उद्देश्य उच्च गुणवत्ता के पेंसिल बनाने का था, जो न केवल सस्ते हों, बल्कि भारतीय बाजार की मांगों को भी पूरा करते। इसके लिए उन्होंने जर्मनी जाकर पेंसिल बनाने के गुर सीखे और वहां से भारत लौटकर अपनी जो पहली पेंसिल लॉन्च की, उसका नाम नटराज पेंसिल (Natraj Pencil) रखा। नटराज पेंसिल की गुणवत्ता बेहतरीन थी और वह सस्ते दाम पर उपलब्ध थी। धीरे धीरे उसने भारतीय मार्केट में अपनी पकड़ बना ली और लोगों के बीच लोकप्रिय हो गई।

अप्सरा पेंसिल की शुरुआत | Apsara Pencil Comany History In Hindi 

नटराज पेंसिल की सफलता के बाद हिन्दुस्तान पेंसिल्स प्रा. लि ने 70 के दशक में अप्सरा पेंसिल (Apsara Pencil) को लॉन्च किया। नटराज पेंसिल जहां लंबी अवधि तक चलने वाली गुणवत्ता पूर्ण मजबूत पेंसिल के रूप में प्रचारित की गई, वहीं अप्सरा पेंसिल ने सुंदर हैंडराइट वाली पेंसिल के तौर पर मार्केट में पैर पसारा। 90 के दशक तक इन दोनों ब्रांड्स के साथ हिन्दुस्तान पेंसिल्स प्रा. लि ने स्टेशनरी के कई अन्य आइटम्स भी कवर करने शुरू कर दिए।

नटराज पेन्स की शुरुआत | Natraj Pen History In Hindi 

हिन्दुस्तान पेंसिल्स प्रा. लि कंपनी ने वर्ष 2007 में नटराज पेन्स का निर्माण शुरू किया। इस तरह पेन के सेगमेंट में भी उन्होंने कदम रख दिया और स्टेशनरी के हर सेगमेंट में अपने पैर पसारने लगे।

नटराज पेंसिल ब्रांड  | Natraj Pencil Brand & Products 

आज की तारीख में नटराज ब्रांडनेम के साथ हिन्दुस्तान पेंसिल्स प्रा. लि कंपनी पेंसिल, कलर पेंसिल, पेन, स्केल्स, कटर, मैकेनिकल पेंसिल्स, मैथामेटिकल इंस्ट्रूमेंट्स आदि का निर्माण कर विक्रय करती है। 

अप्सरा ब्रांडनेम पेंसिल, कलर पेंसिल्स, प्रोफेशनल पेंसिल्स, आर्ट मैटेरियल्स, पेन, इरेजर, शार्पनर, स्केल्स, इंस्ट्रूमेंट सेट्स, चॉक, किट्स आदि के साथ जुड़ा हुआ है।

नटराज पेंसिल फैक्ट्री | Natraj Pencil Factory 

हिंदुस्तान पेंसिल्स के अनुसार, उनकी भारत में 5 भिन्न स्थानों पर 10 फैक्ट्रियां संचालित हैं, जहां प्रतिदिन तकरीबन 85 लाख पेंसिल, 17 लाख शार्पनर, 27 लाख इरेजर, 3 लाख स्केल, और 10 लाख पेन का निर्माण होता है। 

कंपनी ने अपने प्रोडक्ट में कभी गुणवत्ता से समझौता नहीं किया और आज भी गुणवत्ता मानकों का सख्ती से पालन करती आ रही है। इसलिए अपने सभी छोटे कंपोनेंट्स, जैसे कि पेंसिल लैकर, शार्पनर ब्लेड, स्क्रू, और पेन के टिप आदि की वे इन-हाउस मैन्युफैक्चरिंग करते है। 

नटराज पेंसिल कंपनी का मालिक |Natraj Pencil Company Owner

बीजे सांघवी, रामनाथ मेहरा और सूकानी ने हिन्दुस्तान पेंसिल्स प्रा. लि कंपनी की नींव रखी थी, जिसका ब्रांड नटराज पेंसिल हैं। सांघवी परिवार द्वारा वर्तमान में हिंदुस्तान पेंसिल्स का संचालन किया जा रहा है। नटराज के प्रमुख प्रतिस्पर्धी कैमलिन और डोम्स पेंसिल्स हैं।

नटराज पेंसिल की सफलता के कारण | Natraj Pencil Success Reasons In Hindi 

1. नवाचार

नटराज पेंसिल ने हमेशा नवाचार पर ध्यान दिया और अपनी पेंसिल में नए प्रयोग करते रहे। जिससे पेंसिल पहले से बेहतर होती रही और लंबे समय बाद भी आज भी मार्केट में और लोगों के बीच अपनी पकड़ बनाए हुए है।

2. गुणवत्ता

नटराज कभी गुणवत्ता से समझौता नहीं करता। प्रारंभ से ही गुणवत्ता उनकी पहली प्राथमिकता रही है। “नटराज 621” पेंसिल, विशेष रूप से अपनी टिकाऊता और सुगम लेखन अनुभव के लिए जानी जाती थी। यही बात अन्य पेंसिल और प्रोडक्ट पर भी लागू होती है। 

3. क्षेत्र विस्तार

नटराज एक क्षेत्र तक सीमित नहीं रही, बल्कि उन्होंने अपने प्रोडक्ट रेंज में विस्तार किया। उनके ब्रांड नेम के अंतर्गत आज विभिन्न प्रकार की पेंसिल, पेन, ड्राइंग पेंसिल, शार्पनर, इरेजर, कटर और स्टेशनरी सामग्री मार्केट में उपलब्ध है। 

4. पर्यावरण का खयाल

नटराज ने पर्यावरण का हमेशा खयाल रखा। पेंसिल बनाने के लिए वे खुद के प्लांटेशन पर ध्यान देते है और जंगल की लकड़ी का इस्तेमाल नहीं करते। कंपनी द्वारा पेंसिल निर्माण प्रक्रिया में उपयोग किए जा रहे सभी मटेरियल नॉन-टॉक्सिक प्रकृति हैं, जो नुकसान दायक नहीं है। 

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FAQ (Frequently Asked Questions)

नटराज पेंसिल का निर्माता कौन है?

नटराज पेंसिल का निर्माता हिन्दुस्तान पेंसिल्स प्रा. लि कंपनी है।

नटराज पेंसिल कंपनी का मालिक कौन है?

नटराज पेंसिल की शुरुआत तीन दोस्तों बीजे सांघवी रामनाथ मेहरा और सूकानी द्वारा की है। वर्तमान में सांघवी परिवार के हाथों बिजनेस की कमान है।

नटराज पेंसिल कंपनी कितने साल की है?

नटराज पेंसिल की नींव 1958 में रखी गई थी। इस प्रकार आज वर्ष 2023 में ये कंपनी 65 साल पूरे कर चुकी है।

नटराज पेंसिल का अविष्कार कब हुआ?

नटराज पेंसिल का अविष्कार वर्ष 1958 में हुआ था

नटराज पेंसिल बॉक्स में कितनी पेंसिल होती है?

नटराज पेंसिल बॉक्स में 10 पेंसिल होती है।

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