शेर और चूहा की कहानी | The Lion And The Mouse Story In Hindi

शेर और चूहा की कहानी (Sher Aur Chuha Ki Kahani ) The Lion And The Mouse Story In Hindi Written With Moral) बच्चों की लोकप्रिय शिक्षाप्रद नैतिक कहानी है. Sher Aur Chuha Ki Hindi Mein Kahani उपकार के फल के बारे में बताती है और सबसे मिलजुल कर रहने और भेदभाव न करने की सीख देती है.

Sher Aur Chuha Ki Kahani

Sher Aur Chuha Ki Kahani
Sher Aur Chuha Ki Kahani

एक जंगल में एक बलशाली शेर रहता था. जंगल के सारे जानवरों ने उसे अपना राजा माना हुआ था. शेर को अपने बल पर बड़ा घमंड था. वह अपने सामने अन्य जानवरों को बहुत तुच्छ समझता था और उन्हें हीन दृष्टि से देखता था. जंगल के सारे जानवर उससे डरते थे और उससे दूर भागते थे.

एक दिन वह जंगल में शिकार की तलाश में निकला और शिकार करने के बाद खा-पीकर नदी किनारे एक पेड़ के नीचे आराम करने लगा. वह मज़े से सो रहा था कि कहीं से एक शरारती चूहा वहाँ आ गया और खेलने लगा. खेलते-खेलते उसे पता ही नहीं चला कि कब वो शेर की पीठ पर चढ़ गया. अपनी मस्ती में वह शेर की पीठ इधर-उधर भागने लगा और उछलकूद मचाने लगा.

उसकी इस धमाचौकड़ी से शेर की नींद टूट गई. उसने आँखें खोली, तो चूहे को अपनी पीठ पर उछलते-कूदते और धमाचौकड़ी करते हुए देखा. ये देखकर उसका  गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया. उसने चूहे को अपने पंजे में जकड़ लिया और गरजते हुए बोला –

“पिद्दी से चूहे! तेरी ये हिम्मत कि तू जंगल के राजा के ऊपर चढ़कर उधम मचाये. तुझे अपनी जान की परवाह नहीं है. समझ ले आज तेरी मौत आई गई है. मरने के लिए तैयार हो जा.”

शेर के पंजों में जकड़ा चूहा डर के मारे थर-थर कांपने लगा. उसे अपनी मौत सामने नज़र आने लगी. जैसे ही शेर उसे अपने पंजों में मसलने को हुआ, वह  जान बचाने के लिए शेर से विनती करने लगा –

“शेर महाराज! मुझे क्षमा कर दीजिये. मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई कि मैंने आपकी नींद में खलल डाल दिया. आइंदा से ऐसी भूल कभी नहीं होगी. मुझ पर उपकार कीजिये और मुझे मत मारिये. अगर आप मेरी जान बख्श देंगे, तो मैं जीवन भर आपका ये उपकार नहीं भूलूंगा और समय आने पर आपके इस उपकार का मोल अवश्य चुकाऊंगा.”

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चूहे की बात सुनकर शेर हँसने लगा और उसे हीन दृष्टि से देखते हुए बोला, “तू अदना सा चूहा, भला मेरे लिए क्या कर पायेगा? जानता नहीं, मैं जंगल का राजा हूँ. मुझ सा बलशाली इस जंगल में कोई नहीं. जा फिर भी दया कर मैं तुझे छोड़ देता हूँ. लेकिन आइंदा से मेरे साथ ऐसी गुस्ताखी कभी मत करना. चल भाग यहाँ से!”

इस तरह दया करके शेर ने चूहे को छोड़ दिया. चूहा शेर का धन्यवाद कर वहाँ से चला गया. समय बीतता गया. शेर तो चूहे को भूल गया, लेकिन चूहा शेर का उपकार नहीं भूला.

एक दिन शेर जंगल में शिकार की तलाश में निकला. उन दिनों शिकारियों ने जंगल में जगह-जगह जाल बिछाये हुए थे. शेर घूमते-घूमते शिकारी के बिछाये जाल में फंस गया. वह जाल से निकलने का प्रयास करने लगा, लेकिन वह जितना प्रयास करता, उतना ही जाल में उलझता जाता. अंत में वह सहायता के लिए जोर-जोर से दहाड़ने लगा.   

उसी समय वही चूहा वहाँ से गुज़र रहा था. उसने शेर की दहाड़ सुनी, तो उसके पास पहुँचा. वहाँ उसने देखा कि शेर जाल में बुरी तरह फंसा हुआ है. उसे शेर का उपकार चुकाने का अवसर मिल गया था. बिना देर किये वह अपने नुकीले दांतों से शिकारी के जाल को काटने लगा. कुछ ही देर में उसने जाल काट दिया और शेर को आज़ाद कर दिया.

जान बचने के लिए शेर चूहे का धन्यवाद करने लगा, तब चूहा बोला, “महाराज! अपने मुझे पहचाना नहीं. मैं वही चूहा हूँ, जिस पर एक दिन आपने उपकार किया था.”

शेर को गलती समझ आई कि उसने चूहे की शारीरिक बनावट देखकर उसे कितना कम आंका था. लेकिन आज वह अदना सा चूहा नहीं होता, तो वह शिकारी द्वारा पकड़ लिया जाता. उसने उसी समय निर्णय किया कि अब वह कभी छोटे-बड़े का भेदभाव नहीं करेगा. उस दिन से शेर बदल गया और सबसे मिल-जुलकर रहने लगा.

शेर और चूहा कहानी की शिक्षा (Sher Aur Chuha Ki Kahani Moral)

  • उपकार कभी व्यर्थ नहीं जाता, उसका मोल अवश्य किसी न किसी रूप में अवश्य प्राप्त होता है.
  • किसी भी प्राणी की काबिलियत उसके बाहरी स्वरुप से नहीं आंकनी चाहिए.
  • कभी छोटे-बड़े का भेदभाव नहीं करना चाहिए.

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