घमंडी गधा की कहानी, The Arrogant Donkey Story In Hindi, Ghamandi Gadha Ki Kahani, Do Gadhon Ki Kahani इस लेख में शेयर की जा रही है।
The Arrogant Donkey Story In Hindi
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शाम का समय था। एक जौहरी और लोहे का व्यापारी अपने अपने गधों के साथ जंगल पार कर रहे थे। लोहे के व्यापारी के गधे की पीठ पर लोहे की छड़ लदी हुई थीं, वहीं जौहरी के गधे की पीठ पर हीरे जवाहर और सोने के गहने लदे हुए थे।
जौहरी के गधे को इस बात का घमंड था कि उसकी पीठ पर हीरे जवाहरात और गहनें लदे हैं। वह लोहे के व्यापारी के गधे को नीचा समझ रहा था और अपने घमंड में बार बार उसका अपमान कर रहा था।
“क्या किस्मत है तुम्हारी, जो लोहे की छड़ लादे हुए हो। किस्मत हो, तो मेरे जैसे!” जौहरी का गधा लोहे के व्यापारी के गधे को नीचा दिखाकर बोला।
“जैसी भी किस्मत है मेरी, मैं अपने जीवन से संतुष्ट हूं।” लोहे के व्यापारी के गधे ने उत्तर दिया।
जौहरी का गधा हंसने लगा।
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कुछ देर में अंधेरा घिर गया। दोनों व्यापारी अपने गधों के साथ एक पेड़ के नीचे सुस्ताने के लिए रुक गए। तभी डाकुओं ने उन पर हमला कर दिया। दोनों व्यापारी अपने गधों को लेकर भाग गए।
डाकुओं के सामने दो गधे रह गए। उन्होंने देखा कि एक गधे पर लोहे की छड़ लदी है और एक पर हीरे जवाहरात और गहनें। उन्होंने लोहे के व्यापारी के गधे को भगा दिया, क्योंकि उसके पास ज्यादा कीमती सामान नहीं था। जौहरी के गधे को उन्होंने पकड़कर रख लिया और उसकी पीठ पर लदे थैले से सामान निकालने लगा। घमंडी गधा विरोध करने लगा, तब डाकुओं ने लठ्ठ से उसकी खूब मरम्मत की। अब जौहरी के गधे को अपनी किस्मत खराब लगने लगी। उसे अपने घमंड का फल मिल चुका था।
सीख (Moral Of Ghamandi Gadha Story)
हमेशा विनम्र रहना चाहिए और कभी किसी को नीचा नहीं दिखाना चाहिए।
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