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वड़ा पाव बेचकर खड़ी की करोड़ों की कंपनी | Venkatesh Ayyar Owner Goli Vada Pav Success Story In Hindi  

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Venkatesh Ayyar Owner Goli Vada Pav

“पढ़ोगे नहीं, तो वड़ा पाव बेचोगे।” बचपन में मिले इस ताने ने वेंकटेश अय्यर के जीवन की दिशा निर्धारित कर दी और आज उन्होंने वड़ा पाव बेचकर देश में ही नहीं विदेशों में भी अपनी सफलता के परचम गाड़ दिए हैं। उनकी कंपनी “गोली वड़ा पाव” आज 50 करोड़ की कंपनी बन चुकी हैं। छोटे से आइडिया और विजन से शुरू गई इस कंपनी की सफलता का आलम ये है कि हार्वर्ड बिजनेस स्कूल, आईएमडी स्विट्जरलैंड और आईएसबी हैदराबाद जैसे संस्थान उसकी सफलता की केस स्टडी करने आ चुके हैं।

कैसे वड़ा पाव बेचकर वेंकटेश ने खड़ी की करोड़ों की कंपनी, आइए जानते हैं गोली वड़ा पाव की सफलता की कहानी (Goli Vada Pav Success Story In Hindi) में :

Venkatesh Ayyar Owner Goli Vada Pav Success Story In Hindi

वेंकटेश अय्यर एक मध्यमवर्गीय तमिल ब्राह्मण परिवार में जन्मे। हर मध्यवर्गीय परिवार के अभिभावकों की तरह वेंकटेश के माता पिता भी चाहते थे कि उनका बेटा पढ़कर लिखकर किसी अच्छी कंपनी में नौकरी करे। वे चाहते थे कि वेंकटेश इंजीनियर, डॉक्टर या चार्टर्ड एकाउंटेंट बनकर अपनी जिन्दगी संवारे और उनका नाम रोशन करे। पढ़ाई के लिए जोर देते हुए अक्सर वे उन्हें कहा करते थे कि पढ़ो लिखो, नहीं तो वड़ा पाव बेचना पड़ेगा। इस समय उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनका बेटा बड़ा होकर वास्तव में वड़ा पाव बेचेगा और उसकी 350 करोड़ की कंपनी होगी।

पढ़ाई पूरी करने के बाद वेकंटेश बैंकिंग सेक्टर से जुड़ गए। उन्होंने इन्वेस्टमेंट बैंकर के तौर पर तकरीबन 20 सालों तक काम किया। लेकिन वे कुछ अलग करना चाहते थे और हमेशा इस बारे में विचार करते रहते थे। एक दिन जब वे मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनल (वीटी स्टेशन) पर खड़े एक ठेले पर वड़ा पाव खा रहे थे। वहीं उनकी नज़र वहां लगे एक बड़े बैनर पर पड़ी। वो बैनर था मैक्डोनल्ड का। उन्होंने बैनर पर शान से चमक रहे बर्गर को देखा और अपने हाथ में पेपर में लिपटे वड़ा पाव को। दोनों दिखने में काफ़ी मिलते जुलते थे। वेंकटेश ने सोचा कि विदेशी बर्गर भारत में इतना फेमस है और उससे ही मिलता जुलता वड़ा पाव भारत का होने के बावजूद लोगों के बीच उतना फेमस नहीं है। उन्हें लगा कि सही तरह से ब्रांडिंग और मार्केटिंग की जाए, तो वड़ा पाव भी मैक्डोनल्ड के बर्गर जैसा फेमस हो सकता है। 

खाने पीने के शौकीन तो वे थे ही, बस ठान लिया कि बैंक की नौकरी छोड़कर वड़ा पाव बेचेंगे। वड़ा पाव बेचने के पीछे का तर्क ये था कि ये जल्दी बनने वाला, आसानी से हाथ में पकड़कर चलते फिरते आराम से खाया जा सकने वाला फास्ट फूड स्नैक्स है और इसी वजह से मुंबई में काफ़ी फेमस हैं। स्कूल, कॉलेज और ऑफिस पार्टी में वड़ा पाव काफ़ी फेमस था। इसलिए उन्हें इसकी भारत के अन्य राज्यों में भी बिकने की संभावना दिखाई दी और वर्ष 2004 में उन्होंने सह संस्थापक शिव मेनन के साथ मिलकर गोली वड़ा पाव (Goli Vada Pav) के नाम से अपनी कंपनी शुरू कर दी। 

कंपनी का नाम गोली वड़ा पाव रखने के पीछे एक अलग कहानी है। वड़ा पाव में पाव के बीच में स्टफ किया जाने वाला वड़ा बेसन के घोल में उबले आलू का मसाला डुबोकर बनाया जाता है, जिसे मुम्बई में ‘ गोली’ कहा जाता है। उस ‘गोली’ शब्द से ही वेंकटेश ने अपनी कंपनी का नाम गोली वड़ा पाव रख दिया।

पढ़ें : गोली वड़ा पाव की फ्रेंचाइज़ी कैसे लें?

गोली वड़ा पाव का मुख्य स्टोर मुंबई के कल्याण में शुरू किया और विभिन्न स्थानों पर 15 आउटलेट्स खोले गए। उनका सेंट्रलाइज किचन था, जहां से सभी आउटलेट्स में वड़ा पाव की सप्लाई की जाती थी। लेकिन इस सिस्टम में कई समस्याएं थी। सबसे बड़ी समस्या वेस्टेज की थी। पाव में स्टफ किए जाने वाले बने आलू पेटीस हाथ से बनाए जाते थे, जिनकी शेल्फ लाइफ कम थी और गुणवत्ता भी उतनी अच्छी नहीं थी। शेफ बदल देने पर वड़ा पाव का स्वाद बदल जाता था। कच्चे माल की बढ़ती लागत भी एक बड़ी समस्या थी। 

इन समस्याओं से डील करने के लिए उन्होंने विस्टा प्रोसेस्ड फूड्स नामक कंपनी से का टाई-अप किया। विस्टा प्रोसेस्ड फूड्स एक अमेरिकी कंपनी OSI की सहायक कंपनी थी। भारत में संचालित होने वाले मैक्डोनल्ड के लिए फ्रोजन वेजिटेबल और चिकन पेटीस सप्लाई करने का जिम्मा इसी कंपनी का था। वे गोली वड़ा पाव को फ्रोजन पेटीस सप्लाई करने लगे। इस प्रकार आलू पेटीस की शॉर्ट शेल्फ लाइफ की समस्या का निराकरण हुआ। वेंकटेश ने अपने आउटलेट्स के किचन में ऑटोमैटिक फ्रायर मशीन इंस्टॉल की। इस प्रकार उनके वड़ा पाव जल्दी बनने लगे और गुवत्ता में भी इजाफा हुआ।

उसी दौरान वेंकटेश को कुछ भारतीय इंवेस्टर्स के द्वारा इस शर्त पर फंडिंग प्राप्त हुई, कि वे अपना बिजनेस 3 महीने में ही स्केल अप करेंगे। वेंकटेश ने मुंबई में जगह जगह स्थापित राज्य द्वारा संचालित 350 मिल्क कियोस्क के द्वारा वड़ा पाव बिक्री की योजना बनाई और कार्य प्रारंभ भी किया, किंतु लोकल पॉलिटिक्स में उलझ कर रह गए।

वर्ष 2008 में वेंकटेश फिर से फंडिंग उठाने की सोच रहे थे कि उनके 5 मुख्य इंवेस्टर्स ने हाथ खींच लिए और उनकी कंपनी बर्बाद होते होते बची। उस समय कंपनी ने मिल्क कियोस्क के द्वारा वड़ा पाव की बिक्री में काफ़ी पूंजी लगा दी थी।

ये वह वक्त था, जब वेंकटेश को समझ आया कि मुंबई में वड़ा पाव बेचने की जगह उन्हें दूसरे राज्यों में ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने दक्षिण और पश्चिम भारत के सेकंड टियर शहरों में फोकस किया, जहां ब्रांडेड गुड चैन की उतनी पहुंच नहीं थी। वहां उन्हें अपना ब्रांड स्थापित करने में कम प्रतियोगिता का सामना करना पड़ा और वो शहर मुंबई जैसे मेट्रो शहर की तुलना में सस्ते थे, जिससे वहां आउटलेट खोलना अपेक्षाकृत सस्ता था। लोकल मीडिया द्वारा गोली वड़ा पाव को अच्छा कवरेज भी दिया गया और वेंकटेश का ये निर्णय सही साबित हुआ।

धीरे धीरे गोली वड़ा पाव ने अपनी फ्रेंचाइजी देनी शुरू की और उनके व्यवसाय का विस्तार होता चला गया। वड़ा पाव के साथ भी उन्होंने कई एक्सपेरिमेंट किए और कई तरह और स्वाद के वड़ा पाव अपने मेन्यू में शामिल किए, जैसे – आलू टिक्का वड़ा पाव, पनीर वड़ा पाव, शेज़वान, मिक्स वेज, पालक मकई, पनीर वड़ा पाव आदि। उनके ये एक्सपेरिमेंट सफल भी रहे और लोगों द्वारा विभिन्न स्वाद के वड़ा पाव पसंद भी किए। गोली वड़ा पाव ने अपने प्रॉडक्ट की गुणवत्ता का हमेशा ध्यान रखा और यही वजह है कि गोली वड़ा पाव लोगों के बीच फेमस होता चला गया और कंपनी सफलता की सीढ़ियां चढ़ती गई।

आज गोली वड़ा पाव (Goli Vada Pav) के भारत के 20 राज्यों के 100 से भी अधिक शहरों में 350 से भी अधिक आउटलेट्स हैं और कंपनी का टर्नओवर (Goli Vada Pav Turnover) 50 करोड़ से भी ऊपर है। एक आइडिया ज़िंदगी बदल देता है। वेंकटेश अय्यर ने मैकडोनाल्डस के बैनर को देखकर वड़ा पाव पूरे भारत में फेमस करने का विचार किया और आज उस विचार की बदौलत वे करोड़पति हैं। 

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