तुलसीदास की जीवनी  | Tulsidas Biography In Hindi

तुलसीदास की जीवनी (Tulsidas Biography In Hindi) Tulsidas Ki Jivani इस पोस्ट में शेयर की जा रही है।

तुलसीदास भारतीय साहित्य और भक्ति आंदोलन के एक प्रमुख कवि और संत थे। उन्होंने रामचरितमानस, विनय पत्रिका, और हनुमान चालीसा जैसी कई महान काव्य रचनाएँ लिखीं, जो आज भी हिंदू धर्म में अत्यधिक पूजनीय हैं। उनके जीवन और कृतित्व ने भारतीय समाज और साहित्य पर गहरा प्रभाव डाला।

Tulsidas Biography In Hindi

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तुलसीदास का प्रारंभिक जीवन

तुलसीदास का जन्म 1532 ई. (संवत 1589) में उत्तर प्रदेश के राजापुर गाँव में हुआ माना जाता है। उनके पिता का नाम आत्माराम दुबे और माता का नाम हुलसी था। कहा जाता है कि तुलसीदास का जन्म अशुभ माना गया था, जिससे उनके माता-पिता ने उन्हें त्याग दिया। उनकी देखभाल एक ब्राह्मण महिला ने की।

तुलसीदास की शिक्षा और विवाह

तुलसीदास को बचपन से ही रामायण की कथाएँ सुनने का शौक था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने के बाद, उनका विवाह रत्नावली नामक एक कन्या से हुआ। विवाह के बाद तुलसीदास अपनी पत्नी के प्रति अत्यधिक आसक्त थे। एक प्रसंग के अनुसार, एक बार जब उनकी पत्नी मायके गईं, तो तुलसीदास रात में ही उनसे मिलने चल पड़े। रत्नावली ने इस पर उनसे कहा, “मेरे प्रति इतना मोह है, यदि इतना ही प्रेम भगवान राम के प्रति होता, तो जीवन सफल हो जाता।” इस घटना ने तुलसीदास के जीवन को बदल दिया और उन्होंने गृहस्थ जीवन त्याग कर भक्ति के मार्ग पर चलने का निर्णय लिया।

तुलसीदास की भक्ति यात्रा

तुलसीदास ने अनेक तीर्थ यात्राएँ कीं और अपने समय के कई संतों और विद्वानों से मुलाकात की। उन्होंने रामचरितमानस की रचना काशी (वर्तमान वाराणसी) में की। काशी में उन्हें हनुमान जी की कृपा प्राप्त हुई और रामचरितमानस की रचना के लिए प्रेरणा मिली।

तुलसीदास की प्रमुख रचनाएँ

तुलसीदास की रचनाएँ भारतीय साहित्य में अद्वितीय स्थान रखती हैं। उनकी प्रमुख कृतियाँ निम्नलिखित हैं:

1. रामचरितमानस : यह उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना है, जिसमें उन्होंने रामायण की कथा को अवधी भाषा में काव्य रूप में प्रस्तुत किया है। रामचरितमानस को हिंदी साहित्य का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है।

2. विनय पत्रिका : यह तुलसीदास की भक्ति कविताओं का संग्रह है, जिसमें भगवान राम के प्रति उनकी भक्ति और विनय प्रकट होती है।

3. हनुमान चालीसा : यह 40 छंदों का एक भक्ति काव्य है, जो भगवान हनुमान की स्तुति में लिखा गया है। हनुमान चालीसा आज भी लाखों लोगों द्वारा दैनिक प्रार्थना के रूप में पढ़ी जाती है।

4. कवितावली : यह तुलसीदास की कविताओं का संग्रह है, जिसमें उन्होंने राम की महिमा और उनके जीवन के विभिन्न प्रसंगों को वर्णित किया है।

तुलसीदास समाज सुधारक के रूप में

तुलसीदास ने अपने समय के समाज में व्याप्त कुरीतियों और अंधविश्वासों का विरोध किया। उन्होंने अपने काव्य के माध्यम से समाज में भक्ति और नैतिकता का प्रचार किया। तुलसीदास ने हिंदू धर्म को एक सरल और सुलभ रूप में प्रस्तुत किया, जिससे आम जनता भी धर्म और भक्ति के मार्ग पर चल सकी।

तुलसीदास की भाषा और शैली

तुलसीदास ने अपनी रचनाओं में अवधी और ब्रज भाषा का प्रयोग किया, जिससे उनकी रचनाएँ आम जनता के बीच लोकप्रिय हो गईं। उनकी भाषा सरल, सहज और प्रभावशाली है। तुलसीदास की शैली में भक्ति, प्रेम, करुणा और दार्शनिकता का अद्वितीय मेल है, जो उनके काव्य को अमर बना देता है।

तुलसीदास की मृत्यु और विरासत

तुलसीदास का निधन 1623 ई. (संवत 1680) में काशी में हुआ। उनके जीवन और कृतित्व ने भारतीय समाज और संस्कृति पर अमिट छाप छोड़ी। तुलसीदास की रचनाएँ आज भी भारतीय साहित्य और भक्ति आंदोलन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनकी शिक्षाएँ और काव्य हमें नैतिकता, भक्ति और मानवीय मूल्यों की प्रेरणा देते हैं।

निष्कर्ष

तुलसीदास का जीवन और साहित्य भारतीय भक्ति आंदोलन का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। उन्होंने रामचरितमानस के माध्यम से भगवान राम की कथा को जन-जन तक पहुँचाया और भक्ति को सरल और सुलभ बनाया। उनके काव्य में गहन भक्ति, प्रेम और करुणा के भाव हैं, जो आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं। तुलसीदास की रचनाएँ हमें जीवन में नैतिकता, भक्ति और सद्गुणों को अपनाने की प्रेरणा देती हैं और उनकी शिक्षाएँ हमारे जीवन को सही दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करती हैं।

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