बदसूरत बत्तख की कहानी | The Ugly Duckling Story In Hindi

बदसूरत बत्तख की कहानी (The Ugly Duckling Story In Hindi Fairy Tale) Badsurat Battakh Ki Kahani यहां प्रस्तुत है।

The Ugly Duckling Story In Hindi

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The Ugly Duckling Story In Hindi

एक बार की बात है, एक सुंदर और हरा-भरा बगीचा था जिसमें एक तालाब था। उस तालाब के किनारे एक बत्तख माँ ने अपने अंडों को सेने के लिए एक घोंसला बनाया। बत्तख माँ बड़े ही धैर्य से अपने अंडों को सेती रही और एक दिन, उसके अंडों में से सुंदर-सुंदर बत्तख के बच्चे निकलने लगे।

लेकिन उनमें से एक अंडा बाकी अंडों से थोड़ा बड़ा और अजीब था। माँ बत्तख को भी इस अंडे से थोड़ा अचंभा हुआ, लेकिन उसने धैर्य रखा और उसे भी सेती रही। कुछ दिनों बाद, जब आखिरी अंडा फूटा, तो उसमें से एक बहुत ही अजीब और भद्दा सा बच्चा निकला। उसका रंग धूसर था, उसकी गर्दन लंबी थी, और उसका आकार भी बाकी बत्तख के बच्चों से अलग था।

बाकी बत्तख के बच्चे सुंदर और पीले-पीले थे, लेकिन यह बच्चा बिलकुल अलग था। सभी जानवर और पक्षी उसकी शक्ल देखकर उसका मजाक उड़ाने लगे। माँ बत्तख ने उसे बहुत प्यार और दुलार दिया, लेकिन बाकी जानवर उसे अपनाने को तैयार नहीं थे। सब उसे “अगली डकलिंग” कहकर बुलाने लगे।

तालाब के किनारे के बाकी जानवर और पक्षी उसे देखकर मजाक उड़ाते और उसकी खिल्ली उड़ाते। यहाँ तक कि उसके खुद के भाई-बहन भी उसे ताने मारते और दूर रहने की कोशिश करते। वह बेचारा अगली डकलिंग बहुत दुखी हो गया और अक्सर सोचता कि काश वह भी बाकी बत्तख के बच्चों की तरह सुंदर होता।

एक दिन, वह अपनी उदासी और अपमान से तंग आकर घोंसला छोड़कर चल पड़ा। उसने सोचा कि कहीं दूर जाकर वह शांति से रह सकेगा। वह तालाब से दूर एक घने जंगल में चला गया। वहाँ उसने कई तरह के पक्षी और जानवर देखे, लेकिन हर जगह उसकी बदसूरती के कारण उसे ताने मिलते रहे।

उसने कई स्थानों पर शरण ली, लेकिन हर जगह उसे अपमान ही सहना पड़ा। वह अपनी किस्मत से बहुत निराश हो चुका था और सोचता था कि शायद उसकी पूरी जिंदगी इसी तरह तानों और अपमान में बीत जाएगी। समय बीतता गया और ठंड का मौसम आ गया। वह अकेला, ठंड से काँपता हुआ, जंगल में भटकता रहा।

एक दिन, ठंड से बचने के लिए वह एक बुढ़िया के झोपड़ी में चला गया। बुढ़िया ने उसे सहारा दिया, लेकिन उसके घर के मुर्गा और बिल्ली ने उसे परेशान करना शुरू कर दिया। फिर भी बुढ़िया के प्रेम के कारण वह वहाँ कुछ समय तक रहा, लेकिन फिर वहाँ से भी निकलना पड़ा।

वह ठंड से काँपता हुआ और दुखी मन से एक बर्फीले तालाब के किनारे पहुँच गया। वहाँ उसने कई सुंदर हंसों का एक झुंड देखा, जो तालाब में तैर रहे थे। वे बहुत ही सुंदर और शालीन थे। अगली डकलिंग उन्हें देखकर मंत्रमुग्ध हो गया और उनकी सुंदरता पर मोहित हो गया। उसने सोचा कि काश वह भी इन हंसों जैसा सुंदर होता।

एक दिन, वह बहुत दुखी होकर हंसों के पास चला गया। उसने सोचा कि ये हंस उसे मार डालेंगे, क्योंकि वह बहुत बदसूरत था। लेकिन उसकी आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब हंसों ने उसे अपने बीच में स्वागत किया। उन्होंने उसे स्नेह और प्यार से गले लगा लिया। उसे यह समझ में नहीं आया कि आखिर ये सुंदर हंस उसे क्यों अपना रहे हैं।

उसी समय, उसने तालाब के पानी में अपनी परछाई देखी। वह खुद को पहचान नहीं पाया। उसकी बदसूरत शक्ल अब सुंदर और शालीन हंस में बदल चुकी थी। वह अगली डकलिंग अब एक सुंदर हंस बन चुका था। उसे समझ में आया कि वह हमेशा से ही एक हंस था, लेकिन उसने अपने आप को बत्तख के बीच पाया और इसीलिए उसे अपनी पहचान नहीं मिल पाई।

उसने अपने पुराने दुख और अपमान को भुलाकर, नए जीवन की शुरुआत की। हंसों के साथ वह खुशहाल और शांति से रहने लगा। उसने सीखा कि सच्ची सुंदरता आत्मा में होती है, और समय आने पर हर किसी की असली पहचान सामने आ ही जाती है।

अब वह हंस तालाब में सबसे सुंदर और शालीन हंसों में गिना जाता था। सभी जानवर और पक्षी उसकी सुंदरता की प्रशंसा करते और उससे प्रेरणा लेते। वह अगली डकलिंग अब अपने नए जीवन में बहुत खुश और संतुष्ट था। उसकी कहानी ने यह सिखाया कि हमें अपनी असली पहचान को जानने के लिए धैर्य रखना चाहिए, और हर किसी की सुंदरता अपने समय पर खिलती है।

सीख

इस प्रकार, अगली डकलिंग की कहानी न केवल एक सुंदर हंस बनने की यात्रा है, बल्कि यह हमें सिखाती है कि हमें खुद पर विश्वास रखना चाहिए और दूसरों के तानों और अपमान से घबराना नहीं चाहिए। जीवन में हर किसी का समय आता है और जब वह आता है, तो उसकी चमक सभी को दिखती है।

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