बौने और मोची की कहानी | The Elves And The Shoemaker Story In Hindi

बौने और मोची की कहानी (The Elves And The Shoemaker Story In Hindi) एक जर्मन फेयरी टेल है, जिसे ब्रदर्स ग्रिम ने लिखा है। ये एक गरीब मोची की कहानी है।

“एल्विश एंड शू मेकर” एक काल्पनिक कहानी है जो सदियों से लोगों को प्रेरित और मनोरंजित करती आई है। यह कहानी ईमानदारी, परिश्रम और अप्रत्याशित सहायता की है।

The Elves And The Shoemaker Story In Hindi

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The Elves And The Shoemaker Story In Hindi

एक बार की बात है। एक छोटे से गाँव में एक बूढ़ा मोची और उसकी पत्नी रहते थे। बूढ़ा मोची बहुत मेहनती और ईमानदार था, लेकिन उसकी परिस्थितियाँ बहुत कठिन थीं। उसकी दुकान में केवल कुछ ही पुराने औजार और थोड़ी सी चमड़ा बची थी। वह बहुत चिंतित था कि कैसे अगले दिन के लिए नए जूते बना पाएगा और अपनी पत्नी और खुद का पेट भर पाएगा।

मोची ने अपने पूरे जीवन में कभी भी किसी का बुरा नहीं किया था। वह हमेशा जरूरतमंदों की मदद करता था और अपने ग्राहकों के लिए सबसे अच्छे जूते बनाता था। पर अब उसकी स्थिति बहुत खराब हो चुकी थी।

एक दिन जब शूमेकर ने रात को काम करना छोड़ दिया और बाकी बचे चमड़े के टुकड़े काटकर रख दिए, उसने सोचा कि वह अगली सुबह जल्दी उठकर काम शुरू करेगा। वह और उसकी पत्नी सोने चले गए। 

सुबह जब वह उठा और अपनी दुकान में आया, तो उसने देखा कि सभी चमड़े के टुकड़े खूबसूरत और उच्च गुणवत्ता वाले जूतों में बदल चुके थे। वह यह देखकर हैरान रह गया। उसने तुरंत उन जूतों को बाजार में बेच दिया और उससे मिले पैसों से और चमड़ा खरीद लिया।

शाम को मोची ने फिर से चमड़े के टुकड़े काटकर रख दिए और सोने चला गया। अगली सुबह फिर से वही चमत्कार हुआ। अब दुकान में और भी सुंदर और शानदार जूते थे। यह सिलसिला कई दिनों तक चला। मोची और उसकी पत्नी यह सोचकर चकित थे कि यह अद्भुत काम कौन कर रहा है।

एक रात मोची और उसकी पत्नी ने तय किया कि वे यह पता लगाएंगे कि कौन उनके लिए जूते बना रहा है। उन्होंने अपने आपको छिपाया और दुकान के कोने में बैठ गए। आधी रात को, उन्होंने देखा कि कुछ छोटे-छोटे बौने दुकान में आए और चमड़े के टुकड़ों को लेकर जल्दी-जल्दी जूते बनाना शुरू कर दिया। उनके छोटे-छोटे हाथ बड़े ही कुशलता से काम कर रहे थे। मोची और उसकी पत्नी ने यह देखकर खुशी के आँसू बहाए और उन बौनोँ आभार प्रकट करने का सोचा।

मोची और उसकी पत्नी ने सोचा कि वे इन बौनोंं का धन्यवाद कैसे करें। उन्होंने तय किया कि वे बौनो के लिए छोटे-छोटे कपड़े और जूते बनाएंगे। अगले दिन मोची और उसकी पत्नी ने छोटे-छोटे कपड़े और जूते बनाए और उन्हें दुकान में छोड़ दिया।

रात को जब बौने दुकान में आए और उन्होंने कपड़े और जूते देखे, तो वे बहुत खुश हुए। उन्होंने तुरंत उन कपड़ों को पहना और जूतों को पहनकर नाचने लगे। उस रात के बाद बौने फिर कभी वापस नहीं आए, लेकिन मोची और उसकी पत्नी की जिंदगी बदल चुकी थी। अब उनके पास पर्याप्त साधन थे और उनकी दुकान भी फिर से चल पड़ी थी।

मोची और उसकी पत्नी अब खुशहाल जीवन जीने लगे। उन्होंने अपनी दुकान का विस्तार किया और गाँव के अन्य जरूरतमंद लोगों की मदद करने लगे। उनकी ईमानदारी, मेहनत और दूसरों की मदद करने की भावना ने उन्हें कभी निराश नहीं होने दिया।

सीख

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि मेहनत, ईमानदारी और दयालुता कभी बेकार नहीं जाती। जब हम किसी की मदद करते हैं, तो किसी न किसी रूप में वह मदद हमारे पास वापस आ जाती है। और सबसे महत्वपूर्ण बात, हमें हमेशा उन अदृश्य हाथों की कद्र करनी चाहिए जो हमारी मदद करते हैं।

इस प्रकार, “एल्विश एंड शू मेकर” की यह कहानी हमें जीवन के मूल्यों को समझने और उन्हें अपनाने की प्रेरणा देती है। यह दिखाती है कि भले ही परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों, यदि हम मेहनत और ईमानदारी से काम करें तो हमें सफलता जरूर मिलती है।

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