मीठा दलिया परीकथा (Sweet Porridge Fairy Tale Story In Hindi)
Sweet Porridge Fairy Tale In Hindi
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बहुत समय पहले, एक छोटे से गाँव में एक गरीब लड़की अपनी माँ के साथ रहती थी। वे बहुत ही गरीब थे और उनके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं होता था। एक दिन, लड़की जंगल में लकड़ियाँ इकट्ठा करने गई। चलते-चलते, वह एक बूढ़ी महिला से मिली जो दिखने में बहुत ही दयालु लग रही थी। बूढ़ी महिला ने लड़की से पूछा, “तुम इतनी उदास क्यों हो, बेटी?”
लड़की ने जवाब दिया, “हमारे पास खाने के लिए कुछ नहीं है। हम बहुत ही गरीब हैं और मेरी माँ बीमार है।”
बूढ़ी महिला ने दयालुता से मुस्कुराते हुए कहा, “मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ। यह लो, यह एक जादुई हांडी है। जब तुम इसे ‘पकाओ, हांडी, पकाओ’ कहोगी, तो यह मीठा दलिया पकाने लगेगी। और जब तुम कहोगी ‘रुको, हांडी, रुको’, तो यह रुक जाएगी।” लड़की ने बूढ़ी महिला को धन्यवाद दिया और खुशी-खुशी घर वापस लौट आई।
घर पहुंचकर, लड़की ने अपनी माँ को जादुई हांडी के बारे में बताया। उसकी माँ ने पहले तो विश्वास नहीं किया, लेकिन जब लड़की ने हांडी के सामने ‘पकाओ, हांडी, पकाओ’ कहा, तो हांडी सचमुच में मीठा दलिया पकाने लगी। कुछ ही समय में हांडी स्वादिष्ट दलिया से भर गई। माँ और बेटी ने पेट भरकर दलिया खाया और वे बहुत खुश थे।
अब हर दिन, जब भी उन्हें भूख लगती, वे हांडी से मीठा दलिया बनाते और खाते। उनके पड़ोसी भी उनकी मदद से खुश रहते, क्योंकि वे भी भूखे नहीं रहते थे। धीरे-धीरे, उनकी गरीबी दूर हो गई और वे खुशहाल जीवन जीने लगे।
एक दिन, लड़की अपनी माँ को घर पर छोड़कर बाजार गई। माँ ने सोचा कि वह भी हांडी का उपयोग कर सकती है। उसने ‘पकाओ, हांडी, पकाओ’ कहा और हांडी दलिया पकाने लगी। माँ बहुत खुश थी और उसने दलिया खाना शुरू कर दिया। लेकिन जब वह भर गई और हांडी को रोकना चाहा, तो उसे जादुई शब्द याद नहीं आए।
हांडी दलिया पकाती रही, पकाती रही और देखते ही देखते पूरी रसोई दलिया से भर गई। माँ ने बहुत कोशिश की, लेकिन वह हांडी को रोक नहीं पाई। जल्द ही दलिया घर से बाहर निकलकर सड़क पर फैलने लगी। पूरे गाँव में हंगामा मच गया। लोग हैरान थे कि इतनी सारी दलिया कहाँ से आ रही है।
जब लड़की बाजार से वापस लौटी, उसने देखा कि पूरा गाँव दलिया से भर गया है। उसने तुरंत समझ लिया कि क्या हुआ है। वह दौड़ती हुई घर गई और हांडी के सामने ‘रुको, हांडी, रुको’ कहा। हांडी ने दलिया पकाना बंद कर दिया और गाँव वालों ने राहत की साँस ली।
लेकिन अब गाँव भर में दलिया फैली हुई थी। लोग अपने घरों से बाहर आकर दलिया साफ करने लगे। कुछ लोग बाल्टियाँ भर-भरकर दलिया अपने घर ले गए और बाकी को खेतों में फेंक दिया। गाँव में कुछ दिनों तक दलिया की महक बनी रही और लोग हंसी-मजाक में इस घटना को याद करते रहे।
इसके बाद, लड़की और उसकी माँ ने हांडी का उपयोग बहुत सावधानी से किया। वे सिर्फ उतना ही दलिया बनाते जितना उन्हें चाहिए होता। लड़की ने जादुई शब्द याद कर लिए और हर समय सावधानी बरतती। गाँव वाले भी अब उनका आदर करने लगे, क्योंकि उन्होंने देखा कि लड़की और उसकी माँ की मदद से वे भी भूखे नहीं रहते थे।
समय बीतता गया और लड़की बड़ी हो गई। उसने गाँव में एक छोटी सी दुकान खोली जहाँ वह मीठा दलिया बेचती थी। उसकी दुकान बहुत मशहूर हो गई और लोग दूर-दूर से उसका दलिया खाने आते थे। लड़की ने अपने दलिया की कमाई से अपनी माँ का इलाज करवाया और वे दोनों सुखी जीवन जीने लगे।
गाँव के लोग उस दिन को कभी नहीं भूले जब पूरा गाँव दलिया से भर गया था। यह कहानी पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाई जाती रही और सबको यह याद दिलाती रही कि कैसे एक छोटी सी लड़की ने अपनी समझदारी और जादुई हांडी से अपनी गरीबी को दूर कर दिया।
इस प्रकार, लड़की और उसकी माँ ने अपनी मेहनत और बुद्धिमानी से अपनी जिंदगी को खुशहाल बना लिया। और हांडी? वह आज भी उनके घर में सुरक्षित रखी है, लेकिन अब उसे बहुत सावधानी से और जरूरत के हिसाब से ही इस्तेमाल किया जाता है।
सीख
यह कहानी हमें सिखाती है कि सही समय पर सही निर्णय लेने से हम अपने जीवन को बदल सकते हैं और छोटी-छोटी चीजों में भी जादू हो सकता है, बस हमें उसे सही तरीके से इस्तेमाल करना आना चाहिए।