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शेर और खरगोश की कहानी | Sher Aur Khargosh Ki Kahani

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Sher Aur Khargosh Ki Kahani

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Sher Aur Khargosh Ki Kahani

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम पंचतंत्र से की शेर और खरगोश की कहानी “Sher Aur Chatur Khargosh Ki Kahani” शेयर कर रहे हैं. छोटा सा खरगोश कैसे शेर से जंगल के जानवरों के प्राणों की रक्षा करता हैं, जाने के लिए पढ़िए Lion And Rabbit Story In Hindi  : 

एक जंगल में बलशाली शेर रहता था। वह जंगल के जानवरों का शिकार कर अपनी भूख मिटाता था। जब भी वह शिकार पर निकलता, तब जो भी जानवर उसे दिखाई पड़ता, वह उसे मार डालता। धीरे धीरे जंगल में जानवरों की संख्या घटने लगी।

एक दिन जंगल के सभी जानवरों ने एक सभा बुलाई, जिसमें सभी इस बात पर चर्चा करने लगे कि इस समस्या का निराकरण कैसे किया जाए। चर्चा के बाद सबने निर्णय लिया कि वे शेर के पास जाकर निवेदन करेंगे कि इस तरह जंगल के सारे जानवरों का शिकार ना करें।

जानवरों का एक समूह शेर के पास पहुंचा। शेर उन्हें देखकर चौंक गया और उनके आने का कारण पूछा। 

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एक बूढ़ा बंदर बोला, “वनराज, हम यहां एक निवेदन लेकर आए हैं।”

“कहो!” 

“वनराज! आप जब भी शिकार के लिए निकलते हैं, तो कई जानवरों को मार डालते हैं। आप उन्हें खा भी नहीं पाते। इससे जंगल में जानवर धीरे धीरे कम हो रहे हैं।”

“तो मैं क्या करूं!” शेर ने कहा, “मुझे अपनी भूख मिटाने के लिए शिकार पर निकलना ही पड़ता है। शिकार के समय जो जानवर मुझे दिखेगा, मैं उसे मारूंगा ही।”

बंदर कुछ सोचकर बोला, “वनराज! हमारा निवेदन है कि आप शिकार पर न निकलें, अपनी गुफा में ही रहें।”

“ऐसे में तो मैं भूखा मर जाऊंगा।”

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“नहीं वनराज! अब से रोज जंगल का एक जानवर आपके पास आएगा। आप उसे खाकर अपनी भूख मिटा लीजिएगा।”

शेर ने हामी भर दी, लेकिन साथ ही चेतावनी भी दी कि जिस दिन कोई जानवर मेरे पास नहीं पहुंचा, उस दिन मैं वह सारे जबवारों को मार डालेगा।

जानवरों ने शेर की बात मान ली और वापस लौट गए। उस दिन के बाद से रोज एक जानवर शेर का भोजन बनने उसके पास जाने लगा। रोज एक जानवर मारा जाता, इस बात का जानवरों को दुख था, लेकिन राहत ये थी कि अब एक साथ बड़ी संख्या में जानवर मारे नहीं जा रहे थे।

एक दिन एक छोटे खरगोश को शेर का भोजन बनने जाना था। वह शेर की गुफा की ओर जाने लगा। वह इतना डरा हुआ था कि उसके कदम नहीं उठ रहे थे। जाते जाते वह सोचने लगा कि क्यों ना कोई ऐसी युक्ति की जाए कि शेर से ही छुटकारा मिल जाए। युक्ति सोचते सोचते जब वह रास्ते से गुजर रहा था, तो उसे एक कुआं दिखाई पड़ा। वह कुएं के पास गया और झांककर देखा, तो उसे उसमें अपनी परछाई नजर आई। उसे शेर से छुटकारा पाने की युक्ति सूझ गई।

वह शेर के पास पहुंचा, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। भूख के मारे शेर का बुरा हाल था। खरगोश को देखते ही वह दहाड़ा, “क्यों ये पिद्दी से खरगोश, तेरी इतनी जुर्रत कि तू इतनी देर से आए। अब मेरी भूख इतनी बढ़ गई है कि मैं तेरे बाद तेरे पूरे परिवार को मारकर खा जाऊंगा।”

खरगोश ने हाथ जोड़ लिए और कहा, “नहीं वनराज! ऐसा मत कीजिएगा। मैं जानता था कि मैं छोटा सा प्राणी आपकी भूख मिटाने के योग्य नहीं। इसलिए मैं अकेला नहीं, बल्कि तीन खरगोश आपका भोजन बनने आपके पास आ रहे थे। लेकिन रास्ते में हमें एक शेर मिला। उसने दो खरगोशों को खा लिया और मुझे आपको ये संदेश देने भेजा कि उस शेर ने खुद को जंगल का राजा घोषित कर दिया है। अब से सारे जानवरों को उसका भोजन बनने जाना होगा।”

खरगोश की बात सुनकर शेर को क्रोध आ गया। वह दहाड़ते हुए बोला, “मेरे होते हुए जंगल का राजा कोई और नहीं हो संयम”

“तब तो वनराज आपको उससे युद्ध करना पड़ेगा। उसने आपको ललकारा है।”

“कहां रहता है वो। मुझे ले चल। मैं आज ही उसका काम तमाम करता हूं।” शेर दहाड़ते हुए बोला।

“चलिए वनराज!” कहकर खरगोश चल पड़ा। शेर उसके साथ चलने लगा।

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खरगोश शेर को उसी कुएं के पास ले गया, जो रास्ते में पड़ा था। वहां पहुंच कर उसने शेर से कहा, “वनराज! वो शेर यहीं रहता है। आप उसे युद्ध के लिए ललकारिए।”

शेर ने आगे बढ़कर कुएं में झांककर देखा, तो उसे अपनी परछाई दिखाई पड़ी। शेर ने सोचा कि यही वह शेर है, जो जंगल का राजा बनना चाहता हूं। उसने दहाड़ लगाकर उसे ललकारा, कुएं की दीवार से टकराकर उसे अपनी दहाड़ की प्रतिध्वनि सुनाई पड़ी। खरगोश बोला, “देखिए महाराज! वो आपकी चुनौती स्वीकार कर रहा है।”

ये सुनना था कि शेर ने आव देखा न ताव और कुएं में कूद पड़ा। कुएं में कूदने के बाद वो गहरे पानी में डूब गया और अपनी जान से हाथ धो बैठा। इस प्रकार चतुर खरगोश ने न सिर्फ़ खुद की जान बचाई, बल्कि जंगल के सारे जानवरों की भी जान बचाई।

सीख

सीख 

बुद्धि का उपयोग कर किसी भी समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।

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