संत रविदास की जीवनी (Sant Ravidas Biography In Hindi) Sant Ravidas Ki Jivai
संत रविदास का जीवन और उनके उपदेश भारतीय समाज और धर्म के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उनका जन्म 15वीं शताब्दी में वाराणसी के पास सीर गोवर्धनपुर गांव में हुआ था। उनकी माता का नाम घुरबिनिया और पिता का नाम संतोक दास था। रविदास का परिवार ‘चर्मकार’ जाति से संबंधित था, जो उस समय की सामाजिक संरचना में निम्न मानी जाती थी। बावजूद इसके, उन्होंने अपने कर्म, साधना और भक्ति से समाज को नई दिशा दी।
Sant Ravidas Biography In Hindi
Table of Contents
प्रारंभिक जीवन
रविदास का जन्म एक निर्धन परिवार में हुआ था, जो परंपरागत रूप से चमड़े का काम करता था। उनके माता-पिता ने उन्हें ईश्वर भक्ति और मानवता की सेवा का पाठ पढ़ाया। बहुत कम उम्र में ही रविदास ने संत और भक्तों की संगति में आना शुरू कर दिया था। उनकी शिक्षा-दीक्षा औपचारिक रूप से बहुत कम हुई, लेकिन उनका ज्ञान और आध्यात्मिक समझ असाधारण थी।
भक्ति और साधना
संत रविदास का जीवन पूर्णतः भक्ति और साधना को समर्पित था। उन्होंने अपने समय के धार्मिक आडंबरों और जाति-पाति के भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाई। वे मानते थे कि सभी मनुष्य समान हैं और ईश्वर के पुत्र हैं। उनके भजन और दोहों में उन्होंने मानवता, भाईचारे और प्रेम का संदेश दिया।
शिक्षा और विचारधारा
रविदास का मानना था कि ईश्वर एक है और वह सभी में व्याप्त है। उन्होंने सामाजिक भेदभाव और जातिवाद का विरोध किया और अपने उपदेशों के माध्यम से समता और न्याय का प्रचार किया। उनके प्रमुख विचार थे:
1. समानता : संत रविदास ने सामाजिक समानता और जातिवाद के उन्मूलन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सभी मनुष्य ईश्वर की संतान हैं और सबमें ईश्वर का अंश है।
2. भक्ति मार्ग : वे भक्तिमार्ग के प्रबल समर्थक थे। उनका मानना था कि ईश्वर की प्राप्ति केवल भक्ति और साधना के माध्यम से ही संभव है।
3. कर्मयोग : रविदास ने कर्मयोग का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि मनुष्य को अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए ईश्वर भक्ति करनी चाहिए।
4. मानवता की सेवा : उन्होंने मानवता की सेवा को सबसे बड़ा धर्म बताया। वे मानते थे कि ईश्वर की सच्ची भक्ति तभी संभव है जब हम मनुष्यों की सेवा करें।
प्रमुख रचनाएँ
संत रविदास ने कई भजन, दोहे और पदों की रचना की। उनके द्वारा रचित साहित्य में आध्यात्मिक ज्ञान, सामाजिक सुधार और मानवता का संदेश प्रबलता से प्रकट होता है। उनके कुछ प्रमुख भजनों और दोहों में निम्नलिखित शामिल हैं:
1. प्रभु जी तुम चंदन हम पानी : इस भजन में संत रविदास ने गुरु और शिष्य के संबंध को दर्शाया है, जिसमें वे कहते हैं कि गुरु बिना शिष्य की कोई अस्तित्व नहीं है।
2. अवधू बेगमपुर का बास : इस दोहे में उन्होंने एक आदर्श राज्य की परिकल्पना की है, जहां कोई दुःख, भेदभाव या अन्याय नहीं होता।
सामाजिक सुधारक के रूप में
संत रविदास केवल एक संत ही नहीं थे, बल्कि एक सामाजिक सुधारक भी थे। उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों और अंधविश्वासों का विरोध किया और एक ऐसे समाज की स्थापना का प्रयास किया जो समानता और न्याय पर आधारित हो। उनके उपदेशों और कार्यों का प्रभाव समाज के हर वर्ग पर पड़ा और उन्होंने अनेक लोगों को प्रेरित किया।
उनके शिष्यों और अनुयायी
संत रविदास के अनेक शिष्य और अनुयायी थे, जिनमें से कई प्रमुख नाम इतिहास में दर्ज हैं। मीराबाई, जो स्वयं एक महान भक्त कवयित्री थीं, संत रविदास की शिष्या मानी जाती हैं। उन्होंने संत रविदास के उपदेशों और विचारों से प्रभावित होकर भक्ति मार्ग को अपनाया और अपने भजनों में संत रविदास की महिमा का गुणगान किया।
मृत्यु और विरासत
संत रविदास की मृत्यु के बाद भी उनके उपदेश और विचार जीवित रहे। उनकी शिक्षाओं का प्रभाव भारतीय समाज पर आज भी है। उनके अनुयायियों ने उनके उपदेशों और विचारों को आगे बढ़ाया और संत रविदास की महिमा को जन-जन तक पहुंचाया।
संत रविदास का जीवन और कार्य समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। उनके उपदेश और शिक्षाएं हमें समानता, न्याय और मानवता की ओर अग्रसर करती हैं। उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों और अंधविश्वासों का विरोध कर एक ऐसे समाज की स्थापना का प्रयास किया, जहां हर व्यक्ति को समान अधिकार और सम्मान मिले।
निष्कर्ष
संत रविदास का जीवन और उनके उपदेश भारतीय समाज और धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उनका योगदान केवल धार्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि सामाजिक सुधार के क्षेत्र में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपने जीवन और कार्यों के माध्यम से समाज को समानता, न्याय और मानवता का संदेश दिया। उनका जीवन और शिक्षाएं आज भी हमारे लिए प्रेरणा स्रोत हैं और हमें एक बेहतर समाज की ओर अग्रसर करती हैं।
संत रविदास की जीवनी हमें यह सिखाती है कि ईश्वर भक्ति और मानव सेवा के माध्यम से ही सच्चे अर्थों में ईश्वर की प्राप्ति संभव है। उनके जीवन और उपदेशों का अध्ययन और अनुसरण हमें समाज में व्याप्त कुरीतियों और अंधविश्वासों से मुक्त कर एक समान और न्यायपूर्ण समाज की स्थापना में सहायता कर सकता है। संत रविदास का जीवन और कार्य हमारे लिए एक मार्गदर्शक हैं और हमें अपने जीवन में उनके उपदेशों का पालन करने की प्रेरणा देते हैं।