पंचतंत्र की 5 कहानियां | Panchtantra Ki 15 Kahaniyan In Hindi

पंचतंत्र की 5 कहानियां (Panchtantra Ki 5 Kahaniyan In Hindi) इस पोस्ट में शेयर की जा रही है। 

पंचतंत्र एक प्राचीन भारतीय नीतिशास्त्र ग्रंथ है, जिसमें जानवरों को पात्र बनाकर विभिन्न जीवन स्थितियों और नैतिक मूल्यों के बारे में शिक्षाप्रद कहानियाँ लिखी गई हैं। यह ग्रंथ न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में बहुत लोकप्रिय है और इसे कई भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है। यहां पंचतंत्र की 5 कहानियां शेयर की जा रही है।

Panchtantra Ki 5 Kahaniyan In Hindi

Panchtantra Ki 5 Kahaniyan In Hindi

1. सिंह और सियार

एक विशाल जंगल में एक शक्तिशाली सिंह रहता था। वह अपनी ताकत और पराक्रम से जंगल का राजा बन चुका था। उसका नाम शेरू था और उसके डर से जंगल के सारे जानवर कांपते थे। शेरू अपनी भूख शांत करने के लिए प्रतिदिन शिकार करता था। एक दिन, शेरू ने एक सियार को पकड़ लिया। सियार का नाम चतुर था और वह अपने नाम के अनुरूप ही बेहद चतुर था। 

चतुर ने अपनी जान बचाने के लिए शेरू से कहा, “महाराज, कृपया मुझे छोड़ दीजिए। मैं आपकी सेवा में रहूंगा और आपको शिकार करने में मदद करूंगा।”

शेरू को चतुर की बात समझ में आ गई और उसने उसे छोड़ दिया। चतुर ने शेरू से कहा, “महाराज, मैं आपको ऐसे स्थानों पर ले जाऊंगा जहाँ शिकार अधिक संख्या में होते हैं। आपको मेहनत भी नहीं करनी पड़ेगी।”

शेरू ने चतुर की बात मान ली। चतुर ने शेरू को एक बड़े मैदान में ले जाया जहाँ बहुत सारे हिरण चर रहे थे। शेरू ने आसानी से एक हिरण को मार गिराया और अपनी भूख मिटाई। धीरे-धीरे चतुर शेरू के लिए आवश्यक हो गया और वह रोजाना उसे शिकार दिलवाने लगा।

एक दिन, जंगल में एक और सिंह आ गया जो शेरू से भी ज्यादा शक्तिशाली था। उसका नाम राघव था। राघव ने शेरू को चुनौती दी और कहा, “यह जंगल अब मेरा होगा। मैं यहाँ का नया राजा बनूंगा।”

शेरू ने राघव से लड़ाई की लेकिन हार गया। राघव ने शेरू को जंगल से निकाल दिया और स्वयं राजा बन गया। चतुर अब राघव के पास गया और कहा, “महाराज, मैं आपकी सेवा में रहूंगा और आपको शिकार दिलवाऊंगा।”

राघव ने चतुर की बात मान ली और उसे अपने साथ रख लिया। चतुर अब राघव को भी शिकार दिलाने लगा। उसने शेरू के साथ की तरह राघव को भी बड़े-बड़े शिकार दिलवाने शुरू कर दिए। 

कुछ समय बाद, शेरू ने सोचा कि वह चतुर की मदद से अपना स्थान वापस पा सकता है। उसने चतुर से बात की और उसे अपनी योजना बताई। चतुर ने कहा, “महाराज, मैं आपकी मदद करूंगा, लेकिन हमें यह काम बहुत ही चतुराई से करना होगा।”

चतुर ने राघव को एक दिन एक गहरे खड्ड में ले जाकर फंसवा दिया। राघव खड्ड में फंस गया और शेरू ने मौका पाकर उस पर हमला कर दिया। राघव को मारकर शेरू ने फिर से जंगल का राजा बन गया।

शेरू ने चतुर को धन्यवाद दिया और उसे अपना विश्वासपात्र बना लिया। चतुर ने शेरू से कहा, “महाराज, हमें हमेशा चतुराई और धैर्य से काम लेना चाहिए। केवल शक्ति से ही सब कुछ नहीं होता।”

शिक्षा:

समझदारी और चतुराई से काम करने पर कोई भी विपत्ति दूर की जा सकती है। केवल शक्ति ही सब कुछ नहीं होती, बल्कि बुद्धिमानी से ही असली विजय प्राप्त होती है।

2. कौआ और साँप

एक हरे-भरे जंगल में एक बड़ा सा पेड़ था। उस पेड़ की सबसे ऊँची डाल पर एक कौआ और उसकी पत्नी रहते थे। कौए का नाम कालू और उसकी पत्नी का नाम काली था। वे दोनों खुश थे और पेड़ की डाल पर अपना घोंसला बनाकर रहते थे। उसी पेड़ की जड़ के पास एक बिल में एक काला साँप भी रहता था। उसका नाम नागू था। नागू बहुत ही क्रूर और धूर्त था। 

काली ने घोंसले में कई अंडे दिए थे और वे दोनों उन अंडों की देखभाल कर रहे थे। लेकिन एक दिन जब कालू और काली भोजन की तलाश में गए थे, नागू ने मौका पाकर उन अंडों को खा लिया। जब कालू और काली वापस आए तो उन्होंने देखा कि उनके अंडे गायब हैं। वे दोनों बहुत दुखी हो गए।

कालू ने काली से कहा, “यह नागू का ही काम है। हमें उससे बदला लेना होगा।” काली ने सहमति जताई और वे दोनों सोचने लगे कि नागू से कैसे निपटा जाए।

अगले दिन, कालू ने अपने दोस्त नेवले से मदद मांगी। नेवले का नाम झल्लू था और वह बहुत ही चालाक था। झल्लू ने कालू से कहा, “तुम्हें राजा के महल से कोई कीमती वस्तु चुरानी होगी और उसे नागू के बिल के पास रख देना होगा। जब राजा के सेवक उसे ढूंढ़ने आएंगे तो वे नागू को मार देंगे।”

कालू ने झल्लू की बात मानी और राजा के महल में जाकर एक कीमती सोने की अंगूठी चुरा ली। वह अंगूठी लेकर कालू ने नागू के बिल के पास रख दी और फिर वापस अपने घोंसले में आ गया। कुछ समय बाद, राजा के सेवक अंगूठी की तलाश में जंगल में आए और नागू के बिल के पास अंगूठी पाई। 

उन्होंने नागू को मार दिया और अंगूठी वापस राजा को दे दी। इस प्रकार कालू और काली ने अपने दुश्मन नागू से छुटकारा पाया और खुशी-खुशी रहने लगे।

शिक्षा:

बुद्धिमत्ता और योजना से बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान किया जा सकता है। 

3. कछुआ और हंस

एक सुन्दर तालाब के किनारे एक कछुआ रहता था। उसका नाम टिमटिम था और वह हमेशा अपनी लंबी कहानियाँ सुनाने में मशगूल रहता था। तालाब में ही दो हंस भी रहते थे, जिनका नाम हंसी और हंसा था। हंस और कछुआ अच्छे दोस्त थे और हमेशा एक-दूसरे के साथ समय बिताते थे। 

एक बार, उस क्षेत्र में भयंकर सूखा पड़ा और तालाब का पानी सूखने लगा। हंसों ने सोचा कि उन्हें किसी अन्य तालाब की ओर उड़ जाना चाहिए, लेकिन टिमटिम के बारे में सोचकर वे परेशान हो गए। टिमटिम ने भी सोचा कि वह अकेला कैसे बचेगा। 

हंसी ने सुझाव दिया, “हम एक लकड़ी लाते हैं और टिमटिम को उसे मुंह से पकड़ने देते हैं। हम उसे पकड़कर उड़ जाएंगे और उसे सुरक्षित स्थान पर ले जाएंगे।”

हंसा ने कहा, “लेकिन टिमटिम, तुम्हें रास्ते में बिल्कुल भी बात नहीं करनी होगी, वरना तुम गिर जाओगे।”

टिमटिम ने यह वादा किया और उन्होंने योजना बनाई। हंसी और हंसा ने एक मजबूत लकड़ी का टुकड़ा लाया और टिमटिम ने उसे अपने मुंह से पकड़ लिया। हंसी और हंसा ने लकड़ी के दोनों सिरों को पकड़कर उड़ना शुरू किया। 

जब वे उड़ रहे थे, तो नीचे से कुछ लोग उन्हें देख रहे थे। वे लोग कछुए को इस तरह उड़ते हुए देखकर हंसने लगे और मजाक उड़ाने लगे। टिमटिम को गुस्सा आ गया और वह चिल्लाया, “तुम लोग क्यों हंस रहे हो?”

जैसे ही टिमटिम ने यह कहा, वह लकड़ी छोड़ दी और नीचे गिर गया। टिमटिम की मौत हो गई और हंसी और हंसा बहुत दुखी हुए।

शिक्षा:

अनावश्यक बातों से बचना चाहिए और कठिन परिस्थितियों में धैर्य बनाए रखना चाहिए। 

4. बन्दर और मगरमच्छ

एक घने जंगल के बीच में एक बड़ा सा तालाब था। उस तालाब में एक मगरमच्छ रहता था जिसका नाम मकर था। तालाब के किनारे एक बड़े से पेड़ पर एक बन्दर रहता था, जिसका नाम बिल्लू था। बिल्लू और मकर अच्छे दोस्त बन गए और मकर रोजाना बिल्लू से मिलने आता था। 

एक दिन, मकर की पत्नी मकरनी ने उससे कहा, “मैंने सुना है कि बन्दर का दिल बहुत स्वादिष्ट होता है। मैं उसे खाना चाहती हूँ।” मकर ने कहा, “लेकिन वह मेरा दोस्त है।”

मकरनी ने जिद पकड़ ली और मकर को मजबूर कर दिया कि वह बिल्लू को अपने पास लाए। मकर ने सोचा कि अगर वह बिल्लू को सच बताएगा तो वह कभी नहीं आएगा। इसलिए उसने एक योजना बनाई।

अगले दिन, मकर ने बिल्लू से कहा, “दोस्त, मेरी पत्नी ने तुम्हें खाने पर बुलाया है। हमारे घर में बहुत सारे स्वादिष्ट फल हैं।” बिल्लू खुशी-खुशी मकर के साथ जाने के लिए तैयार हो गया।

जब वे तालाब के बीच में पहुँचे, मकर ने बिल्लू से कहा, “दोस्त, मुझे माफ करना, लेकिन मेरी पत्नी तुम्हारा दिल खाना चाहती है।”

बिल्लू को यह सुनकर धक्का लगा, लेकिन उसने अपनी बुद्धिमत्ता से काम लिया और कहा, “ओह, मकर! मैंने अपना दिल पेड़ पर ही छोड़ दिया है। अगर तुम मुझे वापस ले चलोगे तो मैं तुम्हें वह दिल दे दूँगा।”

मकर ने बिल्लू की बात पर विश्वास कर लिया और उसे वापस पेड़ की ओर ले जाने लगा। जैसे ही वे पेड़ के पास पहुंचे, बिल्लू जल्दी से पेड़ पर चढ़ गया और सुरक्षित हो गया। उसने मकर को चिढ़ाते हुए कहा, “मूर्ख मकर! क्या कोई अपना दिल बाहर छोड़ सकता है? मैंने तुम्हें दोस्त समझा था, लेकिन तुमने विश्वासघात किया। अब तुम वापस जाओ और अपनी पत्नी से कहो कि उसे बंदर का दिल कभी नहीं मिलेगा।”

मकर को अपनी मूर्खता पर पछतावा हुआ और वह शर्मिंदा होकर तालाब में वापस चला गया। उसने अपनी पत्नी से कहा कि उसे अब कभी बिल्लू के पास नहीं जाना चाहिए। इस प्रकार बिल्लू ने अपनी बुद्धिमानी से अपनी जान बचा ली और फिर कभी मकर पर विश्वास नहीं किया।

शिक्षा:

मुसीबत में भी हमें अपनी बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए। मित्रता का विश्वास नहीं तोड़ना चाहिए।

5. शेर और खरगोश

एक समय की बात है, जंगल में एक भयानक शेर रहता था। वह रोजाना एक जानवर को मारकर खा जाता था। जंगल के सभी जानवर उससे बहुत डरते थे और रोज एक जानवर शेर के पास अपनी बारी से जाने लगा ताकि बाकी जानवर सुरक्षित रह सकें।

एक दिन, एक छोटा सा खरगोश अपनी बारी में शेर के पास गया। शेर ने उसे देखकर गुस्से में कहा, “तुम इतने छोटे हो, तुम्हें खाने से मेरी भूख नहीं मिटेगी।”

खरगोश ने शेर से कहा, “महाराज, मैं आ तो रहा था, लेकिन रास्ते में मुझे एक और शेर मिला जो कह रहा था कि वह जंगल का राजा है।”

शेर को यह सुनकर बहुत गुस्सा आया और उसने कहा, “मुझे उस शेर के पास ले चलो, मैं देखता हूँ कौन जंगल का राजा है।”

खरगोश शेर को एक गहरे कुएँ के पास ले गया और कहा, “महाराज, वह शेर इस कुएँ में रहता है।”

शेर ने कुएँ में झाँका और अपनी परछाईं देखी। उसे लगा कि वास्तव में कोई दूसरा शेर कुएँ में है। गुस्से में शेर ने कुएँ में छलांग लगा दी और डूब गया। इस तरह खरगोश ने अपनी चतुराई से शेर से छुटकारा पाया और जंगल के जानवरों को मुक्ति दिलाई।

शिक्षा:

चतुराई और साहस से बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान किया जा सकता है।

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