पंचतंत्र की 10 कहानियां | Panchtantra Ki 10 Kahaniyan In Hindi

पंचतंत्र की 10 कहानियां  (Panchtantra Ki 10 Kahaniyan In Hindi) 10 Stories Of Panchatantra In Hindi 

Panchtantra Ki 10 Kahaniyan In Hindi

Panchtantra Ki 10 Kahaniyan In Hindi

1. बंदर और लकड़हारा

एक घने जंगल में एक मेहनती लकड़हारा रहता था। वह प्रतिदिन जंगल में पेड़ काटने जाता और लकड़ी इकट्ठा करता। एक दिन, वह पेड़ काटने के बाद एक पेड़ के तने पर आराम करने बैठ गया। उसी समय, एक बंदर वहाँ आया और लकड़हारे की गतिविधियों को उत्सुकता से देखने लगा। लकड़हारे ने देखा कि बंदर पेड़ के तने के बीच फंसे लकड़ी के टुकड़े को निकालने की कोशिश कर रहा है, जिससे लकड़ी को काटने में आसानी होती थी।

लकड़हारे ने बंदर को चेतावनी दी, “यह काम तुम्हारे लिए खतरनाक है। इसे मत छेड़ो, वरना तुम खुद को नुकसान पहुंचा सकते हो।” लेकिन बंदर ने उसकी बात को अनसुना कर दिया और लकड़ी के टुकड़े को खींचने की कोशिश करता रहा। लकड़हारा अपनी बातों को नजरअंदाज होते देख नाराज हो गया और जंगल के दूसरे हिस्से में चला गया।

जैसे ही लकड़हारा वहाँ से गया, बंदर ने ज़ोर से लकड़ी के टुकड़े को खींचा। लकड़ी का टुकड़ा निकल गया, और उसके साथ ही बंदर की पूंछ दो तनों के बीच फंस गई। बंदर दर्द से चिल्लाया, लेकिन उसे कोई बचाने वाला नहीं था। काफी कोशिशों के बाद बंदर खुद को आजाद करने में सफल हुआ, लेकिन उसकी पूंछ टूट चुकी थी।

सीख: हमें उन कार्यों से बचना चाहिए जिनमें हमारा कोई अनुभव नहीं है और जो खतरनाक हो सकते हैं। दूसरों की सलाह को गंभीरता से लेना चाहिए, खासकर जब वे हमारी भलाई के लिए हो।

2. धोबी और उसका कुत्ता

एक गाँव में एक धोबी रहता था, जिसका एक वफादार कुत्ता था। धोबी रोज सुबह गाँव के कुएँ से पानी लाने जाता और उसका कुत्ता उसके साथ जाता। कुत्ता हमेशा धोबी का साथ देता और उसकी हिफाज़त करता। धोबी अपने कुत्ते से बहुत प्यार करता था, लेकिन वह बहुत ही आलसी था और उसके साथ कुछ गलत होने पर दोष भी दूसरों पर डाल देता था।

एक दिन, धोबी के घर एक चोर घुस आया। कुत्ते ने उसे देखते ही जोर-जोर से भौंकना शुरू किया, ताकि धोबी जाग जाए। लेकिन धोबी गहरी नींद में था और उसकी नींद नहीं खुली। आखिरकार, चोर ने धोबी के घर से सारी कीमती चीजें चुरा लीं और वहां से भाग निकला। अगली सुबह, जब धोबी ने देखा कि उसका सारा सामान चोरी हो चुका है, तो उसने गुस्से में अपने कुत्ते को दोष देना शुरू कर दिया। उसने कहा, “तुमने ठीक से चौकीदारी नहीं की, इसलिए यह सब हुआ।”

कुत्ता उदास हो गया और सोचा कि उसने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की थी, फिर भी उसे दोषी ठहराया जा रहा है। कुछ दिन बाद, चोर फिर से धोबी के घर आया, लेकिन इस बार कुत्ते ने चुपचाप उसे घर में घुसने दिया। चोर ने फिर से चोरी की और चला गया। जब धोबी ने देखा कि उसका बाकी सामान भी गायब हो गया है, तो वह समझ गया कि उसका कुत्ता अब उसकी रक्षा नहीं कर रहा है।

धोबी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने कुत्ते से माफी मांगी। उसने कुत्ते को अच्छे से खाना दिया और उसे प्यार से समझाया कि वह गलती से उसे दोषी ठहरा बैठा था।

सीख: हमें अपने प्रियजनों पर बिना सोचे-समझे आरोप नहीं लगाना चाहिए, खासकर जब वे हमारी भलाई के लिए काम कर रहे हों। उनके प्रयासों की सराहना करनी चाहिए और उन्हें उचित सम्मान देना चाहिए।

3. चतुर सियार और शेर

एक घने जंगल में एक भूखा शेर रहता था। कई दिनों से शिकार न मिलने के कारण वह बहुत कमजोर हो गया था। एक दिन, शेर ने एक मोटे और स्वस्थ सियार को देखा और सोचा कि वह इसे शिकार बनाएगा। शेर ने सियार से कहा, “मैं कई दिनों से भूखा हूँ और आज तुम्हें अपना शिकार बनाऊँगा।”

सियार बहुत ही चतुर था। उसने शेर से कहा, “महाराज, मैं जानता हूँ कि आप भूखे हैं, लेकिन मेरा मांस आपको संतुष्टि नहीं देगा। अगर आप मेरी बात मानें तो मैं आपको एक बड़े शिकार तक ले जा सकता हूँ।”

शेर को सियार की बातों में रुचि आ गई और उसने पूछा, “कौन सा शिकार?” सियार ने जवाब दिया, “जंगल के पास एक गाँव में कई मोटे-मोटे पशु हैं। अगर आप मेरे साथ चलें तो हम उन्हें आसानी से पकड़ सकते हैं।”

शेर ने सोचा कि सियार की बात सही है और वह उसके साथ गाँव की ओर चल पड़ा। रास्ते में सियार ने शेर को एक कुएँ के पास ले जाकर कहा, “महाराज, यह कुआँ बहुत गहरा है। इसके अंदर एक और शेर है, जो आपकी तरह ही भूखा है। लेकिन वह बहुत बलशाली है, इसलिए आपको सावधानी से उसे मारना होगा।”

शेर ने कुएँ में झाँका और अपने ही प्रतिबिंब को देखकर सोचा कि अंदर वास्तव में एक और शेर है। वह क्रोध में भर गया और उसे मारने के लिए कुएँ में कूद पड़ा। जैसे ही शेर कुएँ में कूदा, वह डूब गया और मर गया। सियार ने चतुराई से अपनी जान बचाई और शेर की मूर्खता पर हँसा।

सीख: किसी भी स्थिति में चतुराई और बुद्धिमत्ता का उपयोग करके बड़ी से बड़ी समस्या का हल निकाला जा सकता है। साथ ही, अज्ञानता और क्रोध में लिए गए निर्णय हमेशा हानिकारक हो सकते हैं।

4. लोमड़ी और अंगूर

एक समय की बात है, एक जंगल में एक भूखी लोमड़ी घूम रही थी। उसे कुछ भी खाने को नहीं मिल रहा था, और भूख से उसका बुरा हाल हो रहा था। वह इधर-उधर भटकती रही, लेकिन कोई शिकार नहीं मिला। चलते-चलते वह एक अंगूर की बेल के पास पहुँची, जो एक पेड़ की ऊँचाई पर लटक रही थी।

अंगूर बहुत ही रसीले और ताजगी से भरे हुए दिखाई दे रहे थे। लोमड़ी ने सोचा कि अगर वह इन अंगूरों को खा ले तो उसकी भूख मिट जाएगी। उसने अंगूर तक पहुँचने की कोशिश की, लेकिन बेल इतनी ऊँचाई पर थी कि उसके सारे प्रयास विफल हो गए।

लोमड़ी ने बार-बार उछलकर अंगूरों तक पहुँचने की कोशिश की, लेकिन हर बार असफल रही। आखिरकार, थकान से परेशान होकर लोमड़ी ने सोचा, “यह अंगूर वैसे भी खट्टे होंगे, इन्हें खाने का क्या फायदा।” यह कहकर वह वहां से चली गई और अंगूरों को वहीं छोड़ दिया।

सीख: जब हम किसी चीज को प्राप्त करने में असफल होते हैं, तो हमें उसे नीचा दिखाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। असफलता का सामना धैर्य और समर्पण से करना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए।

5. कछुआ और हंस

एक समय की बात है, एक कछुआ और दो हंस अच्छे मित्र थे। तीनों एक साथ समय बिताते थे और बहुत खुश रहते थे। एक बार, एक भीषण सूखा पड़ा, और जिस तालाब में वे रहते थे, वह सूख गया। हंसों ने कछुए से कहा, “अब हमें यह तालाब छोड़कर दूसरे स्थान पर जाना होगा। लेकिन तुम्हारे लिए उड़ना संभव नहीं है।”

कछुए ने सोचा और एक उपाय सुझाया। उसने हंसों से कहा, “आप दोनों एक मजबूत लकड़ी की छड़ी पकड़ो, और मैं उसे बीच में अपने मुँह से पकड़ लूँगा। इस तरह आप मुझे उड़ाकर किसी और जलाशय तक ले जा सकते हो।”

हंसों ने कछुए की योजना को मान लिया, लेकिन उन्होंने उसे चेतावनी दी, “इस दौरान तुम्हें मुँह बिल्कुल भी नहीं खोलना होगा, वरना तुम गिर जाओगे।” कछुए ने वादा किया कि वह मुँह नहीं खोलेगा।

हंस और कछुआ उड़ने लगे। रास्ते में लोग कछुए को उड़ते हुए देखकर हँसने लगे। कछुआ उनकी हँसी सहन नहीं कर पाया और जवाब देने के लिए मुँह खोल दिया। जैसे ही उसने मुँह खोला, वह नीचे गिर गया और उसकी मौत हो गई।

सीख: कभी-कभी मौन रहना सबसे अच्छा विकल्प होता है। बिना सोच-समझे बोले गए शब्द नुकसान पहुँचा सकते हैं।

6. लोमड़ी और बकरा

एक बार की बात है, एक लोमड़ी भूख के कारण इधर-उधर भटक रही थी। अचानक, वह गलती से एक गहरे कुएँ में गिर गई। कुएँ से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था। लोमड़ी ने मदद के लिए चिल्लाना शुरू किया, लेकिन कोई उसकी आवाज नहीं सुन सका।

कुछ समय बाद, एक प्यासा बकरा उस कुएं के पास आया। बकरा बहुत ही प्यासा था और उसे पानी की तलाश थी। जैसे ही उसने कुएं में झाँका, उसने लोमड़ी को देखा। बकरे ने लोमड़ी से पूछा, “तुम यहाँ क्या कर रही हो?”

चतुर लोमड़ी ने तुरंत अपने दिमाग का उपयोग किया और बकरे से कहा, “अरे मित्र! यह कुआँ तो बहुत अद्भुत है। यहाँ का पानी मीठा और ठंडा है। मैं खुद भी इसे पीने आई हूँ और सोच रही हूँ कि यहीं रह जाऊँ, क्योंकि यह जगह बहुत आरामदायक है।”

प्यासा बकरा लोमड़ी की बातों में आ गया और उसने बिना सोचे-समझे कुएं में छलांग लगा दी। जैसे ही बकरा कुएं में कूदा, लोमड़ी ने उसकी पीठ पर चढ़कर बाहर निकलने का रास्ता खोज लिया। बाहर निकलकर लोमड़ी हँसते हुए बोली, “मूर्ख बकरे, पहले सोच-विचार कर ही कोई कदम उठाना चाहिए। अब तुम यहीं रहो और सोचो कि तुमने क्या गलती की।”

बकरे को अपनी गलती का एहसास हुआ, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। वह कुएं में फंसा रह गया और उसकी मदद करने वाला कोई नहीं था।

सीख: किसी भी कार्य को करने से पहले उसके परिणामों पर विचार करना चाहिए। दूसरों की बातों में आकर बिना सोचे-समझे कोई कदम उठाना नुकसानदायक हो सकता है।

7. सिंह, गधा और सियार

एक जंगल में एक बूढ़ा सिंह रहता था, जो अब शिकार करने में असमर्थ हो गया था। उसकी भूख उसे परेशान कर रही थी, लेकिन वह खुद शिकार नहीं कर सकता था। एक दिन उसने एक सियार से दोस्ती की और उसे अपने लिए भोजन लाने के लिए कहा। सियार ने शिकार करने की जिम्मेदारी ली और सोचा कि इस काम में उसे किसी की मदद की जरूरत पड़ेगी। उसने एक गधे को इस योजना में शामिल कर लिया।

सियार ने गधे से कहा, “देखो, इस जंगल में एक खूबसूरत जगह है जहाँ बहुत सारा भोजन है। अगर तुम मेरे साथ चलोगे तो हमें वहाँ बहुत अच्छा खाना मिलेगा।” गधा सियार की बातों में आ गया और उसके साथ चलने के लिए तैयार हो गया।

सियार गधे को सिंह के पास ले गया, जो पहले से ही भूखा बैठा था। जैसे ही गधा सिंह के पास पहुंचा, सिंह ने उसे मारने की कोशिश की, लेकिन वह इतना बूढ़ा था कि उसे सही से पकड़ नहीं सका और गधा भाग गया। सियार ने सिंह से कहा, “तुम आराम करो, मैं उसे फिर से ले आऊंगा।”

सियार ने गधे को ढूंढा और कहा, “मुझे खेद है, वह सिंह नहीं था, वह तो एक साधारण जानवर था जो तुम्हें डराने के लिए वहाँ आया था। अब वह चला गया है, तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है। चलो, इस बार हम वहाँ आराम से चलेंगे।”

गधा फिर से सियार की बातों में आ गया और वापस सिंह के पास चला गया। इस बार सिंह ने पूरी ताकत से गधे पर हमला किया और उसे मार दिया। सिंह और सियार ने गधे का मांस खाया और अपना पेट भरा।

सीख: बेवकूफी से किसी पर भी भरोसा करना खतरनाक हो सकता है। किसी भी निर्णय को सावधानीपूर्वक सोच-विचार कर लेना चाहिए।

8. दो बिल्लियाँ और बंदर

एक बार की बात है, दो बिल्लियाँ एक गाँव में रहती थीं। वे दोनों बहुत अच्छे दोस्त थीं और साथ-साथ खेलती-कूदती थीं। एक दिन, उन्हें एक रोटी का टुकड़ा मिला। दोनों ही रोटी को खाना चाहती थीं, लेकिन यह तय करना मुश्किल था कि कौन कितना हिस्सा खाए। उन्होंने आपस में बहस करना शुरू कर दिया और रोटी को बराबर बांटने में असफल रहीं।

उसी समय, एक चालाक बंदर वहाँ से गुजर रहा था। उसने बिल्लियों की बहस सुनी और उन्हें कहा, “तुम दोनों क्यों लड़ रही हो? आओ, मैं तुम्हारी मदद करता हूँ। मैं तुम्हारी रोटी को बराबर हिस्सों में बाँट दूँगा।”

बिल्लियाँ बंदर की बातों से सहमत हो गईं। बंदर ने रोटी को तोड़कर दो हिस्सों में बाँटा, लेकिन उसने एक हिस्सा जानबूझकर बड़ा कर दिया। फिर उसने कहा, “अरे, यह तो बड़ा हिस्सा हो गया, मुझे इसे थोड़ा छोटा करना पड़ेगा।” कहकर उसने बड़े हिस्से में से थोड़ा सा खा लिया। फिर वह दूसरे हिस्से को देखता और कहता, “यह छोटा हो गया है, इसे बराबर करने के लिए मुझे इसमें से भी थोड़ा खाना पड़ेगा।” इस तरह, बंदर रोटी के दोनों हिस्सों को धीरे-धीरे खाता गया।

आखिरकार, बंदर ने सारी रोटी खा ली और बिल्लियों के लिए कुछ भी नहीं बचा। बिल्लियाँ केवल एक-दूसरे को देखती रह गईं और समझ गईं कि बंदर ने उन्हें मूर्ख बना दिया है।

सीख: जब हम आपस में लड़ते हैं, तो तीसरा व्यक्ति उसका फायदा उठा सकता है। इसलिए, आपसी समझ और सहयोग से समस्याओं को हल करना चाहिए।

9. हंस और कछुआ

एक समय की बात है, एक हंस और एक कछुआ गहरे मित्र थे। वे एक साथ रहते और एक साथ समय बिताते। एक बार, सूखा पड़ने के कारण उनकी झील सूखने लगी और पानी कम होने लगा। हंस ने कछुए से कहा, “यहाँ रहना अब मुश्किल हो गया है। हमें किसी और जगह जाना होगा, लेकिन तुम कैसे चलोगे?”

कछुआ चिंतित हो गया, लेकिन उसने सोचा कि कोई न कोई उपाय तो जरूर निकलेगा। हंस ने एक उपाय सुझाया, “हम एक मजबूत लकड़ी की छड़ी पकड़ेंगे, और तुम इसे अपने मुँह से पकड़ लेना। हम तुम्हें उड़ाकर नई जगह तक ले जाएंगे। लेकिन याद रखना, उड़ान के दौरान तुम्हें मुँह नहीं खोलना है।”

कछुए ने हंस की बात मान ली और छड़ी को मजबूती से पकड़ लिया। हंस उड़ने लगे, और कछुआ उनके साथ हवा में था। उड़ान के दौरान, कछुए ने नीचे लोगों को उसे देखते और बातें करते देखा। वह उनकी बातों का जवाब देना चाहता था, लेकिन उसे हंस की चेतावनी याद थी।

कछुए ने खुद को शांत रखने की कोशिश की, लेकिन अंत में वह अपनी बात कहने के लिए मुँह खोल बैठा। जैसे ही उसने मुँह खोला, वह छड़ी से गिर गया और नीचे की जमीन पर जा गिरा, जिससे उसकी मौत हो गई।

सीख: हमेशा अनुशासन और धैर्य से काम लेना चाहिए। अति उत्साह या अनुशासनहीनता जीवन को हानि पहुँचा सकती है।

10. मूर्ख ऊंट और शेर

एक घने जंगल में एक शेर, एक लोमड़ी और एक ऊंट रहते थे। शेर उनका राजा था और लोमड़ी उसकी सलाहकार थी। शेर बहुत शक्तिशाली था, और लोमड़ी बहुत चालाक थी। ऊंट सीधा-सादा और मूर्ख था। एक बार, शेर बीमार पड़ गया और शिकार करने में असमर्थ हो गया। उसने लोमड़ी से कहा, “मैं भूखा हूँ, मेरे लिए कोई शिकार लाओ।”

लोमड़ी ने जंगल में जाकर देखा, लेकिन उसे कोई शिकार नहीं मिला। वह वापस शेर के पास गई और बोली, “महाराज, जंगल में कोई शिकार नहीं है। लेकिन क्यों न हम इस ऊंट को मारकर खा लें? वह हमें भोजन के लिए पर्याप्त होगा।”

शेर ने कहा, “नहीं, मैं उसे नहीं मार सकता। वह हमारा मित्र है और हमने उसे शरण दी है।”

लोमड़ी ने सोचा और एक योजना बनाई। उसने ऊंट के पास जाकर कहा, “हमारे राजा बीमार हैं और उन्हें भोजन की जरूरत है। अगर तुम अपनी जान की कुर्बानी देकर उन्हें भोजन दोगे, तो तुम्हें स्वर्ग मिलेगा।”

मूर्ख ऊंट लोमड़ी की बातों में आ गया और शेर के पास जाकर बोला, “महाराज, मैं आपको भोजन देने के लिए अपनी जान की कुर्बानी देना चाहता हूँ। आप मुझे खाकर अपनी भूख मिटा सकते हैं।”

शेर ने पहले मना किया, लेकिन लोमड़ी ने उसे मनाया और अंततः शेर ने ऊंट को मारकर खा लिया।

सीख: दूसरों की चतुराई और चालाकी को समझने में सक्षम होना चाहिए। मूर्खता से दूसरों की बातों में आकर नुकसान उठाना पड़ सकता है।

बोलती गुफा की कहानी

बिल्ली और लोमड़ी की कहानी

बंदर और चूहे की कहानी 

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top