लोमड़ी और हिरण की कहानी | Lomadi Aur Hiran Ki Kahani 

लोमड़ी और हिरण की कहानी (Lomadi Aur Hiran Ki Kahani) शेयर कर रहे हैं। Fox And Deer Story In Hindi धूर्त लोमड़ी और हिरण की कहानी है। कैसे लोमड़ी हिरण को मूर्ख बनाती और कैसे हिरण उसे सबक सिखाता है? पढ़िए :

Lomadi Aur Hiran Ki Kahani 

Lomadi Aur Hiran Ki Kahani 

एक बार की बात है। एक गाँव के पास एक घना जंगल था। उस जंगल में कई जानवर रहते थे, जिसमें एक चालाक लोमड़ी और एक सरल और ईमानदार हिरण भी थे।

लोमड़ी स्वार्थी और चालाक थी। उसे दूसरे जानवरों को बेवकूफ बनाकर फायदा उठाने में मज़ा आता था। दूसरी ओर, हिरण ईमानदार और भोला था। वह हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तत्पर रहता था।

एक दिन लोमड़ी ने सोचा कि वह हिरण को बेवकूफ बना सकती है और उससे फायदा उठा सकती है। उसने हिरण के पास जाकर कहा, “मित्र हिरण! क्या तुम जानते हो कि इस जंगल में एक बहुत बड़ा और स्वादिष्ट फल का पेड़ है, लेकिन वह पेड़ बहुत ही ऊँचा है। क्या तुम मेरी मदद करोगे ताकि हम दोनों उस पेड़ के फल खा सकें?”

हिरण, जो हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहता था, तुरंत मान गया। उसने कहा, “बिल्कुल लोमड़ी बहन! मैं तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हूँ। चलो, उस पेड़ तक चलते हैं।”

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दोनों उस पेड़ के पास पहुँचे। लोमड़ी ने कहा, “हिरण भाई! तुम्हारी पीठ पर चढ़कर मैं ऊपर तक पहुँच सकती हूँ और फिर हम दोनों मिलकर फल खा सकेंगे।”

हिरण ने सोचा कि लोमड़ी सही कह रही है और उसे अपनी पीठ पर चढ़ने दिया। लोमड़ी ऊपर चढ़कर फल खाने लगी, लेकिन उसने नीचे खड़े हिरण के बारे में बिल्कुल नहीं सोचा। उसने सारे फल खुद ही खा लिए और जब वह संतुष्ट हो गई, तो नीचे उतरकर तेजी से भाग गई।

हिरण को बहुत दुख हुआ। उसने सोचा कि उसने लोमड़ी का साथ देकर गलती की है। वह वहाँ खड़ा था और सोच रहा था कि अब क्या करे। तभी एक खरगोश वहाँ से गुजरा और हिरण को दुखी देखकर पूछा, “हिरण भाई, तुम इतने दुखी क्यों हो?”

हिरण ने पूरी घटना बताई। खरगोश ने उसे समझाया, “हिरण भाई! तुम्हारी ईमानदारी और सबकी मदद करने का स्वभाव बहुत अच्छा है, लेकिन तुम्हें सावधान रहना चाहिए और सोच-समझकर लोगों की मदद करनी चाहिए।”

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हिरण ने खरगोश की बात मान ली और भविष्य में ध्यान रखने का वादा किया। लेकिन हिरण ने सोचा कि लोमड़ी को उसकी चालाकी का सबक ज़रूर सिखाना चाहिए।

कुछ दिनों बाद हिरण ने एक योजना बनाई। उसने जंगल में घूमते हुए देखा कि एक शिकारी ने एक पेड़ के पास जाल बिछा रखा है। यह पेड़ बहुत बड़ा और फलदार था। हिरण ने सोचा कि यह मौका लोमड़ी को सबक सिखाने के लिए सबसे अच्छा है।

हिरण ने लोमड़ी को फिर से बुलाया और कहा, “लोमड़ी बहन! मुझे एक और बड़ा और स्वादिष्ट फल का पेड़ मिला है। क्या तुम मेरी मदद करोगी ताकि हम दोनों उस पेड़ के फल खा सकें?”

लोमड़ी, जो फिर से फलों की लालच में आ गई थी, तुरंत मान गई। वे दोनों उस पेड़ के पास पहुँचे। लोमड़ी ने इस बार कहा, “हिरण भाई! इस बार मैं पहले ऊपर चढ़ती हूँ और फिर तुम्हें ऊपर खींच लेती हूँ।”

जैसे ही लोमड़ी पेड़ के पास पहुँची, वह शिकारी के जाल में फँस गई। उसने खुद को छुड़ाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह जाल में मजबूती से फँसी हुई थी। उसने हिरण से गुहार लगाई, “हिरण भाई! मुझे बचा लो। मुझे जाल से छुड़वाओ।”

हिरण ने कहा, “पहले वादा करो कि कभी दूसरों को मूर्ख नहीं बनाओगे और उनका धोखे से फायदा नहीं उठाओगे।”

लोमड़ी ने वादा किया। तब हिरण ने अपने दोस्त चूहे के पास गया, जो पास ही रहता था।

हिरण ने चूहे को सारी बात बताई और कहा, “चूहे भाई! हमें लोमड़ी को इस जाल से बाहर निकालने की जरूरत है। क्या तुम इस जाल को काट सकते हो?”

चूहे ने तुरंत हामी भरी और दोनों उस पेड़ के पास चले आए, जहां लोमड़ी जाल में फंसी थी। दोनों ने देखा कि शिकारी जाल में फंसी लोमड़ी की तरफ बढ़ रहा है। तब हिरण ने शिकारी का ध्यान भटकाने का निर्णय लिया। वह जोर-जोर से दौड़ता हुआ शिकारी के पास पहुँचा और उसके सामने कूदने लगा। शिकारी का ध्यान हिरण की तरफ गया और उसने सोचा कि लगे हाथों हिरण को भी पकड़ लूं। वह हिरण की तरफ बढ़ा। ये देखकर हिरण ने दौड़ लगा दी। शिकारी ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया।

जब शिकारी हिरण के पीछे भाग रहा था, उस बीच चूहे ने जल्दी से जाल काट दिया और लोमड़ी को मुक्त कर दिया। लोमड़ी ने चूहे का धन्यवाद किया, तो चूहा बोला, “धन्यवाद तुम्हें हिरण का करना चाहिए।” और वहां से चला गया।

लोमड़ी को अपने किए पर पछतावा हो रहा था कि उसने हिरण के साथ गलत किया था। उधर हिरण शिकारी को भगाकर बहुत दूर ले गया और छुप गया। हिरण को न देखकर शिकारी मन मसोस कर वापस आने लगा। हिरण शिकारी को चकमा देकर दूसरे रास्ते से लोमड़ी के पास पहुंच गया। 

लोमड़ी ने अपनी गलती मानी और हिरण से माफी माँगी। उसने वादा किया कि वह अब से ईमानदारी से पेश आएगी और किसी को धोखा नहीं देगी।

इस घटना के बाद, लोमड़ी ने अपने स्वभाव को बदल लिया और जंगल के सभी जानवरों के साथ ईमानदारी और सच्चाई से पेश आने लगी। इस तरह, हिरण ने अपनी बुद्धिमानी और अपने दोस्तों की मदद से लोमड़ी को एक सबक सिखाया।

सीख (Fox And Deer Story Moral In Hindi)

हमें दूसरों के साथ ईमानदारी और सच्चाई से पेश आना चाहिए, और अगर कोई हमारे साथ गलत करता है, तो हमें उसे सही तरीके से सबक सिखाना चाहिए, ताकि वह अपनी गलती समझ सके और उसे सुधार सके।

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