History In Hindi

श्रापित, उजाड़, भुतहा गाँव कुलधरा का रहस्य, इतिहास, कहानी | Kuldhara Village Rajasthan History, Mystery & Haunted Story In Hindi

फ्रेंड्स, आज हम आपको एक कुलधरा गाँव (Kuldhara Village) के बारे में जानकारी दे रहे हैं. एक ऐसा गाँव, जो भारत के सबसे डरावने और भुतिया स्थलों (Most Haunted Places In India) की सूची में सम्मिलित है. अत्यंत समृद्ध यह गाँव आज खंडहर में तब्दील हो चुका है. रहस्यमयी और विचित्र गतिविधियों के कारण यह ‘भूतों का गाँव’ (Haunted Village Kuldhara) कहलाता है.

हुआ यूं कि 1825 की एक रात एकाएक यह गाँव खाली कर दिया गया. किवंदती है कि जाने के पूर्व गाँव के निवासियों ने यह श्राप दिया कि कोई इस गाँव में नहीं बस पायेगा. यदि किसी ने यहाँ बसने की कोशिश की, तो वह बर्बाद हो जायेगा. तब से यह गाँव वीरान और सुनसान पड़ा हुआ है. उस श्राप के कारण लोग इसे “श्रापित गाँव” मानते हैं.

Kuldhara Village History In Hindi

Kuldhara Village Mystery History & Story In Hindi

कुलधरा गाँव कहाँ है? (Where Is Kuldhara Gaon?)

कुलधरा गाँव राजस्थान के जैसलमेर जिले से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

कुलधरा का इतिहास (Kuldhara Village History In Hindi)

कुलधरा गाँव पालीवाल ब्राह्मणों के द्वारा 1291 में बसाया गया था. पालीवाल ब्राह्मण पाली के निवासी थे और वहाँ से विस्थापित होकर 11 वीं शताब्दी में जैसलमेर, साथलमेर (पोखरण), बीकानेर, जोधपुर आकर बस गए थे.

सन् 1291 में 600 परिवारों का यह गाँव बसाया गया था. इसके आस-पास पालीवाल समुदाय के 83 गाँव और थे. करीने और वैज्ञानिक तरीके से बनाया गया यह गाँव अत्यंत समृद्ध था. यहाँ आलीशान हवेलियाँ हुआ करती थी.

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कुलधरा की संरचना (Kuldhara Village Architecture)

कुलधरा गाँव की संरचना वैज्ञानिक तरीकों से की गई थी. ईंट-पत्थरों से निर्मित गाँव के मकान ऐसे थे, जहाँ गर्मियों में भी गर्मी का अहसास नहीं होता था. सभी मकान इस कोण पर बने थे कि हवाएं सीधे घरों में से होकर गुज़रती थी और घर का वातावरण शीतल रखती थी.

घरों में अनेक झरोखे थे, जो हवाओं के विचरण के लिए तो आवश्यक थे ही, साथ ही ये दूसरे घरों से इस प्रकार जुड़े थे कि कोई भी बात आसानी से एक घर से दूसरे घर तक पहुँचाई जा सकती थी.

घरों में पानी के कुंड, सीढ़ियाँ और तहखाने भी बने हुए थे. तहखाने में धन–संपत्तियां छुपाकर रखी जाती थी. विशेष बात यह थी कि इस गाँव में प्रत्येक घर में एक सुरंग भी थी. माना जाता है कि इस सुरंग से होकर ही गाँव वाले यह गाँव छोड़कर गए थे.

कुलधरा के पालीवाल ब्राह्मणों का व्यवसाय

पालीवाल ब्राह्मण बुद्धिमान और उद्यमी थे. उनका मुख्य व्यवसाय कृषि और पशुपलान था. रेगिस्तानी भूमि पर भी वे वैज्ञानिक तरीके से कृषि करते थे. उन्होंने वहाँ की जमीन की जिप्सम की परत को पहचाना, जो बारिश के पानी को अवशोषित होने से रोकती थी. अपने जल प्रबंधन की इस तकनीक के बलबूते पालीवाल ब्राह्मणों ने मरूस्थल में भी कृषि केंद्रित समाज की स्थापना की.

उस इलाके का सबसे अमीर और संपन्न समुदाय “कुलधरा के पालीवाल ब्राह्मण” ही थे. उनके पास धन-धान्य और आभूषणों की कोई कमी नहीं थे, जिन्हें वे अपने घरों के तहखाने में छुपाकर रखते थे.

कुलधरा गाँव खाली क्यों हुआ? (Why Is Kuldhara Abandoned?)

कुलधरा गाँव खाली हो जाने के संबंध में तीन कहानियाँ प्रचलित हैं –

पहली कहानी (Salim Singh Kuldhara Story)

जैसलमेर में सन् 1815 के आसपास ‘गदसिंह महारावल’ का शासन था. उनके कमज़ोर शासन का लाभ उठाकर उनका दीवान ‘सालिम सिंह’ समस्त रियासत में अपनी हुकूमत चलाता था. वह अत्यंत क्रूर और ज़ालिम था.

कहा जाता है कि उसकी बुरी नज़र गाँव के मुखिया की सुंदर पुत्री ‘शक्तिमैया’ पर थी. वह उससे विवाह करना चाहता था. शक्तिमैया मात्र 18 वर्ष की थी और सालिमसिंह पहले से ही विवाहित था. उसकी 7 पत्नियाँ थी.

मुखिया अपनी पुत्री का विवाह अन्य बिरादरी में नहीं करना चाहता था. लेकिन सालिम सिंह अपनी हठ पर अड़ा हुआ था. उसने संदेशा भिजवाया कि यदि उसे अगली पूर्णमासी तक ‘शक्तिमैया’ नहीं मिली, तो वह गाँव पर हमला कर देगा और उसे उठाकर ले जायेगा.

इस स्थिति पर विचार के लिए समस्त 84 गाँव वालों ने मंदिर में एक सभा बुलाई और उस सभा में यह निर्णय लिया गया कि वे किसी भी स्थिति में अपनी गाँव की कन्या सालिम सिंह के हाथों में नहीं सौपेंगे. सभी ने मिलकर रातों रात गाँव छोड़कर जाने का फैसला कर लिया.

इस प्रकार गाँव जैसा था, वैसा ही छोड़कर समस्त गाँव वाले रातों रात कहीं चले गए. कोई ये नहीं जानता कि वे कहाँ गए. बस ये कहा जाता है कि जाने के पहले उन्होंने श्राप दिया कि अब यह गाँव कभी नहीं बस पायेगा. इस तरह भरा-पूरा गाँव उजाड़ हो गया.

दूसरी कहानी    

यह भी कहा जाता है कि सालिम सिंह को कुलधरा गाँव और उसके निवासियों की समृद्धि बर्दाश्त नहीं हो रही थी. उसने उन पर बहुत सारे कर लगा दिए और उनकी जबरन वसूली करने लगा. उसने वहाँ लूट-पाट की, डाके डाले और गाँव वालों पर बड़े ज़ुल्म किये.

गाँव में अराजकता का वातावरण पैदा हो गया था. समस्त गाँव वाले महारावल गदसिंह से पास पहुँचे और सालिम सिंह के ज़ुल्मों के बारे में बताया, किंतु उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. अंततः तंग आकर समस्त 84 गाँव वालों ने गाँव छोड़कर जाने का निर्णय कर किया.

तीसरी कहानी

गाँव खाली करने के पीछे की तीसरी कहानी एक हद तक वैज्ञानिक है.  सन् 1850 के आते-आते कुलधरा का भूमिगत जल स्तर बहुत नीचे चला गया था. सिंचाई का अन्य ज़रिया न होने के कारण धीरे-धीरे पैदावार में कमी आने लगी, खेत सूखने लगे और ऐसा वक़्त भी आया, जब यहाँ की पूरी जमीन बंज़र हो गई. इसके बाद कुलधरा के निवासियों के पास कुलधरा को छोड़ने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था.   

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कुलधरा गाँव का रहस्य (Kuldhara Village Ghost Story In Hindi)

माना जाता है कि कुलधारा में रहस्यमयी शक्तियों का बोलबाला है. यहाँ होने वाली विचित्र और रहस्यमयी घटनाओं से इस बात को बल मिला है. जनश्रुति के अनुसार यहाँ महिलाओं की चूड़ियों की खनक, पायलों की छम-छम और बच्चों के रोने की आवाज़ सुनाई पड़ती है. साथ ही किसी के आसपास चलने का अनुभव होने की बात भी सामने आई है.

सन् 2013 में दिल्ली की पैरानार्मल सोसाइटी की टीम कुलधरा गाँव में एक रात ठहरी थी. उनके कहे अनुसार उन्हें यहाँ कुछ असामान्य सा महसूस हुआ था. उन्हें कई बार ऐसा लगा मानो किसी ने पीछे से उनके कंधे पर हाथ रखा हो, पर पलटकर देखने पर कोई नज़र नहीं आया. यहाँ तक कि उनकी गाड़ियों पर बच्चों के हाथों के निशान थे, जबकि उस रात गाँव में कोई बच्चा नहीं था.

गाँव वाले इन घटनाओं को पालीवाल ब्राह्मणों के श्राप का प्रभाव ही मानते है. दिन भर तो वे गाँव में घूमते हैं, लेकिन रात में कोई भी गाँव में कदम रखने की हिम्मत नहीं कर पाता.

दर्शनीय स्थल (Kuldhara Village Place to Visit)

वर्तमान में Rajasthan Tourism Board ने Kuldhara Village को पर्यटन स्थल घोषित कर दिया है. गाँव में प्रवेश हेतु प्रवेश द्वार का निर्माण करवाया गया है. यहाँ प्राचीन शिव का मंदिर, बावड़ी, सालिम सिंह की हवेली तथा गाँव की अन्य हवेलियों व मकानों के अवशेष आदि दर्शनीय स्थल है.

कुलधरा कैसे पहुँचे? (How to Reach Kuldhara)

कुलधरा पहुँचने के लिए कोई direct train नहीं है. ट्रेन या सड़क मार्ग से जैसलमेर पहुँचकर वहाँ से टैक्सी लेकर कुलधरा पहुँचा जाता है.


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