पढ़ें कोरा ज्ञान कहानी, शिक्षाप्रद कहानी, Kora Gyan Kahani Lessonable Story In Hindi ज्ञान का उपयोग करना सिखाती कहानी
Kora Gyan Kahani
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जंगल में एक आश्रम स्थित था, जिसमें एक साधु शिष्यों को शिक्षा दिया करते थे। एक दिन साधु ने अपने दो शिष्यों को बुलाया और कहा, “शिष्यों! मैं साल भर के लिए पहाड़ पर तपस्या करने जा रहा हूं। तुम दोनों मेरे सर्वश्रेष्ठ शिष्य हो। तुम्हें मैं अपनी एक निशानी देकर जा रहा हूं, जिसे मेरे आते तक संभाल कर रखना। ध्यान रहे, वे खराब न हो जाए।”
ये कहकर साधु ने दोनों शिष्यों को एक एक मुट्ठी गेहूं दिया और पहाड़ के लिए प्रस्थान कर गए।
एक शिष्य ने गेहूं के दानों को एक डिब्बे में संभालकर रख दिया। दूसरे ने उन्हें खेत में बो दिया। कुछ समय बाद वे अंकुरित हुए और कुछ ही महीनों में खेत में गेहूं की फसल लहलहाने लगी।
साल भर साधु आश्रम वापस आए और अपने दोनों शिष्यों को बुलाया। दोनों साधु के पास आए। साधु ने कहा, “शिष्यों! जाने के पहले मैंने तुम्हें अपनी अमानत देकर गया था। उसे मुझे लाकर दो।”
दोनों शिष्य चले गए।
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पहला शिष्य वह डिब्बा लेकर आया, जिसमें उसने साधु के दिए गेहूं रखे थे। उसने डिब्बा खोला, तो देखा कि उसमें रखे गेंहू में कीड़े लग गए हैं और वह खराब हो गया है।
दूसरा शिष्य अपनी मुट्ठी में खेत में उपजे गेहूं के दाने लेकर आया। साधु वह देखकर बहुत खुश हुआ और कहा, “वत्स! तुमने मेरे दिए गए को ज्ञान सही तरीके से समझा और उसका उपयोग किया। ज्ञान मात्र ये कहीं कि प्राप्त कर सहज कर रख लिया जाए। ज्ञान वो है, जो प्रसारित किया जाए, जिसका उचित उपयोग किया जाए। स्मरण रखो, कोरा ज्ञान कुछ भी नहीं!
सीख (Kora Gyan Kahani Seekh)
ज्ञान वही है, जिसका सही तरीके से उपयोग किया जाए। तभी जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है।
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