हंसल और ग्रेटेल की कहानी | Hansel And Gretel Story In Hindi

हंसल और ग्रेटेल की कहानी (Hansel And Gretel Story In Hindi Fairy Tale) हंसल और ग्रेटेल की कहानी | Hansel And Gretel Ki Kahani इस पोस्ट में शेयर की जा रही है। 

हंसल और ग्रेटेल की कहानी जर्मन लोककथाओं की एक मशहूर कहानी है, जिसे ब्रदर्स ग्रिम ने संकलित किया है। यह कहानी एक भाई और बहन की है, जो अपनी साहस और बुद्धिमानी से एक दुष्ट जादूगरनी के चंगुल से बच निकलते हैं। यह कहानी विभिन्न संस्करणों में सुनाई जाती है, लेकिन इसके मुख्य तत्व हमेशा एक जैसे रहते हैं: हंसल और ग्रेटेल का संघर्ष, उनकी बुद्धिमानी, और अंत में उनकी विजय। यह कहानी हमें यह भी याद दिलाती है कि कठिन समय में भी हमें धैर्य और समझदारी से काम लेना चाहिए।

Hansel And Gretel Story In Hindi

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Hansel And Gretel Story In Hindi

किसी समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक लकड़हारा अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहता था। लकड़हारे का नाम हंसल और उसकी पत्नी का नाम ग्रेटेल था। परिवार बहुत गरीब था, और उनके पास खाना बहुत कम था। एक दिन, उनके पास इतना खाना भी नहीं बचा कि वे अगले दिन का गुजारा कर सकें। हंसल और ग्रेटेल के माता-पिता ने चिंता करते हुए कहा, “हम बच्चों को कैसे खिलाएँगे?”

हंसल और ग्रेटेल की सौतेली माँ ने सुझाव दिया कि बच्चों को जंगल में छोड़ दिया जाए, ताकि उनके पास अधिक खाने के लिए बच सके। पहले तो लकड़हारे ने इस निर्दय योजना का विरोध किया, परन्तु लगातार भूख और गरीबी की स्थिति में, उसने मजबूर होकर सहमति दी।

हंसल और ग्रेटेल ने अपनी माता-पिता की बातें सुन लीं। हंसल ने अपनी बहन को दिलासा दी और कहा, “चिंता मत करो, मैं कुछ उपाय निकाल लूँगा।” अगली सुबह, जब माता-पिता ने बच्चों को जंगल में ले जाने का निश्चय किया, हंसल ने रास्ते में छोटे-छोटे सफेद कंकर बिखेर दिए ताकि वे रास्ता खोज सकें।

जब वे जंगल के बीचो-बीच पहुँचे, माता-पिता ने बच्चों को वहीँ छोड़ दिया और वापस लौट आए। रात होते ही हंसल और ग्रेटेल कंकड़ों की मदद से घर लौट आए। माता-पिता ने बच्चों को देखकर हैरानी जताई, लेकिन गरीबी की वजह से उनकी स्थिति नहीं बदली। कुछ दिनों बाद, सौतेली माँ ने फिर से बच्चों को जंगल में छोड़ने का निश्चय किया।

इस बार हंसल ने ब्रेड के टुकड़े गिराकर रास्ता चिन्हित करने की कोशिश की। लेकिन जब वे वापस लौटने लगे, तो देखा कि ब्रेड के टुकड़े चिड़ियों ने खा लिए थे। इस बार वे घर का रास्ता नहीं खोज पाए और जंगल में भटकते रहे।

भटकते-भटकते हंसल और ग्रेटेल एक मिठाइयों के बने घर के पास पहुँचे। भूख से बेहाल बच्चों ने उस घर को खाना शुरू कर दिया। तभी उस घर से एक बूढ़ी औरत बाहर आई, जो असल में एक दुष्ट जादूगरनी थी। उसने बच्चों को अपने घर में बुलाया और अंदर बंद कर दिया। हंसल को पिंजरे में बंद कर दिया और ग्रेटेल को घर के काम करने पर मजबूर कर दिया।

जादूगरनी ने सोचा कि जब हंसल मोटा हो जाएगा, तो वह उसे खा लेगी। हर रोज़ वह हंसल की उँगली पकड़कर देखती कि वह मोटा हुआ या नहीं। हंसल ने चालाकी से हर बार एक हड्डी बाहर निकाल दी। जादूगरनी की दृष्टि कमजोर थी, इसलिए वह समझती रही कि हंसल अभी भी पतला है।

एक दिन जादूगरनी ने तंग आकर ग्रेटेल से कहा कि वह ओवन को गरम करे ताकि वह हंसल को पका सके। ग्रेटेल ने अपनी बुद्धिमानी से काम लिया और जादूगरनी को ओवन के पास बुलाया। ग्रेटेल ने कहा कि उसे समझ नहीं आ रहा कि ओवन गरम हुआ या नहीं। जब जादूगरनी ओवन के पास आई, तो ग्रेटेल ने उसे धक्का देकर अंदर बंद कर दिया और दरवाजा बंद कर दिया। जादूगरनी जल गई और हंसल व ग्रेटेल आजाद हो गए।

दोनों भाई-बहन ने जादूगरनी के घर की दौलत अपने साथ ली और जंगल से निकलकर घर का रास्ता खोजा। घर पहुँचकर उन्होंने अपने पिता को सब कुछ बताया। पिता ने उन्हें गले से लगा लिया और उनकी सौतेली माँ भी तब तक मर चुकी थी। हंसल और ग्रेटेल की समझदारी और साहस से उनका परिवार फिर से खुशहाल जीवन बिताने लगा।

सीख

हंसल और ग्रेटेल की कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिनाइयों के समय में भी सूझ-बूझ और साहस से हम किसी भी समस्या का समाधान कर सकते हैं। इस कहानी में भाई-बहन के प्रेम और एकजुटता की भी अद्भुत मिसाल है, जिसने उन्हें सभी संकटों से उबारा।

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