गधे और धोबी की कहानी | Gadhe Aur Dhobi Ki Kahani

गधे और धोबी की कहानी (Gadhe Aur Dhobi Ki Kahani) Donkey And Washerman Story In Hindi कहानियाँ हमारे जीवन में प्रेरणा, ज्ञान और मनोरंजन का अनमोल स्रोत होती हैं। ऐसी ही एक प्रेरक कहानी है “गधे और धोबी की कहानी।” यह कहानी हमें सिखाती है कि भले ही परिस्थितियाँ अनुकूल न हों, अपने कार्य और अपने आप पर भरोसा रखना बहुत ज़रूरी है।  

Gadhe Aur Dhobi Ki Kahani

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Gadhe Aur Dhobi Ki Kahani

एक छोटे से गाँव में एक धोबी रहता था। उसकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी कपड़े धोने और उन्हें गाँव वालों को लौटाने में गुजरती थी। धोबी के पास एक गधा था, जो उसके सारे कामों में मदद करता था। धोबी रोज़ सुबह गधे पर कपड़े लादकर नदी तक ले जाता और दिनभर मेहनत करता।  

गधा अपने मालिक के प्रति वफादार था, लेकिन वह अपनी ज़िंदगी से खुश नहीं था। उसे हमेशा शिकायत रहती कि धोबी उस पर बहुत ज़्यादा भार डालता है और उसे कभी आराम करने का मौका नहीं देता।  

एक दिन धोबी के एक दोस्त ने उसे सलाह दी कि वह गधे के काम का और भी अच्छा उपयोग कर सकता है। उसने कहा, “तुम्हें गधे को केवल कपड़े लादने के लिए ही नहीं, बल्कि चोरी किए हुए सामान को ले जाने के लिए भी इस्तेमाल करना चाहिए।” यह सुनकर धोबी ने सोचा कि यह अच्छा तरीका है और उसने चोरी शुरू कर दी।  

अब हर रात धोबी गाँव के दूसरे हिस्सों में चोरी करता और गधे पर सारा सामान लादकर वापस अपने घर आ जाता। गधे को यह समझ नहीं आता था कि उसके मालिक ने अचानक रात के समय उसे काम पर क्यों लगाना शुरू कर दिया।  

एक दिन गधा सोचने लगा, “यह जो सामान मैं ले जा रहा हूँ, यह किसी के घर का हो सकता है। अगर लोग मुझे पकड़ लें, तो सारा दोष मुझ पर आएगा। मुझे कुछ करना होगा।”  

अगली रात, जब धोबी गधे के ऊपर चोरी का सामान लाद रहा था, गधे ने जोर-जोर से रेंकना शुरू कर दिया। उसकी आवाज़ सुनकर गाँव वाले जाग गए और उन्होंने धोबी को पकड़ लिया। गाँव के बुजुर्गों ने धोबी से उसकी हरकतों का कारण पूछा। धोबी ने सबकुछ स्वीकार कर लिया।  

गाँव वालों ने धोबी को सजा दी और गधे को आज़ाद कर दिया। गधा खुश था कि उसने सही समय पर साहस दिखाया और बुराई का विरोध किया।  

सीख  

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि गलत कार्यों में साथ देने के बजाय उनका विरोध करना चाहिए। सत्य और ईमानदारी का मार्ग कठिन हो सकता है, लेकिन अंततः वही सही होता है। हमें अपने आत्म-सम्मान और नैतिकता को बनाए रखना चाहिए, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों।

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