मेंढक राजकुमार की कहानी (Frog Prince Story In Hindi) फ्रॉग प्रिंस की कहानी एक प्रसिद्ध परी कथा है, जी यहां शेयर की जा रही है।
Frog Prince Story In Hindi
Table of Contents
बहुत समय पहले की बात है, एक सुंदर राज्य में एक राजा और रानी रहते थे। उनके पास एक प्यारी सी बेटी थी, जिसका नाम एलिजाबेथ था। एलिजाबेथ न केवल राज्य की सबसे सुंदर राजकुमारी थी, बल्कि उसकी बुद्धिमत्ता और दया की कहानियाँ भी दूर-दूर तक फैली हुई थीं। वह बहुत ही खुशमिजाज और नेकदिल थी, जिससे राज्य के सभी लोग उसे बहुत प्यार करते थे।
राजकुमारी एलिजाबेथ को अपने महल के बगीचे में समय बिताना बहुत पसंद था। वह वहां लगे रंग-बिरंगे फूलों के बीच घूमती, मधुर गीत गाती और अपने सुनहरे बालों से खेलती रहती थी। बगीचे में एक सुंदर तालाब भी था, जिसमें राजकुमारी अक्सर अपनी सुनहरी गेंद से खेला करती थी। वह गेंद उसकी प्रिय थी और वह उसे हमेशा अपने पास रखती थी।
एक दिन, जब एलिजाबेथ तालाब के पास बैठी अपनी गेंद से खेल रही थी, उसने गेंद को बहुत ऊँचा उछाल दिया। गेंद उछलती हुई तालाब में जा गिरी। राजकुमारी बहुत परेशान हो गई और तालाब के किनारे बैठकर रोने लगी। उसकी सिसकियाँ सुनकर एक मेंढक तालाब से बाहर आया और उससे पूछा, “राजकुमारी, आप क्यों रो रही हैं?”
राजकुमारी ने आँसू पोंछते हुए कहा, “मेरी प्रिय गेंद तालाब में गिर गई है और मैं उसे नहीं पा सकती।”
मेंढक ने उसे सांत्वना देते हुए कहा, “अगर आप चाहें, तो मैं आपकी गेंद वापस ला सकता हूँ, लेकिन बदले में मुझे आपसे एक वादा चाहिए।”
राजकुमारी ने चौंक कर पूछा, “क्या वादा?”
मेंढक ने कहा, “आपको मुझे अपने महल में ले जाना होगा, मुझे अपने साथ भोजन करना होगा, और रात को अपने पास सुलाना होगा।”
राजकुमारी को मेंढक की शर्त अजीब लगी, लेकिन अपनी प्रिय गेंद को पाने के लिए उसने झट से हाँ कर दी। मेंढक तालाब में डूब गया और थोड़ी ही देर में गेंद को लेकर वापस आया। राजकुमारी ने खुशी-खुशी गेंद को लिया और बिना कुछ कहे महल की ओर दौड़ पड़ी। मेंढक ने उसे रोका और कहा, “राजकुमारी, क्या आप अपना वादा भूल गईं?”
लेकिन राजकुमारी ने उसकी बातों को अनसुना कर दिया और महल में जाकर दरवाजा बंद कर लिया। उस रात, जब राजा और रानी के साथ राजकुमारी भोजन कर रही थी, दरवाजे पर दस्तक हुई। एक सेवक ने दरवाजा खोला और देखा कि वह मेंढक था। सेवक ने राजा को बताया और राजा ने राजकुमारी से पूछा, “क्या तुमने किसी मेंढक को वादा किया था?”
राजकुमारी ने संकोच से सारी बात बताई। राजा ने गंभीरता से कहा, “राजकुमारी, वादा करना और उसे निभाना एक सच्चे राजपरिवार की पहचान है।”
राजकुमारी को अपने पिता की बात माननी पड़ी। उसने मेंढक को अंदर बुलाया और अपने पास बिठाया। मेंढक ने राजा और रानी के साथ भोजन किया। भोजन के बाद, मेंढक ने कहा, “राजकुमारी, अब समय है कि तुम मुझे अपने कमरे में लेकर चलो।” राजकुमारी हिचकिचाई, लेकिन उसने फिर से अपने वादे को याद किया और मेंढक को अपने कमरे में लेकर चली गई।
मेंढक ने उससे कहा, “मुझे अपने बिस्तर पर सुलाओ।” राजकुमारी ने अनमने मन से मेंढक को अपने बिस्तर पर रखा और खुद दूसरी ओर सो गई। रात के बीच में, जब राजकुमारी को ठंड लगी, तो मेंढक ने उसे गर्माहट देने के लिए अपनी ओर खींच लिया। राजकुमारी को पहले तो अजीब लगा, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा और सो गई।
अगली सुबह, जब राजकुमारी जागी, तो उसने देखा कि बिस्तर पर मेंढक की जगह एक सुंदर राजकुमार सो रहा है। राजकुमारी चौंक गई और उसने राजकुमार को जगाया। राजकुमार ने उसे सारी कहानी बताई। उसने कहा, “मैं एक जादूगरनी के श्राप के कारण मेंढक बन गया था और केवल एक राजकुमारी के वादे को निभाने से ही मैं वापस मनुष्य बन सकता था। तुम्हारी दया और वचनबद्धता ने मुझे इस श्राप से मुक्त किया है।”
राजकुमारी को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ, लेकिन वह बहुत खुश थी। राजकुमार ने उससे कहा, “तुम्हारी मदद और दया ने मुझे इस श्राप से मुक्त किया है। क्या तुम मेरी संगिनी बनोगी?” राजकुमारी ने सहर्ष हाँ कर दी। दोनों ने अपने परिवारों को इस बात की सूचना दी और कुछ दिनों बाद भव्य समारोह में उनकी शादी हो गई।
राजकुमारी एलिजाबेथ और राजकुमार ने अपने जीवन को साथ में बहुत ही खुशी-खुशी बिताया। उनकी कहानी राज्य में एक मिसाल बन गई कि कैसे वादों को निभाना और दूसरों की मदद करना सच्ची महानता की निशानी होती है। उन्होंने अपने राज्य को प्रेम, दया और समझदारी से संचालित किया और हमेशा खुशहाल रहे।
इस प्रकार, एक साधारण मेंढक की कहानी एक अद्भुत प्रेम कहानी में बदल गई, जिसमें वादा निभाने और सच्चे प्रेम की शक्ति का संदेश था।
सीख
सच्ची महानता केवल रूप या धन में नहीं, बल्कि दिल की दया और वादों की पवित्रता में होती है।