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भारत का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज कौन सा है? | Bharat Ka Pehla Engineering College Kaun Sa Hai?

भारत का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज कौन सा है? | Bharat Ka Pehla Engineering College Kaun Sa Hai? | Which Is First Engineering College Of India In Hindi 

वर्तमान में भारत में हजारों इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, जो छात्रों को विभिन्न शाखाओं में तकनीकी शिक्षा प्रदान करते हैं। उन कॉलेज से प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में इंजिनियरिंग निकल रहे हैं और विभिन्न तकनीकी क्षेत्रों में अपना योगदान देकर भारत का नाम रोशन कर रहे हैं।

भारत के सबसे पहले इंजीनियरिंग कॉलेज के बारे में जानना भी दिलचस्प है। किस तरह भारत का पहला इंजिनियरिंग कॉलेज स्थापित हुआ, कब हुआ और उसकी स्थापना किसने की? साथ ही समय के साथ उसका किस तरह विकास हुआ और आज वह किस स्थिति में खड़ा है।

इस पोस्ट में हम भारत के पहले इंजीनियर कॉलेज (First Engineering College Of India) के बारे में जानकारी दे रहे हैं। 

Bharat Ka Pehla Engineering College Kaun Sa Hai 

भारत का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज कौन सा है? | Which Is First Engineering College Of India 

भारत का पहला इंजीनियर कॉलेज “थॉमसन कॉलेज ऑफ़ सिविल इंजीनियरिंग” (Thomason College Of Civil Engineering) था, जो वर्तमान में आईआईटी रुड़की – इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी रुड़की (IIT Roorkee – Indian Institute of Technology Roorkee) के नाम से जाना जाता है।

भारत का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज कब शुरू हुआ था? | When First Engineering College Of India Started?

भारत का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज “थॉमसन कॉलेज ऑफ़ सिविल इंजीनियरिंग” भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान 1847 में उत्तराखंड के रुड़की शहर में शुरू हुआ था। वर्ष 1949 में इस कॉलेज का नाम परिवर्तित कर रुड़की विश्वविद्यालय (University Of Roorkee) रख दिया गया। वर्ष 2001 में कॉलेज को आईआईटी का दर्जा दिया गया और अधिकारिक तौर पर कॉलेज का नाम इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रुड़की रखा गया।

भारत के पहले इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना किसने की थी? | Who Started First Engineering College In India?

भारत के पहले इंजीनियरिंग कॉलेज थॉमसन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, जो वर्तमान में आईआईटी रुड़की के नाम से जाना जाता है, की स्थापना उत्तर पश्चिमी प्रांत के लेफ्टिनेंट जनरल सर जेम्स थॉमसन द्वारा वर्ष 1847 में की थी।

आईआईटी रुड़की का इतिहास | History Of IIT Roorkee 

बात उस समय की है, जब भारत में ब्रिटिश राज था। वर्ष था 1837-38, उस समय आगरा में अकाल पड़ा था और अकाल ने लाखों लोगों की जान ले ली थी।

इस स्थिति में ईस्ट इंडिया कंपनी को मेरठ-इलाहाबाद जोन (तत्कालीन दोआब क्षेत्र) में सिंचाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कैनाल बनाने की आवश्यकता महसूस हुई। इस कार्य की जिम्मेदारी कर्नल कॉटले को सौंपी गई। ये एक बड़ी जिम्मेदारी थी। कर्नल कॉटले को महसूस हुआ कि स्थानीय लोगों को सिविल इंजीनियरिंग का प्रशिक्षण देना जरूरी है, ताकि कैनाल निर्माण के कार्य में उनका सहयोग लिया जा सके। उन्होंने उत्तर पश्चिमी प्रांतों के लेफ्टिनेंट गवर्नर जेम्स थॉमसन से इस संबंध में विचार विमर्श किया।

उसी समय कोलकाता से दिल्ली के लिए ग्रैंड ट्रंक रोड (GT Road) के निर्माण कार्य में चल रहा था, जिसके लिए भी कुशल इंजीनियरों की आवश्यकता थी। 

गंगा कैनाल के कार्य में तेजी लाने के लिए वर्ष 1846 में सहारनपुर में एक टेंट लगाकर 20 भारतीय छात्रों को इंजीनीयरिंग का प्रशिक्षण दिया गया। लेकिन यह पर्याप्त नहीं था। ब्रिटिश अधिकारियों को एक ऐसे संस्थान की आवश्यकता महसूस हुई, जहां इंजीनियरिंग की पूर्णकालिक शिक्षा प्रदान की जा सके।

23 सितंबर 1847 को जेम्स थॉमसन ने तत्कालीन गवर्नर जनरल को सहारनपुर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे छात्रों को पूर्ण प्रशिक्षण देने के लिए रूड़की में संस्थान बनाए जाने का प्रस्ताव दिया गया। इसका कारण ये था कि वह गंगा कैनाल के नजदीक थाऔर वहां सिविल इंजीनियरिंग का प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए बड़ी कार्यशालाओं सहित कई सुविधाएं उपलब्ध थीं। यह प्रस्ताव मंजूर हुआ और इस तरह वर्ष 1847 में भारत का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज “थॉमसन कॉलेज ऑफ़ सिविल इंजीनियरिंग” (Thomason College Of Civil Engineering) प्रारंभ हुआ।

आईआईटी रुड़की का विकास 

प्रारंभ में कॉलेज में 3 साल का सिविल इंजीनियरिंग डिप्लोमा कोर्स दिया जाता था। वर्ष 1853 में कॉलेज द्वारा सिविल इंजीनियरिंग का 4 साल का डिग्री कोर्स प्रारंभ किया गया। इस तरह यह इंजीनियरिंग डिग्री प्रदान करने वाला भारत पहला इंस्टिट्यूट बन गया और भारत का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज भी। 

आगे की वर्षों में कॉलेज द्वारा मैकेनिकल इंजीनियरिंग इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, केमिकल इंजीनियरिंग की शाखाओं में भी शिक्षा प्रदान की जाने लगी। ये इंजीनियर और वैज्ञानिकों के लिए रिसर्च सेंटर भी बन गया और वे रिसर्च के लिए इस कॉलेज में आने लगे। वर्ष 1949 में कॉलेज को यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया और इसका नाम बदलकर “यूनिवर्सिटी ऑफ रुड़की” रख दिया गया।

वर्ष 2001 में इसे आईआईटी का दर्जा दिया गया और यह इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रुड़की के नाम से जाना जाने लगा। वर्तमान में भारत के सबसे प्रसिद्ध इंजीनियरिंग कॉलेज में से एक है, जहां से कई नामी इंजीनियरिंग और साइंटिस्ट निकले हैं। आईआईटी रुड़की लगातार इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में विशेष योगदान दे रहा है।

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