अकबर बीरबल और शाही घोड़ा की कहानी | Akbar Birbal Aur Shahi Ghoda Ki Kahani 

अकबर बीरबल और शाही घोड़ा की कहानी  (Akbar Birbal Aur Shahi Ghoda Ki Kahani) Akbar Birbal And Royal Horse Story In Hindi इस पोस्ट में शेयर की जा रही है।

Akbar Birbal Aur Shahi Ghoda Ki Kahani

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Akbar Birbal Aur Shahi Ghoda Ki Kahani

एक दिन अकबर के दरबार में एक व्यापारी आया और बोला, “महाराज, मैंने आपके लिए अरबी नस्ल का एक शानदार घोड़ा लाया है। यह घोड़ा बहुत ही तेज और सुंदर है।”

अकबर ने घोड़े को देखा और उसकी प्रशंसा की। उसने व्यापारी से पूछा, “इस घोड़े की कीमत क्या है?”

व्यापारी ने उत्तर दिया, “महाराज, इसकी कीमत एक हजार अशर्फियाँ है।”

अकबर ने तुरंत अपने खजांची को बुलाया और घोड़े के लिए एक हजार अशर्फियाँ देने का आदेश दिया। व्यापारी खुश होकर चला गया और वादा किया कि वह एक साल बाद घोड़े का भोजन और देखभाल के लिए जिम्मेदार होगा।

समय बीतता गया और एक साल बाद व्यापारी फिर से दरबार में आया। उसने अकबर से कहा, “महाराज, मैं अब इस घोड़े की देखभाल का जिम्मा नहीं उठा सकता। अब यह आपकी जिम्मेदारी है।”

अकबर को यह सुनकर थोड़ा गुस्सा आया, लेकिन उसने बीरबल को बुलाया और कहा, “बीरबल, इस घोड़े की देखभाल अब हमारी जिम्मेदारी है। तुम इसका ध्यान रखो।”

बीरबल ने घोड़े की जांच की और पाया कि वह बीमार और कमजोर हो चुका था। उसने व्यापारी की चालाकी को भांप लिया और अकबर से कहा, “महाराज, हमें इस घोड़े को ठीक करने के लिए एक चाल चलनी होगी।”

अगले दिन बीरबल ने दरबार में एक बड़ा ऐलान किया। उसने कहा, “हमारे महाराज अकबर को एक दिव्य सपना आया है। सपने में उन्हें बताया गया कि जिस व्यक्ति ने उन्हें यह घोड़ा बेचा है, उसने अपने जीवन में बहुत सच्चाई और ईमानदारी से काम किया है। अगर वह व्यक्ति सच बोलता है, तो महाराज का स्वास्थ्य और समृद्धि दोगुनी हो जाएगी।”

यह सुनकर व्यापारी की आँखें चमक उठीं और उसने सोचा कि अब उसका सम्मान और बढ़ जाएगा। वह तुरंत आगे बढ़कर बोला, “महाराज, यह सच है। मैंने ही आपको वह घोड़ा बेचा था, लेकिन मैं स्वीकार करता हूँ कि वह घोड़ा बीमार और कमजोर था। मैंने आपको धोखा दिया।”

बीरबल मुस्कुराया और अकबर ने व्यापारी की चालाकी को समझा। अकबर ने कहा, “तुम्हारी सच्चाई के लिए धन्यवाद, लेकिन तुम्हारे धोखे के लिए तुम्हें सजा मिलनी चाहिए।”

अकबर ने व्यापारी को उसकी धोखाधड़ी के लिए जेल भेजने का आदेश दिया और बीरबल की चतुराई की सराहना की। इस प्रकार बीरबल ने न केवल व्यापारी से सच उगलवाया, बल्कि उसे उसकी सजा भी दिलवाई।

सीख

इस कहानी से यह सीख मिलती है कि बुद्धिमानी और सूझबूझ से हर मुश्किल का हल निकाला जा सकता है।

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